सुनील यादव, गरियाबंद। जिला खनिज विभाग के अफसर ने तो बकायदा कृषि जमीन पर ही भंडारण करने की एनओसी जारी कर दी है। जबकि गौण खनिज भंडारण अधिनियम के तहत प्रवर्तित (डायवर्सन)भूमि पर ही रेत भंडारण के लिए पात्रता होगी। किन्तु यहाँ पदस्थ अफसर अपनी मनमर्जी से नियम तय कर रहे हैं।
पूरा माजरा यह है कि बारिश काल में 15 जून से 15 अक्टूबर तक प्रदेश के समस्त रेत खदानों में शासन के निदेर्शानुसार रेत खनन व परिवहन पर बैन लगा हुआ है।
शासन के नियमों को चैलेंज करतर हुए रेत माफियाओं के इशारों पर खनिज अफसर व जिला प्रशासन के मुखिया खुद का कानून फॉलो कर रहे है। अब हो ये रहा है कि शासन को रेत लोडिंग व ट्रांसपोर्ट करने के एवज में किसी भी तरह के रायल्टी नहीं देने पड़ रहे हैं। बारिश कॉल में रेत की कीमत भी दोगुना है,दोगुने कीमत पर ही गरियाबंद रेत घाटों से रेत बिक्री हो रही है। रेत से होने वाले इनकम सीधा-सीधा संलिप्त पार्टनर के बीच बराबर हिस्सेदारी में बंटवारा हो रही है।
ऐसा है रेत का खेल...
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक जिले के रेत खदानों से प्रतिदिन 400 हाईवा से रेत परिवहन हो रही है। गरियाबंद जिला में 1 हाईवा की अनुमानित लोडिंग खर्च 6000 रुपये है। इस तरह से महज एक दिन में 24 लाख रुपये और एक सप्ताह में लगभग 17 करोड़ रुपये का हिसाब-किताब बैठता है। गरियाबंद की रेत रायपुर दुर्ग भिलाई व राजनांदगांव जैसे महानगरों में पहुँच कर 25000 से 30000 हजार प्रति हाईवा की दर पर अनलोडिंग हो रहा है। इस बीच शासन के नियमानुसार एक चवन्नी का रायल्टी-शुल्क शासन को नहीं जाता,पूरा पैसा हिस्सेदारी में बंटवारा हो रहा है। इधर जनता और नेता रेत चोरी होने पर शिकायत पर शिकायत करते जा रहे औ? हमारे साहब लोग शासन के महत्वपूर्ण योजना रोका-छेका में व्यस्त है। टीएल की बैठक भी रोका छेका पर शुरू होता है और खत्म भी उसी पर। राजिम क्षेत्र के कुरुसकेरा रेत घाट में स्थानीय ग्रामीण थक गए है शिकायत करते करते,इधर रेत माफिया के गुर्गे शिकायत करने वालों के घर घूंस जा रहे धमकाने। प्रशासन इस कदर गूंगे बहरे बन गए है कि इन्हें सिर्फ उनके आकाओं की ही आवाज सुनाई पड़ती है। सबसे मजेदार बात तो यह है कि जिले के बड़े अफसर की कुर्सी महज अक्टूबर माह तक के लिए लगा है, अब जनता अंधेर गर्दी के पीछे की राज भी समझ गए हैं।
प्रीतम सिन्हा भाजपा नेता गरियाबंद
जिले के रेत खदानों से प्रतिदिन 400 हाईवा से रेत परिवहन हो रही है। गरियाबंद जिला में 1 हाईवा की अनुमानित लोडिंग खर्च 6000 रुपये है। इस तरह से महज एक दिन में 24 लाख रुपये और एक सप्ताह में लगभग 17 करोड़ रुपये का हिसाब-किताब बैठता है। गरियाबंद की रेत रायपुर दुर्ग भिलाई व राजनांदगांव जैसे महानगरों में पहुँच कर 25000 से 30000 हजार प्रति हाईवा की दर पर अनलोडिंग हो रहा है। इस बीच शासन के नियमानुसार एक चवन्नी का रायल्टी-शुल्क शासन को नहीं जाता,पूरा पैसा हिस्सेदारी में बंटवारा हो रहा है।