ठेकेदार द्वारा किए गए कार्य अनियमिताओं को विभाग ने किया अनदेखा?
सुनील यादव
गरियाबंद। पैरी घुम्मर बायां तट कार्य अन्तर्गत किए गए नहर लाइन के कार्य में अलग अलग ठेकेदारों के माध्यम से कार्य किया गया है और शेष कुछ कार्य इसमें बाकी भी देखी गई है । नहर लाइन के कार्य में धांधली उस वक्त देखी गई जब नहर लाइन को किसी रास्ते को काटकर उसमे पुलिया निर्माण करना होता है ।
तकरीबन 6 किलोमीटर की लंबाई में बने पैरी घुम्मर नहर लाइन में ऐसे ही कई पुलिया निर्माण किए गए हैं। जिसे ठेकेदार के द्वारा जलसंसाधन विभाग के अधिकारियों व इंजीनियरों की देखरेख में दुरुस्त किया जाना था,किंतु यहां तो कुछ और ही माजरा है ।
सच का भंडाफोड़ तब हुआ जब 9 महीने के भीतर ही डोंगरीगांव और पारागांव के बीच लिंक रोड में निर्माण किया गया पुलिया बीच से धसक गया और पुलिया के बीचों बीच होल हो गया । होल हुए पुलिया को देखने के बाद यह सच सामने आया कि इंजीनियरों की देखरेख में गरियाबंद जलसंसाधन विभाग के अधिकारियों का क्या काम चल रहा है जहां ठेकेदार द्वारा पूरा चुना लगाने का काम किया गया है और अधिकारी इसके बारे में जानते हुए भी उक्त ठेकेदार का पूरा पैसा पास कर भुगतान भी कर देता है ?
नहर लाइन में हुए ध्वस्त पुलिया में ठेकेदार द्वारा बेस देना जरूरी होता है जिसके कारण पुलिया मजबूत और टिकाऊ बन सके जिसमे प्लेट लेंटर के पहले कन्फेक्शन वाटरिंग डालकर मजबूती के लिए बेस देना पड़ता है जो नहीं किया गया है । जिसके चलते ट्रैक्टरों व अन्य वाहनों के आवागमन को यह थूक पालीस पुलिया सह नहीं सका और 9 महीने के भीतर पुलिया ध्वस्त हो गया ।
जलसंसाधन विभाग को जैसे ही इस बात की भनक मिलती है कि उनकी भ्रष्ट कार्य की पोल पुलिया ने खोल दी है तो आनन फानन गरियाबंद जल संसाधन विभाग के एसडीओ और इस कार्य को देख रहे इंजीनियर और पुलिया में ठेकेदार के मैनेजमेंट का कार्य देख रहे नुमाइंदे उस पुलिया को पालिस लगाकर फिर से उसे ढंक दिया जाता है । पुलिया के कार्य अनियमितता पर व लापरवाही का सच दबा दिया जाता है ।
अब इस पुलिया में ठेकेदार ने कितनी इमादरी से काम किया है चलिए इस काम के जिम्मेदार जल संसाधन विभाग के सब इंजीनियर साहब से मिलते हैं ।
सी एल साहू इस पर विशेष टिप्पणी करते हुए कहते हैं कि निश्चित ही थूक पालीस का काम किया गया है । जब हम किसी पुलिया का निर्माण करते हैं तो मिट्टी पानी डाल डालकर सोलर चलाना पड़ता है और उसे मजबूती से बिठाना पड़ता है ताकि स्लैब मजबूत रहें हम इसे कॉम्पेक्शन वाटरिंग भी कहते हैं, जो ठेकेदार द्वारा नहीं किया गया जिसके कारण स्लैब धीरे धीरे छोड़ दिया और पुलिया के नीचे तक मिट्टी ने जहां तक स्लैब को छोड़ा है वहां तक ये पुलिया बैठेगा। ठेकेदार द्वारा पुलिया के दोनों किनारों को पिचिंग कार्य किया जाना था वह कार्य भी नहीं हुआ है ।
पुलिया का स्लैब से पहले रेत या मुरूम के साथ अच्छे से कॉम्पेक्शन अगर ठेकेदार द्वारा किया जाता तो पुलिया बीच से ध्वस्त नहीं होता । अभी भी यह पुलिया मजबूत नहीं है विभाग की करतूत और ठेकेदार के अनियमितता का किया गया बखान है । इसी तरह नहर लाइन के कार्य में बने सभी पुलिया की अगर जांच की जाए तो जल संसाधन विभाग की करतूत सामने आएगा जिसके चलते ठेकेदार द्वारा लीपापोती का काम किया जाता है । सरकारें लाखों करोड़ों रुपए कार्य योजना बनाकर विभाग को पैसा आबंटन करते हैं लेकिन ठेकेदार से लेकर अधिकारियों तक कार्य लीपापोती कर पैसों का बंदरबांट किया जाता है जिसका उजागर हो ही जाता है ।