बाड़ी में साग-सब्जी का उत्पादन कर किसान हो रहे हैं आत्मनिर्भर
प्रदीप साव/महासमुंद। राज्य सरकार द्वारा किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए नरवा, गरवा, घुरूवा और बाड़ी योजना संचालित की है। जिसके तहत नरवा का जीर्णोद्धार, घुरूवा में खाद निर्माण और बाड़ी में सब्जी-भाजी के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसी कड़ी में बसना विकासखण्ड के ग्राम हाड़ापथरा के कृषक यादराम साव का डी.एम.एफ. बाड़ी विकास अंतर्गत चयन किया गया है। वे अपने बाड़ी में साग-सब्जी की खेती कर रहें हैं। किसान यादराम साव ने बताया कि उद्यानिकी विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों द्वारा समय-समय पर तकनीकी मार्गदर्शन भी दिया जाता है। उनके द्वारा लगाई गई फसल से अनेक सब्जियों का उत्पादन होे रहा है। जिसमें प्रतिदिन के हिसाब से भिण्डी 10 किलोग्राम, बरबटी 5 किलोग्राम, टमाटर 10 किलोग्राम एवं बैंगन 15 किलोग्राम। इसी प्रकार 02 दिवस के अंतराल में लौकी 20 नग, 03 दिवस के अंतराल में करेला 05 किलोग्राम एवं 05 दिवस के अंतराल में मिर्च 01 किलोग्राम उत्पादित हो रहा हैं। जिससे उन्हें अच्छी लाभ प्राप्त हो रही है। उन्होंने बताया कि घर में सब्जी के उपयोग के साथ अब तक लगभग 35 हजार रुपए तक सब्जी का विक्रय उनके द्वारा किया जा चुका है। कृषि विभाग द्वारा उन्हें 20 किलोग्राम वर्मी कम्पोस्ट, टमाटर बीज 05 ग्राम, बैंगन बीज 05 ग्राम, भिण्डी बीज 556 ग्राम, करेला बीज 40 ग्राम, लौकी बीज 40 ग्राम एवं मिर्च बीज 15 ग्राम उपलब्ध कराया गया था।इसी प्रकार ग्राम कलमीदादर के बाड़ी कृषक अहिबरन सिदार ने बताया कि उद्यान विभाग द्वारा प्रदाय भिण्डी बीज के साथ-साथ बरबटी की फसल भी उनके द्वारा लिया जाता है। भिण्डी दो दिन के अंतराल मे 18-20 किलोग्राम एवं बरबटी प्रतिदिन तीन किलोग्राम निकल रहा है। जिससे उन्हें अच्छी आमदनी हो रही है। बाड़ी कृषकों को विभागीय मैदानी अमलें द्वारा समय-समय पर तकनीकी मार्गदर्शन दिया जा रहा है। जिससे आत्मनिर्भर होकर सफलतापूर्वक सब्जी उत्पादन का कार्य कर रहे हैं।
इसके अलावा महासमुंद विकासखण्ड के ग्राम कछारडीह के कृषक नंदुराम पटेल को बाड़ी योजना के तहत भिण्डी एवं लौकी के बीज तथा वर्मी कम्पोस्ट खाद प्रदाय किया गया है। कृषक के द्वारा लगाई गई भिण्डी की फसल दो दिन के अंतराल मे 10-12 किलोग्राम निकल रहा है। जबकि जिले मे 4000 बाड़ी क्रियान्वित है। जिससे प्रतिदिन लगभग 250 क्विंटल सब्जी का उत्पादन हो रहा है, जिससे उनके लिए अतिरिक्त आय का साधन बन गया है। जो कि कोरोना संकट के समय लॉकडाउन की स्थिति में कृषकों के लिए वरदान साबित हुआ है।