रायगढ़। दूर रहे रिश्तेदार से पास स्थित पड़ोसी बेहतर होते हैं।क्योंकि दुख और संकट के समय पड़ोसी ही पहले सहायता के लिए खड़े होते है। बरमकेला का सही सम्मान और विकास कोई कर सकता है तो वो सिर्फ़ सारंगढ़ ही होगा। क्योंकि बरमकेला तहसील बने वर्षों बिन गया लेकिन एक तहसील लेबल में अभी तक वो बुनियादी सुविधाएँ जो बरमकेला को मिलनी थी शायद नही मिल पाई है। वर्तमान में जितने विकास के पथ पर बरमकेला अग्रसर है उसमें सबसे प्रमुख हाथ विधायक उत्तरी गनपत जांगड़े और अरुण मालाकार के बरमकेला के प्रति अगाध प्रेम को जाता है उपरोक्त बातें नवनिर्वाचित नगरपालिका अध्यक्ष सोनी अजय बंजारे ने कही।
सारंगढ़ ही सबसे बेहतर विकल्प-
सोनी अजय बंजारे ने बताया कि सारंगढ़-बरमकेला दोनो एक दूसरे के पर्याय हैं। बिना बरमकेला के सारंगढ़ अधूरा है और सारंगढ़ के साथ ही बरमकेला का चहुमुखी विकास संभव है। क्योंकि इतिहास गवाह है जब भी नव निर्माण होता है उनके विकास की संभावना बढ़ जाती है। जैसे मध्यप्रदेश से छत्तीसगढ़ अलग हुवा तबसे छत्तीसगढ़ विकास के पथ पर सरपट दौड़ रहा है,रायपुर को राजधानी की पहचान,बरमकेला को तहसील का दर्जा और सारंगढ़ को जिले की घोषणा तभी सम्भव हो पाया है जब छत्तीसगढ़ अलग राज्य बना। इसलिए बरमकेला को अपने सुदूर वनांचल गांव डोंगरीपाली क्षेत्रों को विकसित करना है तो सिर्फ सारंगढ़ ही सही विकल्प है।
जनता को फुटबॉल बनाकर खेलना छोड़ें राजनेता-
बरमकेला के सीधे सादे जनता को बरगलाने का काम कुछ राजनेता अपने फायदे के लिए कर रहे हैं। क्योंकि सारंगढ़ जिला में शामिल होते ही बहुतों की राजनैतिक रोटी सेंकने बन्द हो जाएंगी या यूँ कहें उनकी रोटी ही जल जायेगी, ऐसे में कोई नेता क्यों चाहे अपनी राजनीतिक पकड़ कमजोर करना? स्वयं सामने तो नही आ सकते इसलिए कुछ भोलेभाले ग्रामीणों को आगे कर अपना स्वार्थ सिद्ध करना चाहते हैं..!
कुछ ऐसा ही मंजर जब जम्मू-कश्मीर से 370 धारा हटाया गया तो कश्मीर में देखने मिला था। जब वहां की जनता को भय दिखाकर कुछ राजनैतिक पार्टियां जनता को आगे रखकर विरोध कर रही थीं, क्योंकि सबको पता है 370 हटते ही कश्मीर भी विकास के पथ पर अन्य राज्यों की तरह अग्रसर हो जायेगा। बरमकेला की जनता को गुमराह करने वाले कुछ राजनेता भी समझ रहे हैं कि जिस तरह विधायक उत्तरी गनपत जांगड़े और अरुण मालाकर बरमकेला की आम-जनता के बीच लोकप्रिय हो रहे हैं और इनके द्वारा जो विकास कार्य बरमकेला के लिए किया जा रहा है उनसे जनता का जुड़ाव विधायक की ओर बढ़ने लगा है, इसलिए कुछ राजनेता बेचैन होकर जनता को सारंगढ़ के बदले रायगढ़ में ही जुड़े होने की बात कह कर बिलाईगढ़ में मुख्यालय होने और बिलाईगढ़ की अधिक दूरी बताकर भ्रमित कर रहे हैं। जबकि विधायक और कांग्रेस जिलाध्यक्ष स्वयं बता चुके हैं कि समस्त मुख्यालय सारंगढ़ में ही होगा, फिर भी लोगो को गलत जानकारी देना कहीं न कहीं ऐसे नेताओं की मंसा स्पस्ट कर रही है।
रायगढ़ में सर्वसुविधा का एक नया बहाना-
कुछ राजनेता तर्क दे रहे हैं कि रायगढ़ में समस्त सुविधा उपलब्ध है जबकि सारंगढ में अभी बिल्डिंग तक नही है, ऐसे तर्कों से हंसी आनी स्वाभाविक है। क्योंकि अगर जिला बनेगा तो किसी भी क्षेत्र का विकास स्वमेव हो जायेगा, बिल्डिंग , अस्पताल,शासकीय भवन जिला स्तर के होंगे ही। औऱ जब सारंगढ़ का विकास होगा तो साथ ही बरमकेला का विकास होना सुनिश्चित है। आज बरमकेला तहसील होते हुवे भी सारंगढ़ पर ही आश्रित है, तहसील स्तर की सुविधाएं भी बरमकेला के पास उपलब्ध नही हैं, लेकिन जैसे ही बरमकेला सारंगढ़ जिले में शामिल होगा उसकी खुद की पहचान बनेगी। बरमकेला में स्वयं का एसडीएम ऑफिस,कॉलेज,अस्पतालों का उन्नयन सहित दर्जनों काम बरमकेला के विकास के लिए होगा,बरमकेला की जनता का समस्त काम बरमकेला में ही हो जायेगा। डोंगरीपाली क्षेत्र का विकास होगा,सुदूर जंगलों में नकश्ली हलचल का खौफ़ कम होगा आदि अनेक कार्य सारंगढ़ जिला के माध्यम से होगा, क्योंकि विधायक उत्तरी जांगड़े का बरमकेला की जनता से अपार लगाव है और उन्होंने ही भारी मतों से उन्हें विजयी बनाया था, और निश्चित ही विधायक उत्तरी जांगड़े बरमकेला के विकास के लिए बचनबद्ध होंगी। लेकिन कुछ राजनेता ये अब बात बरमकेला की जनता को नही बता रहे हैं उल्टा वो सारंगढ़ और रायगढ़ की सुविधा की तुलना कर रहे हैं। वो जनता को कभी नही बता रहे कि सारंगढ़ से जुड़ने से बरमकेला का कितना विकास और तरक्की होगा। वो बताये भी क्यों? क्योंकि शायद बताने से उनके राजनैतिक कॅरियर का विकास और तरक्की जो रुक जायेगा। ऐसे राजनेता तब तक अपनी टार्च बेच सकते हैं जब तक अंधेरा हो और वो यही चाहते हैं कि बरमकेला अँधेरे मे ही रहे और उनके राजनैतिक टार्च खूब बिक सके।