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Saturday, February 24, 2024

ब्रम्हलीन बाबा विष्णुशरण के द्वारा उड़िया भाषा में अनुवादित साहित्य सुंदर काण्ड का किया गया विमोचन


 


बसना - मानव मंगल साधना संस्थान के तत्वावधान में पूज्यवर बाबा गंगा जी के सानिध्य में वार्षिक समारोह का आयोजन नेताजी सुभाष चौक पर रखा गया। आयोजित कार्यक्रम में डॉ चितरंजन कर, घनाराम साहू,मुन्नी लाल मरावी अध्यक्ष आदिवासी समाज चांपा जांजगीर, प्रेमलाल सिदार संवरा समाज अध्यक्ष रायगढ़, जयदेव भोई , हरिचरण प्रधान, अशोक जोशी, प्रवीण प्रवाह मंचासीन रहे। उपस्थित अतिथियों के कर कमलों ब्रम्हलीन बाबा विष्णुशरण जी के द्वारा रचित उड़िया लिपि में सुंदर काण्ड व एन पी नैरोजी द्वारा संकलित भक्त शिरोमणि माता शबरी नामक लघु पुस्तिका का विमोचन किया गया।

  कार्यक्रम के प्रमुख अतिथि वक्ता डॉ चितरंजन कर सेवानिवृत्त प्रोफेसर ने अपने उद्बोधन में कहा कि आध्यात्मिक संत पूज्य पाद बाबा विष्णुशरण जी की साहित्यिक कृतियां आध्यात्म का सहज सरस संदेश देती हैं। आध्यात्म से संबंधित उनकी रचनाएं कालजयी हैं। श्री नारायण नैरोजी ने अपने गुरु की पुस्तकों का प्रकाशन दायित्व निभाकर गुरु शिष्य के पावन संबंध को अमर कर दिया है। तुलसीकृत श्रीरामचरितमानस का उड़िया में अनुवाद करके श्री ने मानस महिमा गरिमा में चार चांद लगा दिया है। बाबा जी के संस्मरणों का प्रकाशन का संकल्प नारायण नैरोजी ने वर्तमान तथा भावी पीढ़ियों के लिए बहुमूल्य लक्ष्य अपनाया है। बाबा विष्णुशरण साहित्य, संस्कृति,आध्यात्म की त्रिवेणी में स्नान करने वाले ही नहीं वे अवगाहन करके मोती निकालने वाले संत के रूप में अमर रहेंगे।

  समारोह में अध्यक्षता कर रहे घनाराम साहू प्रोफेसर इंजीनियरिंग महाविद्यालय रायपुर ने अपने विचारों को व्यक्त करते हुए कहा कि न ही कलाकार,न ही रचनाकार,न ही साहित्यकार हूं। मैं इनमें से कोई कार नहीं हूं। मैं एक छोटा सा भू वैज्ञानिक हूं। मुझमें निक जो जुड़ा है मैं वही हूं। मैं बहुत सारे कृतियां आध्यात्म में खोज रहा हूं। माता शबरी का वास्तविक नाम क्या है यह खोज का विषय है। माता शबरी पुस्तिका के संदर्भ में साहू जी ने प्रकाश डालते हुए सभी से अनुरोध किया कि शबरी के माता-पिता का नाम,शबर कन्या या शबरी का मूलनाम किसी ग्रंथ में अथवा कहीं भी उपलब्ध हो तो उसे खोजा जाना चाहिये।मेरा विषय साहित्य कभी नहीं रहा है। भौतिक एवं रसायन विज्ञान का अधेता रहा हूं, इसलिए मैं किसी भी विषय को उसी दृष्टिकोण से परखने का प्रयास करता हूं। घनाराम साहू ने  ठाकुर प्यारेलाल सिंह द्वारा प्रकाशित राष्ट्रबंधु नामक पत्रिका के संपादक रहे बाबा विष्णुशरण जी का लेख सन् 1950 की प्रति प्रस्तुत की।इतिहास में फुलझर से राजिम तक भैना राजाओं का राज रहा है। पूर्वजों का इतिहास, उनकी संस्कृति, परम्परा उनके द्वारा की गई विभिन्न रचनाएं, कलाकृतियां खोज करना और उसे सहेज कर रखना ही हमारा मुख्य उद्देश्य है। घनाराम साहू ने राजिम, शिवरीनारायण, महाकौशल के अलावा अन्य विषयों पर भी बहुत ही सुन्दर ढंग से व्याख्या करते हुए विचारों को व्यक्त किया। अशोक जोशी अध्यक्ष श्रीराम मंदिर समिति ने बाबा की विद्वता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ऐसा ज्योतिषाचार्य विद्वान व्यक्ति मैंने कभी न देखा,न सुना है। रमेश अग्रवाल गुरूजी ने बाबा विष्णुशरण जी को दीन दुखियों का सहारा बताया। समाज सेवी नारायण श्रीवास्तव ने बाबा जी अद्वितीय गुणों का बखान करते हुए कहा कि गरीबों के हर मुसीबतों में खड़े होते थे। उन्हें गरीबों का मसीहा कहा जाता था। वयोवृद्ध अक्रूर भोई अपने संस्मरण सुनाते हुए कहा कि पुट्ठ पर्थी के सत्य साईं बाबा के आश्रम शांति निलयम में जब बाबा साथ गये थे ,तब श्री सत्य साईं बाबा सीधे बाबा जी के पास आकर रूकते थे।समारोह को साहित्यकार प्रवीण प्रवाह, हरिचरण प्रधान पूर्व संभागीय अध्यक्ष बिशासहे कुल कोलता समाज,लच्छी लाल भोई,डोलामणी साव, कल्याण सिंह बरिहा, त्रिलोचन प्रधान आदि ने भी अपने अपने विचारों को व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ संध्या भोई प्रोफेसर शासकीय महाविद्यालय सरायपाली ने किया। कार्यकारी अध्यक्ष जगदीश दास राजन ने उपस्थित सभी महानुभावों का आभार प्रकट कर धन्यवाद ज्ञापित किया। 

   उक्त अवसर पर मानव मंगल साधना संस्थान के अध्यक्ष नारायण प्रसाद नैरोजी,कार्यकारी अध्यक्ष जगदीश दास राजन, रासबिहारी प्रधान महासचिव , आनंद मदनानी, नारायण श्रीवास्तव, चन्द्रभानू साहू,मथामणि भोई, पत्रकार बंधुओं के अलावा भारी संख्या में गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।

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