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Friday, July 3, 2020

कर्तव्य पालन किया जाता तो ना होता मानवता शर्मशार, मजबूर मां ने वाहन में ही दे डाला बच्चे को जन्म

गरियाबंद। जिला मुख्यालय से तकरीबन 12 किलोमीटर की दूरी पर ग्राम घुटकु नवापारा का यह मामला सामने आया है ।  जहां गांव के निवासी बलराम गंधर्व द्वारा बताए अनुसार उसकी गर्भवती पत्नी के प्रसव के पूर्व गत 20 तारीख को अपनी पत्नी की पीड़ा के बारे में गांव के ही उप स्वास्थ केंद्र की स्टाफ को अवगत कराया गया था । जिसमे उप स्वास्थ केंद्र के स्टाफ के द्वारा कोरोना का हवाला दे दिया गया था । बलराम गंधर्व ने बताया कि 2 जुलाई को जब अचानक ही उसकी पत्नी को अत्यधिक प्रसव पीड़ा उठी तो उसके द्वारा गांव का ही एक वेन का इंतजाम करके अपनी पत्नी को कोचबाय उप स्वास्थ केंद्र ले जाया गया जहां पहले से ही कोरोना के चलते कोचबाय उप स्वास्थ्य केंद्र सील रखा गया है।
फिर बलराम अपनी पत्नी को सोहागपुर उप स्वास्थ केंद्र लेकर पहुंचा जहां उप स्वास्थ केंद्र के किसी स्टाफ से मुलाकात नहीं हो पाई, चर्चा के दौरान सोहागपुर उप स्वास्थ्य केंद्र के स्टाफ द्वारा भी मुलाकात नहीं होना बताया गया। बलराम ने बताया कि कोरोना के चलते गरियाबंद जिला अस्पताल भी सील किया गया है इस कारण वे लोग गरियाबंद नहीं आए जिस कारण वे फिर वापस गांव घुटकु नवापारा वापस लौट गए, कि घुटकु नवापारा के ही उप स्वास्थ केंद्र की स्टाफ से प्रसव के लिए निवेदन करेंगे। किंतु गांव पहुंचने के पहले ही दर्द से बिलखती मां ने वेन में ही बच्चे को जन्म दे डाला। कैसा समय आ गया है कि कोरोना से जिÞन्दगी बचाने दर्द को नजर अंदाज किया जाता है। बलराम गंधर्व के परिजनों ने बताया कि उप स्वास्थ केंद्र के स्टाफ का कहना गलत है कि हम प्रसव के लिए उनके पास नहीं गए थे। मितानिन ने बलराम को कहा था कि नर्स द्वारा प्रसव नहीं कराने की बात कही गई है। जब तक कोरोना का संकट हट नहीं जाता प्रसव नहीं कर सकते। बलराम गंधर्व ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि मितानिन के कहने के बाद बलराम गंधर्व ने केवल अपने परिवार की पीड़ा को देखते हुए यह कदम उठाया,नहीं तो उसे दर्द से बिलखती पत्नी को गांव से बाहर लेकर जाने की क्या जरूरत थी। यदि सुविधा उसे स्थानीय उप स्वास्थ केंद्र से ही मिल जाता तो यह प्रश्न ही नहीं उठता । जिन्दगी से जंग लड़कर एक मां ने बच्चे को जन्म दिया और अब मां और बच्चे दोनों सुरक्षित हैं।

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