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Friday, July 1, 2022

 विश्व प्रसिद्ध पूरी रथ यात्रा में डॉ. सम्पत अग्रवाल सहित आज 200 लोग करेंगे प्रभु के दर्शन


बसना विधानसभा के नीलांचल सदस्य एवं वरिष्ठजन होंगे शामिल 



बसना। भारत के चार पवित्र धामों में से एक पूरी जगन्नाथ धाम है। कोविड-19 संक्रमण के प्रभाव कम होते ही नीलांचल सेवा समिति के संस्थापक एवं नगर पंचायत बसना के पूर्व अध्यक्ष डॉ. सम्पत अग्रवाल के साथ बसना विधानसभा क्षेत्र के नीलांचल पदाधिकारियों एवं वरिष्ठजनों समेत 200 लोग इस वर्ष विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा में प्रभु श्री जगन्नाथ स्वामी के दर्शन करेंगे। 



य़ह यात्रा 29 जून को बसना नीलांचल भवन से रथयात्रा दर्शन के लिए पुरी (उड़ीसा) के लिए बसों को नीलांचल ध्वज दिखाकर डॉ. सम्पत अग्रवाल बस को रवाना करेंगे। 30 जून को सुबह श्री जगन्नाथ मंदिर में पूजा-अर्चना कर प्रसाद ग्रहण करने के पश्चात विश्व में अपना एक विशेष पहचान बना चुके उड़ीसा राज्य के  'चिल्का झील' भ्रमण करके श्री जगन्नाथ महाप्रभु जी के रथयात्रा में शामिल होंगे। उदयगिरि व खंडगिरि भ्रमण करने के बाद प्रसिद्ध लिंगराज मंदिर दर्शन के बाद यात्रा के अंतिम पड़ाव में नंदनकानन होते हुए 03 जुलाई को बसना वापसी होगी। तीर्थयात्रा का पूरा खर्चा डॉ. सम्पत अग्रवाल ने उठाया है। रथ यात्रा के लिए मुख्यालय प्रभारी शीत गुप्ता, जर्नलिस्ट प्रकाश सिन्हा को प्रभारी नियुक्ति किए गए है। 


ज्ञात हो नीलांचल सेवा समिति के संस्थापक डॉ. सम्पत अग्रवाल विगत 35 वर्षों से सपरिवार विश्व प्रसिद्ध रथ यात्रा में शामिल हो रहे हैं। इस वर्ष बसना विधानसभा के 200 वरिष्ठ जनों के साथ एक साथ प्रभु के दर्शन करेंगे। 


विश्व प्रसिद्ध रथ यात्रा 1 जुलाई से 


  रथयात्रा उत्सव पूरी दुनिया में मशहूर है, हर साल आषाढ़ माह की शुक्लपक्ष की द्वितीया तिथि को रथयात्रा आरम्भ होती है और शुक्ल पक्ष के 11 वें दिन समाप्त होती है। इस साल रथ यात्रा के उत्सव की शुरुआत 01 जुलाई 2022, दिन शुक्रवार से हो रही है। ढोल, नगाड़ों, तुरही और शंखध्वनि के बीच भक्तगण इन रथों को खींचते हैं।

        रथयात्रा में सबसे आगे बलरामजी का रथ, उसके बाद बीच में देवी सुभद्रा का रथ और सबसे पीछे भगवान जगन्नाथ श्रीकृष्ण का रथ होता है।

         बलरामजी के रथ को 'तालध्वज' कहते हैं, जिसका रंग लाल और हरा होता है। देवी सुभद्रा के रथ को 'पद्म रथ' कहा जाता है, जो काले या नीले और लाल रंग का होता है, जबकि भगवान जगन्नाथ के रथ को 'नंदीघोष' कहते हैं। इसका रंगने वाले इंसान के सारे पाप मिट जाते हैं।


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