छत्तीसगढ़ संस्कृति की गूंज गुजरात के समाचार पत्रों में अनिता चौधरी की तस्वीर - reporterkranti.in

reporterkranti.in

RNI NO CHHHIN/2015/71899

Breaking

Home Top Ad

Post Top Ad

Wednesday, October 23, 2024

छत्तीसगढ़ संस्कृति की गूंज गुजरात के समाचार पत्रों में अनिता चौधरी की तस्वीर




 महासमुन्द -दिल्ली में हाल ही में आयोजित सांस्कृतिक स्रोत एवं प्रशिक्षण केंद्र (सीसीआरटी) के कार्यक्रम के दौरान छत्तीसगढ़ की श्रीमती अनिता चौधरी और गुजरात की श्रीमती हेतल पटेल ने अपने पारंपरिक पहनावे के माध्यम से अपनी सांस्कृतिक पहचान को प्रस्तुत किया। इस कार्यक्रम में उनकी तस्वीर को गुजरात के भरूच के अखबार में प्रमुखता से प्रकाशित किया गया, जो इनकी सांस्कृतिक धरोहर को मान्यता देने का एक महत्वपूर्ण कदम है।


अनिता चौधरी ने इस अवसर पर पारंपरिक ओड़िया गमछा पहना था, जो ओडिशा और छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है। यह गमछा न केवल एक पहनावा है, बल्कि यह क्षेत्रीय परंपराओं और सांस्कृतिक संबंधों को भी दर्शाता है। दूसरी ओर श्रीमती हेतल पटेल ने सुजानी रजाई धारण की, जो गुजरात के भरूच में हाथ से बुनी जाने वाली एक पारंपरिक कला है। सुजानी रजाई की बुनाई की परंपरा 1860 के आस-पास से चली आ रही है, जिसमें दो कपड़ों के ताने-बाने को बदलकर कपास भर दी जाती है और एक सुंदर रजाई तैयार की जाती है। इसे सजावटी कंबल के रूप में भी उपयोग किया जाता है और यह गुजरात की सांस्कृतिक धरोहर का अभिन्न हिस्सा है। इसके संरक्षण के लिए इसे ओडीओपी (वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रोडक्ट) के अंतर्गत शामिल किया गया है।


भरूच के वर्तमान जिला कलेक्टर  तुषार सुमेरा (IAS) ने इस तस्वीर को अपने आधिकारिक सोशल मीडिया पेज पर साझा किया, जिससे यह समाचार और भी चर्चा में आ गया। इस सम्मान के बारे में मीडिया में चर्चा करते हुए श्रीमती अनिता चौधरी ने कहा, "यह मेरे लिए गर्व का क्षण है। मुझे छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर को इस मंच पर प्रस्तुत करने का सुअवसर मिला। मुझे अत्यधिक खुशी हो रही है।" उन्होंने यह भी बताया कि पारंपरिक ओड़िया गमछा छत्तीसगढ़ और ओडिशा के साझा सांस्कृतिक संबंधों को दर्शाता है, खासकर सराईपाली क्षेत्र में, जहां यह परंपरा आज भी जीवित है।उड़िया गमछा, जो हाथ से बुना जाता है, उड़ीसा और छत्तीसगढ़ के सांस्कृतिक समन्वय का प्रतीक है। सरायपाली जो कभी उड़िसा का हिस्सा हुआ करता था उड़िसा संस्कृति परंपरा अब भी जीवित है और वहाँ के लोगों की खानपान, त्यौहार, बोली और वेषभूषा में झलकती है।


इस कार्यक्रम में न केवल इन दोनों महिलाओं को अपनी संस्कृति का सम्मान करने का अवसर प्रदान किया, बल्कि उनके राज्यों की सांस्कृतिक धरोहर को भी वैश्विक स्तर पर प्रस्तुत किया। यह पहल हमारे सांस्कृतिक विविधता को संजोये  रखने और प्रोत्साहित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्त्रोत बनेगा।

Post Bottom Ad

ad inner footer