शिकारी व इमारती लकड़ियों के चोरी करने वालों के हौसले बुलंदियों पर,वन विभाग की आंख में बंधी है पट्टी?
सुनील यादव, गरियाबंद। लगातार क्षेत्र के जंगलों में लकड़ी चोरी करने वालों के द्वारा लकड़ी चोरी भी की जा रही है, तथा बेजुबान वन्य प्राणियों का शिकार कर उनके खाल की तस्करी तक की जा रही है। जिसपर कार्यवाही में पुलिस प्रशासन की कार्यवाही देखी जा रही है । जिसका जवाब वन विभाग के पास नहीं। पुलिस के हत्थे जंगल के वन्य प्राणियों का शिकार करने वाले तस्करों पर शिकंजा कसा जा रहा है। और पकड़ कर कार्यवाही भी की जा रही है। देखा जा सकता है कि गरियाबंद जिले में पुलिस जिस मुस्तैदी से तैनात रहकर कार्य कर रही है यदि वन विभाग के अमले के द्वारा इसी तरह से मुस्तैद रहकर कार्य किया जाता तो ना जंगल की कटाई होती ना ही वन्य प्राणियों की हत्या व तस्करी। किंतु यहां गरियाबंद जिले के रेंज आफिसरों के पास अपने क्षेत्र के बारे में यह जानकारी हासिल कर पाना संभव नहीं है,इसी का नतीजा है की तस्करों के द्वारा लगातार जंगल व जंगल में रहने वाले वन्य प्राणियों का तस्करी धड़ल्ले से की जा रही है सरकार द्वारा इन जंगलों के बचाव तथा वन्य प्राणियों के संरक्षण को लेकर करोड़ों अरबों रुपए वन विभाग को आबंटन किया जाता है। किंतु जंगल व वन्य प्राणियों के लिए इतनी राशि वह भी कई अलग अलग मदों से वन विभाग को प्राप्त होने के बाद भी वन विभाग की लचर व्यवस्था देखी जा सकती है। गरियाबंद जिले में जंगल व वन्य प्राणियों से जुड़ी कई घटनाएं घटित हुई है जैसे कभी लाखों रुपए के लकड़ी तो कभी बेजुबान वन्य प्राणियों का शिकार कर खाल की तस्करी का सिलसिला थमने का नाम ही नहीं ले रहा । किसी भी विषय पर चर्चा किए जाने पर ना ही वन विभाग का कोई उच्च अधिकारी जवाब देना चाहता है। ना ही खामोशी के सिवा इनसे जुड़ा इनके पास कोई जवाब है।