योजना से प्राप्त राशि से किसान संवार रहे है अपने खेत-खलिहान
रायपुर। वर्तमान मे कोरोना वायरस संक्रमण काल के दुष्प्रभाव से समाज का हर वर्ग कठिन दौर से गुजर रहा है और इनमें मजदूर किसानो पर इसकी सबसे ज्यादा मार पड़ी है। ऐसे में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा प्रारंभ की गई राजीव गांधी न्याय योजना कृषको के लिए संजीवनी साबित हो रही है। अन्नदाता किसान और कृषि क्षेत्र का संवार्गीण विकास राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। राज्य में लगभग 70 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है। किसान फसल उत्पादन के लिए आवश्यक आदान जैसे उन्नत बीज, उर्वरक, कीटनाशक, यांत्रिकीकरण एवं नवीन कृषि तकनीकी में पर्याप्त निवेश नहीं कर पाते है उपर से कोरोना सक्रमण जैसी महामारी के चलते भी कृषि क्षेत्र प्रभावित हुआ है। राज्य शासन ने पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी की पुण्य तिथि 21 मई से राजीव गांधी किसान न्याय योजना की शुरूआत की है। योजना के तहत किसानों को पहली किश्त दी गई है। इससे किसानों को काफी राहत मिली है।कोण्डागांव जिले के ग्राम कमेला मे लगभग 60 से 70 कृषक राजीव गांधी किसान न्याय योजना से लाभान्वित हुए है। गांव के किसान श्री कालिन्द्र लाल पाण्डे बताते है कि उन्हे योजना के तहत् 19 हजार रुपए की पहली किस्त प्राप्त हुई। जिसका उपयोग वे अपने 4 बच्चो की शिक्षा और आधी राशि का उपयोग कृषि कार्य में खर्च करेंगे, जिससे इस साल और ज्यादा फसल उत्पादन हो सके। एक अन्य कृषक फनिद्र ने बताया कि उनके पास 3 एकड़ की भूमि है जिसमे वे धान, उड़द जैसी फसल लेते है, उन्होंने इस वर्ष 50 से 60 हजार क्विंटल का मक्का विक्रय किया है और योजना के अतंर्गत उनको 8 हजार रुपए की पहली किस्त भी प्राप्त हई है और सम्पूर्ण किस्त के रूप में उनको 72 हजार रुपए की राशि मिलेगी। वे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का आभार व्यक्त करते हुए कहते है कि यह योजना हर किसान के लिए वरदान है। एक है।
कृषक लक्ष्मण सिंह ने सरकार को धन्यवाद देते हुए कहा कि उन्हे इस वर्ष 28 से 30 क्विंटल धान के लिए 70 हजार रुपए की राशि मिली थी और इस योजना के तहत् प्रथम किस्त के रूप मे 7 हजार रुपए मिले है जिसका उपयोग वे उन्नत खाद्य बीज खरीदेंगें। इसी प्रकार इसी गांव के मानकू राम नेताम और लच्छिम कश्यप को भी किसान न्याय योजना के अतंर्गत प्रथम किस्त प्राप्त हो गई है इस प्रकार शासन द्वारा राशि मिलने से इन सभी कृषको के चहरे मे रौनक देखते ही बनती है। उल्लेखनीय है कि योजनान्तर्गत कृषको द्वारा पंजीकृत एवं वास्तविक रकबे के आधार पर निर्धारित राशि प्रति एकड़ की दर से सहायता राशि उनके बैंक खाते में प्रत्यक्ष लाभ हस्तान्तरण के माध्यम से अन्तरित की जा रही है।