विश्व एड्स दिवस पर विद्यालय के छात्राओं ने जागरूकता रैली निकाली। रैली और विचार गोष्ठी के माध्यम से छात्राओं ने एचआइवी के कारण, लक्षण और बचाव के उपायों के बारे में बताया। रैली के दौरान स्वयंसेवी छात्राओं ने 'जो सुरक्षा से दोस्ती तोड़ेगा वह एक दिन दुनिया छोड़ेगा', 'एड्स दिवस पर है यह नारा एड्स मुक्त हो विश्व हमारा' नारे लगाए शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय हरदी में बुधवार को राष्ट्रीय सेवा योजना की ओर से विश्व एड्स दिवस मनाया गया। इस मौके पर स्कूल परिसर से जागरूकता रैली निकाली गई। रैली को संस्था प्रमुख प्राचार्य श्रीमती व्ही. ठाकुर मैडम जी , कार्यक्रम अधिकारी श्री आर.भारती सर, एम. के.जांगड़े सर , एल.पी.पटेल सर , आर .कोसले सर एवं सभी NSS के स्वंम सेवकों , शिक्षक गणों की ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया
प्रतिवर्ष दुनियाभर के लोगों को एचआईवी संक्रमण के प्रति जागरूक करने के लिए 1 दिसंबर को वर्ल्ड एड्स डे (World AIDS Day) मनाया जाता है। एड्स ह्यूमन इम्यूनोडेफिशियेंसी वायरस (HIV) के संक्रमण के कारण होने वाला महामारी का रोग है। इस दिन को पहली बार 1988 में चिह्नित किया गया था। वहीं साल 1996 में HIV/AIDS पर संयुक्त राष्ट्र ने वैश्विक स्तर पर इसके प्रचार और प्रसार का काम संभालते हुए साल 1997 में विश्व एड्स अभियान के तहत संचार, रोकथाम और शिक्षा पर कार्य करना शुरू किया। जिसके बाद से दुनिया भर में विश्व एड्स दिवस मनाया जाने लगा। एड्स एक ऐसी बीमारी है जिसमें इंसान की संक्रमण से लड़ने की शरीर की क्षमता पर प्रभाव पड़ता है। हालांकि इतने सालों बाद भी अबतक एड्स का कोई प्रभावी इलाज नहीं है। विश्व एड्स दिवस 2021 की थीम 'असमानताओं को समाप्त करना और एड्स का खात्मा है
पहला विश्व एड्स दिवस
पूरा विश्व आज जिस एड्स दिवस को मनाता है, उसकी पहली बार कल्पना 1987 में थॉमस नेट्टर और जेम्स डब्ल्यू बन्न द्वारा की गई थी। थॉमस नेट्टर और जेम्स डब्ल्यू बन्न दोनों डब्ल्यू.एच.ओ.(विश्व स्वास्थ्य संगठन) जिनेवा, स्विट्जरलैंड के एड्स ग्लोबल कार्यक्रम के लिए सार्वजनिक सूचना अधिकारी थे। उन्होंने एड्स दिवस का अपना विचार डॉ. जोनाथन मन्न (एड्स ग्लोबल कार्यक्रम के निदेशक) के साथ साझा किया, जिन्होंने इस विचार को स्वीकृति दे दी और वर्ष 1988 से 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। प्रारंभ में विश्व एड्स दिवस को सिर्फ बच्चों और युवाओं से ही जोड़कर देखा जाता था परन्तु बाद में पता चला कि एचआईवी संक्रमण किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है। जिसके बाद साल 1996 में संयुक्त राष्ट्र ने एड्स का वैश्विक स्तर पर प्रचार और प्रसार का काम संभालते हुए साल 1997 से विश्व एड्स अभियान की शुरुआत की
वर्ल्ड एड्स डे का उद्देश्य
वर्ल्ड एड्स डे मनाने का प्रमुख उद्देश्य एचआईवी संक्रमण की वजह से होने वाली महामारी एड्स के बारे में हर उम्र के लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाना है। आज के समय में एड्स सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है। UNICEF की रिपोर्ट की मानें तो पूरे विश्व में 36.9 मिलियन लोग HIV के शिकार हो चुके हैं। जबकि भारत सरकार द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार भारत में एचआईवी (HIV) के रोगियों की संख्या करीब 2.1 मिलियन बताई जा रही है।
क्या है एचआईवी एड्स?
एचआईवी एक प्रकार के जानलेवा इंफेक्शन से होने वाली गंभीर बीमारी है। एड्स का पूरा नाम 'एक्वायर्ड इम्यूलनो डेफिसिएंशी सिंड्रोम' (acquired immune deficiency syndrome) है। यह एक तरह का विषाणु है, जिसका नाम HIV (Human immunodeficiency virus) है। इस रोग में जानलेवा इंफेक्शन व्यक्ति के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यून सिस्टम) पर हमला करता है। जिसकी वजह से शरीर सामान्य बीमारियों से लड़ने में भी अक्षम होने लगता है। खास बात है कि ये बीमारी तीन चरणों (प्राथमिक चरण, चिकित्सा विलंबता होना और एड्स) में होती है
1959 में कॉन्गो में मिला था पहला मामला
माना जाता है कि 19वीं सदी में पहली बार अफ्रीका के खास प्रजाति के बंदरों में एड्स का वायरस मिला। बंदरों से होते हुए यह बीमारी इंसानों में फैला है। दरअसल अफ्रीका के लोग बंदर को खाते थे, इसलिए कहा जाता है कि बंदर को खाने से वायरस ने इंसान के शरीर में प्रवेश किया होगा। 1959 में कांगो के एक बीमार आदमी की मौत के बाद उसके खून के नमूने में सबसे पहले HIV वायरस मिला था। माना जाता है कि वह पहला HIV संक्रमित व्यक्ति था। किंशास उस समय सेक्स ट्रेड का गढ़ था। इस तरह सेक्स ट्रेड और अन्य माध्यमों से यह बीमारी अन्य देशों में पहुंची।
1960 में यह बीमारी अफ्रीका से हैती और कैरिबियाई द्वीप में फैली। दरअसल औपनिवेशिक लोकतांत्रिक गणराज्य कांगो में हैती के लोग काम करते थे। जहां स्थानीय स्तर पर उनके द्वारा शारीरिक संबंध बनाए जाने से ये बीमारी दूसरों में फैली। जब वे अपने घरों को लौटे तो वायरस उनके साथ हैती पहुंचा। उसके बाद वायरस कैरिबिया से न्यूयॉर्क सिटी में 1970 के दौरान फैला और फिर अमेरिका से बाकी दुनिया में पहुंचा। वहीं 1980 के बाद काफी तेजी से पूरे विश्व में बहुत तेजी से फैली। तब से लेकर अब तक पूरे विश्व में लाखों लोग एड्स के कारण अपनी जान गवां चुके हैं।
एड्स से जुड़ी जानकारी
आज के समय 900 नए बच्चे पूरी दुनिया में हर दिन एड्स का शिकार हो रहे हैं।
भारत में एड्स का पहला मामला 1986 में सामने आया था 60 डिग्री सेल्सियस से ऊपर तापमान होने पर एचआईवी के विषाणु मारे जाते हैं।
एड्स पर बनी पहली हॉलीवुड फिल्म का नाम ‘एंड द बैंड प्लेन ऑन’ था।