नई दिल्ली: आज एक ऐतिहासिक दिन है. करीब 500 साल बाद एक अद्भुत सूर्यग्रहण लगने जा रहा है. अब से करीब पौने दो घंटे बाद 10 बज कर 20 मिनट पर सूर्यग्रहण लगेगा,यानी जो करीब 6 घंटे तक चलेगा. दिन में अंधेरा छा जाएगा. वैसे तकनीकी तौर पर ये ग्रहण सुबह 9 बजकर 15 मिनट पर लग चुका है लेकिन भारत में ये 10 बजे के बाद ही नजर आएगा. ग्रहण लगने के बाद सूरज चांद के पीछे छिप जाएगा. ये सूर्यग्रहण कुछ वक्त तक आंशिक और कुछ समय के लिए पूर्ण सूर्यग्रहण भारत में दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और कानपुर समेत कई शहरों में लोग इस सूर्यग्रहण को देख सकेंगे. हर जगह सूर्यग्रहण को देखने की तैयारियां चल रही हैं. खास तौर पर तारामंडलों में इसके लिए विशेष व्यवसथा की गई है। खगोल विज्ञान यानी एस्ट्रोनॉमी में दिलचस्पी रख?े वाले लोगों के लिए ये बहुत बड़ा मौका है क्योंकि इस तरह का ऐतिहासिक सूर्यग्रहण को देखने का मौका सदियों बाद मिलता है. देश के कुछ हिस्सों में आज वलयाकार सूर्यग्रहण दिखाई देगा. इसमें सूर्य अग्नि वलय की तरह दिखेगा. पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने कहा है कि ग्रहण का आंशिक रूप सुबह 9.16 बजे शुरू होगा. वलयाकार रूप सुबह 10.19 बजे शुरू होगा और यह दोपहर 2.02 बजे खत्म होगा. ग्रहण का आंशिक रूप दोपहर 3.04 बजे खत्म होगा. एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी आॅफ इंडिया ने कहा है, 'दोपहर के करीब, उत्तर भारत के कुछ क्षेत्रों में सूर्य ग्रहण एक सुंदर वलयाकार रूप (अंगूठी के आकार का) में दिखेगा क्योंकि चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह से नहीं ढक पाएगा.' ग्रहण का वलयाकार रूप सुबह उत्तर भारत के राजस्थान, हरियाणा और उत्तराखंड के कुछ हिस्सों में दिखाई देगा. इन राज्यों के भीतर भी कुछ प्रमुख स्थान हैं, जहां से स्पष्ट पूर्ण ग्रहण दिखेगा, जिनमें देहरादून, कुरुक्षेत्र, चमोली, जोशीमठ, सिरसा, सूरतगढ़ शामिल हैं. देश के बाकी हिस्सों से, यह आंशिक सूर्य ग्रहण के रूप में दिखाई देगा. यह कांगो, सूडान, इथियोपिया, यमन, सऊदी अरब, ओमान, पाकिस्तान और चीन से भी होकर गुजरेगा. दिल्ली में नेहरू तारामंडल की निदेशक एन रत्नाश्री ने कहा कि अगला वलयाकार ग्रहण दिसंबर 2020 में पड़ेगा, जो दक्षिण अमेरिका से देखा जाएगा. 2022 में एक और वलयाकार ग्रहण होगा, लेकिन वह शायद ही भारत से दिखाई देगा. सूर्य ग्रहण अमावस्या के दिन होता है जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है और जब तीनों खगोलीय पिंड एक रेखा में होते हैं. वलयाकार सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा का कोणीय व्यास सूर्य से कम हो जाता है, जिससे चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह से नहीं ढक पाता है. इसके परिणामस्वरूप, चंद्रमा के चारों ओर सूर्य का बाहरी हिस्सा दिखता रहता है, जो एक अंगूठी का आकार ले लेता है. यह अग्नि-वलय की तरह दिखता है. दिल्ली में लगभग 94 प्रतिशत, गुवाहाटी में 80 प्रतिशत, पटना में 78 प्रतिशत, सिलचर में 75 प्रतिशत, कोलकाता में 66 प्रतिशत, मुंबई में 62 प्रतिशत, बेंगलुरु में 37 प्रतिशत, चेन्नई में 34 प्रतिशत, पोर्ट ब्लेयर में 28 प्रतिशत ग्रहण दिखाई देगा. मुंबई के नेहरू तारामंडल के निदेशक अरविंद परांजपे ने कहा, 'दिल्ली जैसी जगहों पर दिन में 11 से 11.30 बजे तक पांच-सात मिनट तक अंधेरा रहेगा.' उन्होंने लोगों को आगाह किया कि सूर्य ग्रहण को नग्न आंखों से नहीं देखना चाहिए, यहां तक कि बहुत कम समय के लिए भी बिना उपकरण के नहीं देखना चाहिए, इससे आंख की रोशनी प्रभावित हो सकती है.' सूर्य ग्रहण को सुरक्षात्मक उपकरण के माध्यम से देखना सुरक्षित रहता है. कई संगठनों ने ग्रहण पर व्याख्यान आयोजित किए हैं. दिल्ली स्थित नेहरू तारामंडल ग्रहण पर परिचर्चा का आयोजन करने के अलावा इसकी वेबकास्टिंग भी करेगा.
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Sunday, June 21, 2020
सूर्य ग्रहण शुरू, जानें ग्रहण से जुड़ी सभी बातें
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सेवक दास दीवान
संपादक, रिपोर्टर क्रांति
प्रदेश कार्यालय - प्रमोद गुरु बालापीर धाम महादेव घाट रायपुर (छ ग)