बलरामपुर। भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का त्यौहार रक्षाबंधन अगले महीने 03 अगस्त को मनाया जाएगा। सावन माह की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाने वाला यह त्यौहार भाई-बहन के प्यार को समर्पित है तथा उनके बीच अटूट रिश्ते को दर्शाता है। इस त्यौहार में बहनें भाइयों के कलाईयांे पर रक्षासूत्र बांधती हैं और ईश्वर से भाई की सकुशलता के लिए प्रार्थना करती हैं। लेकिन कोविड-19 वायरस से बचाव हेतु लाॅकडाउन लागू होने से राखियों की सप्लाई नहीं हो रही है और कहीं राखियों की दुकान भी नहीं लगी है, ऐसे समय में बहनों के लिए स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने खुद राखी बनाने का कार्य प्रारम्भ किया है। राखियों ने स्वसहायता समूह से जुड़े लोगों की जिंदगी को संवार दी और आमदनी से घर-परिवार खुशहाल हैं।
रक्षाबंधन के त्यौहार में हर वर्ष अधिकतर चाईनीज राखियों से पूरा बाजार सज जाता था और लोग भी इसकी काफी खरीददारी करते थे, देश में चाईनीज सामानों पर प्रतिबंध होने के बाद इस वर्ष शासन भी देशी राखी बनाने का जोर दे रही थी। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन बलरामपुर की सहायता से विकासखण्ड राजपुर के ग्राम पंचायत भिलाईखुर्द की नवा अंजोर स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने गुगल नेट मंे डिजायन देखकर खुद से राखी का निर्माण कर रही हैं। राखी के निर्माण में महिलाएँ स्थानीय चीजों का इस्तेमाल कर सुन्दर एवं आकर्षक राखियां बना रही हैं। इन राखियों की मांग अब स्थानीय स्तर पर बढ़ने लगी है। स्व-सहायता समूह की महिला श्रीमती कलेश्वरी एवं बिनिता बेक बताती हैं कि जनपद पंचायत राजपुर के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने हमें राखी बनाने हेतु प्रोत्साहित किया। हमारे स्वसहायता समूह में 8 महिलाएं हैं और हमने एक मत होकर राखी बनाने का निर्णय लिया तथा स्थानीय चीजों का उपयोग कर 5 रूपए से लेकर 100 रूपए तक की राखियां बना रहे हैं, हमने 5 हजार राखी बनाने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने बताया कि अब स्थानीय व्यापारी भी राखी खरीदने के लिए हमारे पास पहुंचने लगे हैं। स्थानीय व्यापारी विष्णु गर्ग ने बताया कि हर साल बाहर से राखी आने पर वो व्यापार अच्छे से कर लेते थे, लेकिन इस वर्ष कोविड-19 के कारण लाॅकडाउन होने से उन्हें उम्मीद नहीं थी कि राखी का व्यापार कर पाएंगे लेकिन जब उन्हंे पता चला कि गांव की महिलाएँ अपने हुनर से राखी बना रही हैं तो हमें सुनकर अच्छा लगा और अब हम यहाँ से राखी खरीद कर बाजार में बेच रहे हैं। जनपद पंचायत राजपुर के मुख्य कार्यपालन अधिकारी भी महिलाओं द्वारा किए जा रहे कार्य की सराहना कर रहे हैं। उन्होंने महिलाओं को प्रशासन द्वारा हर संभव मदद करने की बात कही है। साथ ही अपने स्टाॅफ और अन्य शासकीय अधिकारियों कर्मचारियों को भी समूह से राखी खरीदने को कहा जिससे महिलाओं का हौसला बढ़ाया जा सके।
रक्षाबंधन के त्यौहार में हर वर्ष अधिकतर चाईनीज राखियों से पूरा बाजार सज जाता था और लोग भी इसकी काफी खरीददारी करते थे, देश में चाईनीज सामानों पर प्रतिबंध होने के बाद इस वर्ष शासन भी देशी राखी बनाने का जोर दे रही थी। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन बलरामपुर की सहायता से विकासखण्ड राजपुर के ग्राम पंचायत भिलाईखुर्द की नवा अंजोर स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने गुगल नेट मंे डिजायन देखकर खुद से राखी का निर्माण कर रही हैं। राखी के निर्माण में महिलाएँ स्थानीय चीजों का इस्तेमाल कर सुन्दर एवं आकर्षक राखियां बना रही हैं। इन राखियों की मांग अब स्थानीय स्तर पर बढ़ने लगी है। स्व-सहायता समूह की महिला श्रीमती कलेश्वरी एवं बिनिता बेक बताती हैं कि जनपद पंचायत राजपुर के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने हमें राखी बनाने हेतु प्रोत्साहित किया। हमारे स्वसहायता समूह में 8 महिलाएं हैं और हमने एक मत होकर राखी बनाने का निर्णय लिया तथा स्थानीय चीजों का उपयोग कर 5 रूपए से लेकर 100 रूपए तक की राखियां बना रहे हैं, हमने 5 हजार राखी बनाने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने बताया कि अब स्थानीय व्यापारी भी राखी खरीदने के लिए हमारे पास पहुंचने लगे हैं। स्थानीय व्यापारी विष्णु गर्ग ने बताया कि हर साल बाहर से राखी आने पर वो व्यापार अच्छे से कर लेते थे, लेकिन इस वर्ष कोविड-19 के कारण लाॅकडाउन होने से उन्हें उम्मीद नहीं थी कि राखी का व्यापार कर पाएंगे लेकिन जब उन्हंे पता चला कि गांव की महिलाएँ अपने हुनर से राखी बना रही हैं तो हमें सुनकर अच्छा लगा और अब हम यहाँ से राखी खरीद कर बाजार में बेच रहे हैं। जनपद पंचायत राजपुर के मुख्य कार्यपालन अधिकारी भी महिलाओं द्वारा किए जा रहे कार्य की सराहना कर रहे हैं। उन्होंने महिलाओं को प्रशासन द्वारा हर संभव मदद करने की बात कही है। साथ ही अपने स्टाॅफ और अन्य शासकीय अधिकारियों कर्मचारियों को भी समूह से राखी खरीदने को कहा जिससे महिलाओं का हौसला बढ़ाया जा सके।