जगदलपुर। छत्तीसगढ़ सरकार के महत्वाकांक्षी गोधन न्याय योजना के प्रारंभ होने से बस्तर जिले के ग्रामीणों में गोबर बिक्री को लेकर खासा उत्साह देखने को मिल रहा है। जिले के बकावण्ड विकासखण्ड के मंगनार, पहुरबेल लोहण्डीगुड़ा विकासखंड के बदरेंगा और तोकापाल विकासखंड के बड़ेमारेंगा, सोसनपाल जैसे अन्य जगहों के गौठानों में ग्रामीण झऊंहा, घमेला, तगाड़ी, बाल्टी में गोबर लेकर गौठानों में पहुंच रहे हैं। जिले के सातों विकसखंड के 273 गौठानों में गोबर की खरीददारी की जा रही है। 23 जुलाई की स्थिति में 17 हजार 768 पशु पालकों से 145 क्विंटल से अधिक गोबर की खरीदी की गई है।
मंगनार की गौठान समिति की महिला स्व-सहायता समूह की सदस्यों ने बताया कि इस योजना के माध्यम से स्थानीय स्व-सहायता समूह को रोजगार का अवसर मिला है। वे लोग गोबर से वर्मी कम्पोस्ट के साथ-साथ अगरबत्ती, दिया और गमला बनाकर उसकी बिक्री करेंगे। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा इस महत्वपूर्ण योजना के शुरूआत करने से आज गोबर बहुत किमती एवं महत्वपूर्ण हो गया है। बड़ेमारेंगा के ग्रामीणों ने कहा कि राज्य शासन के विशेष प्रयासों से गोबर ग्रामीणों को हर तरह से लाभ पहुंचाने वाला सामग्री बन गया है। उन्होंने कहा कि गोबर से बने कम्पोस्ट खाद से रासायनिक खादों के निर्भता कम कर जैविक खाद के रूप में उपयोग होने से फसलों और जमीन की गुणवत्ता में सुधार की संभावना से किसान एवं ग्रामीणों उत्साहित हैं।
मंगनार की गौठान समिति की महिला स्व-सहायता समूह की सदस्यों ने बताया कि इस योजना के माध्यम से स्थानीय स्व-सहायता समूह को रोजगार का अवसर मिला है। वे लोग गोबर से वर्मी कम्पोस्ट के साथ-साथ अगरबत्ती, दिया और गमला बनाकर उसकी बिक्री करेंगे। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा इस महत्वपूर्ण योजना के शुरूआत करने से आज गोबर बहुत किमती एवं महत्वपूर्ण हो गया है। बड़ेमारेंगा के ग्रामीणों ने कहा कि राज्य शासन के विशेष प्रयासों से गोबर ग्रामीणों को हर तरह से लाभ पहुंचाने वाला सामग्री बन गया है। उन्होंने कहा कि गोबर से बने कम्पोस्ट खाद से रासायनिक खादों के निर्भता कम कर जैविक खाद के रूप में उपयोग होने से फसलों और जमीन की गुणवत्ता में सुधार की संभावना से किसान एवं ग्रामीणों उत्साहित हैं।