सुल्तानिया परिवार अपने पैतृक निवास 50लाख के भवन को स्मृति भवन बनवाकर गांव वालों को सौंपा
सरसींवा - समीपस्थ ग्राम पेंड्रावन सुल्तानिया परिवार द्वारा अपने पिता स्वर्गीय लकेश्वर प्रसाद सुल्तानिया की पैतृक निवास को उनकी याद में 50 लाख का-धर्मशाला बनवा कर ग्रामवासियों को सौपा। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रुप में उपस्थित रमेश जालान द्वारा स्वर्गीय सुल्तानिया को श्रद्धा सुमन अर्पित कर याद करते हुए कहा कि सुल्तानिया परिवार द्वारा अपने पैतृक घर को शुभ कार्य के लिए स्मृति भवन बनवाकर ग्रामवासियों को दान देना बहुत पुण्य का कार्य है । जहाँ अपनों का याद और प्रेम संस्कार जुड़ा रहता है । घर एक ऐसे मंदिर जिसे अपने पिता स्व लखेश्वर प्रसाद सुल्तानिया के स्मृति में पुनः जिर्णोद्धार कर स्मृति भवन के रूप में ग्रामवासियों को सौपा गया है कि यह स्मृति भवन गांव वालों के धार्मिक ,सामाजिक एवं सुख दुख के कार्यो में काम आयेगा । सुल्तानिया परिवार द्वारा जिस उद्देश्य से यह स्मृति भवन हमे सौपा है अब हमारा भी दायित्व बनता है कि इस स्मृति भवन का उपयोग करते हुए साफ सुथरा एवं व्यवस्थित रखे ।
उल्लेखनीय है कि सुल्तानिया परिवार समाज सेवा के कार्यों में हमेशा से ही अग्रसर रहा है चाहे धार्मिक हो या सामाजिक । इसके साथ ही गांव के विभिन्न कार्यक्रमों में हमेशा से ही सहयोगात्मक भूमिका रहा है । गांव में शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए पूर्व में विद्यालय में अतिरिक्त कक्ष का निर्माण भी करवाए थे साथ ही विद्यार्थियों के पढ़ाई का स्तर सुधारने के लिए सुल्तानिया परिवार द्वारा बच्चों को सहयोग करते हुए पुरस्कृत करते रहे हैं। आज सुल्तानिया परिवार द्वारा अपने पुराना पैतृक निवास में लाखों रुपए खर्च कर जीर्णोद्धार कर स्मृति भवन बनवा कर गांव वाले को लोकार्पित कर सौपे हैं। जिसकी ग्राम वासियों के साथ साथ गांव के लोगों ने सुल्तानिया परिवार की भूरी भूरी प्रशंसा प्रशंसा की है । इस अवसर पर सुल्तानिया परिवार के सभी सदस्य सजन , किशन, राजू ,नरेश अशोक, संजय ,महेश , ग्राम पंचायत सरपंच बहादुर सिंह, हीरा सिंह बघेल, दीवान सिंह बघेल ,संतोष केडिया गायत्री सिंह चतुर्भुज सिंह सहित भारी संख्या में ग्रामवासी उपस्थित थे । इसके पूर्व हनुमान जी की प्राण प्रतिष्ठा , रामचरित मानस पाठ का आयोजन किया गया था। तत्पश्चात सामूहिक भोज भी आयोजित किया गया। ग्रामवासियों ने सुल्तानिया परिवार के सदस्यों के ग्राम पेण्ड्रावन पहुचने पर फूल माला पहनाकर आतिशबाजी करते हुए भव्य स्वागत किया गया।