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Wednesday, August 23, 2023

विषय बाध्यता खत्म किये जाने राज्य सरकार के फैसले का विरोध * शिक्षक नेताओं ने फैसले पर पुनर्विचार किये जाने किया अनुरोध


 


 रायपुर -विषय बाध्यता खत्म किये जाने के राज्य सरकार के फैसले का विरोध जारी है। मामला एक तरफ जहां हाईकोर्ट में हैं, तो दूसरी तरफ शिक्षक ज्ञापन और मांगपत्र के उच्चजरिये सरकार का इस मामले में ध्यान आकृष्ट कराया है। प्रदेश मे शिक्षक नेतागण ऋषि राजपूत ,आनंद साहू,नीलम मेश्राम ,ललित साहू ,एकलव्य साहू घनश्याम ठाकुर ,सूरज साहू,सुनीता रावल,प्रकाश राणा,अनुपम तिवारी ,अमित साहू,हितेंद्र नेताम,देवेंद्र मानिकपुरी ,अजय सिदार, ने बालक पालक और शिक्षा के हित मे इस नये प्रयोग का विरोध किया है। शिक्षक नेताओं ने तुरंत इस संदर्भ में सरकार को अपने फैसले पर पुनर्विचार का अनुरोध किया है।


ज्ञात हो की छत्तीसगढ मे शिक्षक की पदोन्नति एवं नई भर्ती मे अलग अलग विषयो की बाध्यता को समाप्त कर दिया गया है। शासकीय स्कूलों में अब विषय विशेषज्ञ की आवश्यकता नही है, जबकि आत्मानंद स्कूलों मे ऐसा नही है। ऐसे समय मे जब शिक्षा गुणवत्ता हेतु शिक्षा जगत अनेक प्रयास, नये प्रयोग, उच्च मानक और सावधानियां और अनेक सलाह विशेषज्ञों से ले रही है। तो, विषय बाध्यता को खत्म किया जाना समझ से परे हैं। शिक्षक नेताओं का कहना हैकि मिडिल स्कूलों मे विषय बाध्यता समाप्त कर देना, शिक्षा गुणवत्ता मे गिरावट लाएगी। इससे सरकारी स्कूलों मे पढनें वाले गरीब,किसान ,छत्तीसगढिया बच्चों को सीधे सीधे हानि है।



शिक्षा के अधिकार कानून मे भी विषय शिक्षक का प्रावधान किया गया है। टीईटी मे भी विषय आधार है, जबकी उच्च वर्ग शिक्षक हेतु भर्ती मानक, पदोन्नति मानक स्नातक है यह मान लेना कि दसवी तक सभी विषय पढे हुए, उच्च वर्ग शिक्षक श्रेणी के विषय को अच्छे से पढा लेंगे उचित नही है। उन्होंने कहा है कि विषय विशेषज्ञ स्नातक अभ्यर्थी उपलब्ध हैं। विषय आधार पर भर्ती हुए सहायक शिक्षक पदोन्नति के लिए उपलब्ध हैं। यह निर्णय निश्चित रूप से शिक्षा गुणवत्ता के हक मे नही है।


शिक्षक नेतागण ने कहा है कि अब आर्ट्स विषय वाला गणित और गणित वाला संस्कृत पढाएगा, तो फिर शिक्षा गुणवत्ता कैसी रहेगी। शासन के फैसले पर सहायक शिक्षकों मे नाराजगी भी है। शिक्षक नेताओं ने विषय बाध्यता पुर्व के अनुरुप रखने पुरजोर मांग रखी है। साथ ही ये भी कहा है कि आने वाले समय मे शिक्षा गुणवत्ता के हक मे फैसला वापस नहीं लिया गया, तो वो आंदोलन को बाध्य होंगे। शिक्षक नेताओं ने मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री सहित शीर्ष अधिकारियों से इस संदर्भ में पहल करने की अपील की है।

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