रायपुर। केंद्र सरकार के समान 34 प्रतिशत महंगाई भत्ता और सातवें वेतनमान के आधार पर गृहभाड़ा भत्ते के लिए राज्य के छः लाख के आस पास के अधिकारी/कर्मचारी पांच दिन से हड़ताल पर रहे। 29 जुलाई को हड़ताल का पांचवां व अंतिम दिन था। इधर, राज्य सरकार हड़ताली कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी में है। सामान्य प्रशासन विभाग की उप सचिव मेरी खेस्स ने इस संबंध में सभी विभाग प्रमुखों व कलेक्टर को निर्देश लिखा है। कहा इनके द्वारा किये गए हड़ताल अनुशासनहीनता है इसे ब्रैक इन सर्विस मना गया ।
जैसे की आप लोगो ने कुछ दिन पहले न्यूज़ के माध्यम से पढ़ा होगा की किसान मजदूर संघ ने अधिकारी और कर्मचारियों के काम बंद हड़ताल को अवैध घोषित कर कार्यवाही की मांग की थी । किसान मजदूर संघ का कहना था कि आम जनता का कार्य निर्धारित समय में निपटारा नहीं करने और सम्मानजनक व्यवहार नहीं करने तथा आम जनता के प्रार्थना पत्रों पर बिना रिश्वत के निराकरण नहीं करने वालो को पुरानी पेंशन योजना से पुरूस्कृत करना जनहित के विरुद्ध और राजकोष को आर्थिक क्षति पहुंचाने का तुगलकी निर्णय है। जबकि म.प्र. शासन के द्वारा विवेकपूर्ण निर्णय लेकर शासकीय सेवकों के पुरानी पेंशन के मांग को स्वीकार नहीं कर विशेषज्ञों की कमेटी गठित की गई है।
राज्य के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के द्वारा दिनांक 25.07.2022 को केन्द्र सरकार के समान गृह भत्ता एवं मंहगाई भत्ता के भुगतान की मांग को लेकर किया गया हड्ताल अवैधानिक है। क्योंकि केन्द्र सरकार के अधिकारियों /कर्मचारियों की पदस्थापना अंतर राजकीय किया जाता है। जबकि राज्य के अधिकारियों /कर्मचारियों की पदस्थापना राज्य के अंतर्गत और अनेकों अधिकारियों/कर्मचारियों का पदस्थापना उनके गृह जिले एवं गृह नगर में भी है। केन्द्र सरकार के घोषित अवकाश की तुलना में राज्य शासन का घोषित अवकाश में बहुत अधिक अंतर है। केन्द्र सरकार के वेतनमान एवं गृह भत्ता व मंहगाई भत्ता के अनुरूप मांग किया जाना अनुचित और अवैधानिक है। इसलिए इस काम बंद हड़ताल को अवैध घोषित कर अधिकारियों /कर्मचारियों के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही किया जाना जनहित में आवश्यक है। निश्चित तौर पर यह देखा गया है की इस हड़ताल से लोगो को कितनी परेशानी हुई पुरे प्रदेश के हर वर्ग को परेशानियों का सामना करना पड़ा जिसमे बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक प्रभावित हुए ।