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Thursday, July 9, 2020

राज्य पोषित डेयरी विकास योजना ने भोजराज पटेल की बदली तकदीर

डेयरी से 220 लीटर प्रतिदिन दुग्ध उत्पादन कर रहे है श्री पटेल

महासमुंद। शासकीय योजनाएं तभी सफल होती  है, जब हितग्राही स्वयं पूरी ईच्छाशक्ति, लगन और कड़ी मेहनत कर योजना को अमल में लाएं। पिथौरा विकासखण्ड के ग्राम मुढ़ीपार निवासी कक्षा 12वीं तक शिक्षित 35 वर्षीय युवा कृषक भोजराम पटेल ने पशुधन विकास विभाग द्वारा संचालित राज्य पोषित डेयरी उद्यमिता विकास योजना को अमल में लाकर इस वाक्य को सच कर दिखाया है। भोजराम पटेल के आजीविका का मुख्य साधन उनकी पैतृक खेती ही थी। चार हेक्टेयर की खेती से मात्र 4 लाख रूपए की आय होती थी जिससे घर का औसत खर्चा चलता था। लेकिन अन्य खर्चो के लिए आर्थिक समस्या आड़े आती थी। पशुधन विकास विभाग द्वारा संचालित राज्य पोषित डेयरी उद्यमिता विकास योजना की जानकारी मिलने पर वित्तीय वर्ष 2016-17 में खेती के साथ ही पशुपालन व्यवसाय करने का उनका मन बना।
 इस पर उन्होंने निकटतम पशु चिकित्सा संस्था से संपर्क कर योजना का लाभ लेने की ईच्छा जाहिर की। औपचारिकता पूरी होने के बाद योजना के अंतर्गत उनको कुल लागत राशि 12 लाख रूपए में 50 प्रतिशत शासकीय अनुदान की स्वीकृति मिली। वर्ष 2017 में ही कौशल विकास योजना के अंतर्गत डेयरी प्रशिक्षण प्राप्त कर व्यावसायिक पशुपालन की बारीकियों को समझकर श्री पटेल ने व्यवसायिक पशुपालन प्रारंभ किया। विभाग के संपर्क में निरंतर रहकर पशुपालन के तकनीकी ज्ञान के साथ ही समय पर पशु उपचार, टीकाकरण, कृत्रिम गभार्धान, अनुशीलन चारा-बीज का लाभ उन्हें मिला। खेतीं से 04 लाख रुपए वार्षिक आमदनी के साथ ही डेयरी से 08 लाख रूपए वार्षिक आय मिलाकर कुल जमा 12 लाख रूपए की वार्षिक आय उन्हें हो रही है। पशुपालन अब उनके आय का मुख्य जरिया बन गया है जिससे उनका जीवन-यापन औसत दर्जे से बढ़कर कॉफी बेहतर हो गया है।
श्री भोजराम पटेल बताते है कि योजना को अमल में लाने से पूर्व उनके पास एक भी पशु नहीं था। अब वे उन्नत नस्ल की 30 दुधारू गाय और 16 बछड़ा-बछिये इस प्रकार 47 पशु के मालिक हैं। वर्तमान में 220 लीटर प्रतिदिन दुग्ध उत्पादन होता है। स्थानीय खपत के अलावा दुग्ध सहकारी समिति को दुग्ध आपूर्ति करते है। इसके अलावा प्रतिवर्ष 60 ट्राली गोबर मिलता है। जिससे वे वर्मी कम्पोस्ट खाद तैयार करते है। वर्ष 2018 में बतौर प्रगतिशील पशुपालक कृषि विभाग द्वारा उन्हे सम्मानित किया जा चुका है। कृषि विभाग द्वारा 20 लाख रूपए की लागत की वर्मी कम्पोस्ट यूनिट के लिए भी उनका चयन किया गया है। साथ ही पशुपालन विभाग द्वारा के.सी.सी. की राशि रुपए 03 लाख की स्वीकृति बैंक में प्रक्रियाधीन है। सभी मौसमी चारा एवं बहुवर्षीय चारा नेपीयर का उत्पादन करते हैं। लगभग डेढ़ एकड़ रकबे में नेपीयर रूट्स लगाकर बारहों महीने हरा चारा उत्पादन कर दाने के खर्च में बचत करते है।

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