18 घंटे थाने में पत्रकारो को अर्धनग्न अवस्था में रखा और जानबूझकर फोटो खींचकर किया था वायरल,
रायपुर। ये मामला है मध्य प्रदेश के सीधी जिले से जहां लोकतंत्र के चौथे स्तंभ कहे जाने वाले पत्रकारों के खिलाफ अब शिवराज सरकार में कार्यवाही होने लगी है। जिसकी पत्रकारों के द्वारा घोर निंदा की जा रही है। सीधी जिले के भाजपा के कद्दावर नेता व विधायक केदार नाथ शुक्ला के खिलाफ सीधी के पत्रकार कनिष्क तिवारी और उनके साथियों को सीधी पुलिस ने भाजपा विधायक के खिलाफ खबर छापने के विरोध में उन्हें 18 घंटे थाने में बिना कपड़ों के बंद रखा।
इसके अलावा सीधी के थाना प्रभारी ने थाना परिसर में इन पत्रकारों को घुमाया और तस्वीर खींचकर वायरल भी करा दिया। उस तस्वीर के वायरल होते ही मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ के पत्रकारों ने इसकी जमकर निंदा करते हुए इस तरह के घिनौने कृत्य के लिए उन पुलिस कर्मियों के प्रति कड़ी कार्यवाही की मांग की जा रही है। पूरे सीधी जिले के अलावा पूरे प्रदेश में भी अब पत्रकारों के अलावा आम जनता द्वारा भी इसकी घोर निंदा की जा रही है। शिवराज सरकार के भाजपा विधायकों के काले कारनामे उजागर करने वाले पत्रकारों के खिलाफ लगातार उत्पीडऩ की कार्यवाही हो रही है जिसका विरोध पत्रकार के विभिन्न संगठनों के द्वारा विरोध किया जा रहा है। छतरपुर सहित पूरे प्रदेश के पत्रकारों ने इस घटना की घोर निंदा करते हुए इस पर विरोध जताया है।
वहीं इस घटना से नाराजगी जाहिर करते हुए ऑल इंडिया पत्रकार कल्याण महासंघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अनीस लाला दानी, छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष सेवक दास दीवान के साथ प्रदेश महासचिव सुनील यादव सहित प्रदेश के अन्य जिलों के पत्रकारों ने विरोध जताते हुए कहा है कि यदि सीधी जिले में हुए इस घटना में पत्रकारों द्वारा कानून का कोई उलंघन किया गया है तो उन्हें कानूनन संवैधानिक प्रक्रियाओं के तहत कार्यवाही किया जाना था। किंतु पुलिस एक पब्लिक सर्वेंट होते हुए भी अपनी मर्यादाओं से हटकर पत्रकारों के कपड़े उतारकर उनका फोटो वायरल किया जाना घोर निंदनीय है। ऐसे जिम्मेदार पुलिस कर्मियों को अनुशासनहीन कार्य करने के लिए केवल लाइन अटैच करने की कार्यवाही किया जाना अशोभनीय बात है । ऐसे पुलिस कर्मियों के प्रति शासनात्मक कार्यवाही किया जाना चाहिए, जिसकी मांग की जा रही है ।
इसी के साथ इसका विरोध सोशल प्लेट फार्म फेसबुक वॉट्सएप ग्रुपों के माध्यम से भी शुरू हो गया है। मध्यप्रदेश के अलावा छत्तीसगढ़ प्रदेश के पत्रकारों में भी पुलिस की इस कृत्य को लेकर काफी नाराजगी देखी जा रही है ।