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Wednesday, March 20, 2024

दंतेवाड़ा की मड़ई में बिखरने लगी फागुनी छटा, चतुर्थ पालकी के साथ ‘‘लमहामार‘‘ की रस्म

 


दंतेवाड़ा, 19 मार्च 2024। दंतेवाड़ा की प्रसिद्ध फागुन मंडई धीरे-धीरे अपने पूरे शबाव की ओर बढ़ने लगी है गाँव-गाँव से ‘‘सिरहा‘‘ एवं ग्रामीण अपने-अपने देवी-देवताओं के छत्र, बैरक एवं ध्वजा के साथ मंडई में शामिल हो रहे है। 9 दिनों तक चलने वाले इस धार्मिक आयोजन के तीसरे दिन तृतीय पालकी के साथ ‘‘नांचमाडनी‘‘ की रस्म परम्परानुसार संपन्न की गई। तीसरे दिन माई जी की तृतीय पालकी परम्परानुसार मंदिर से नारायण मंदिर पहुंची जहाँ विधिवत पूजा-अर्चना, सलामी एवं अन्य रस्म अदायगी के पश्चात् देर शाम मंदिर वापस लौटी जहाँ ‘‘नांचमाडनी‘‘ की रस्म का आयोजन किया गया। ज्ञात हो कि‘‘नांचमाडनी‘‘ की रस्म के दौरान ‘‘गमान नाचा‘‘ का आयोजन होता है। जिसमें माई जी की डोली मंदिर वापसी के पश्चात् कलार, कुम्हार तेंलगा जाति के लोग माई जी के मंदिर से कलश स्थापना स्थल तक परम्परा अनुसार विधिवत् पूजा-अर्चना एवं अन्य रस्म स्वागत नृत्य करके पूजा स्थल पहुंचते है। दक्षिण बस्तर की प्रसिद्ध फागुन मंडई के कल पांचवे दिन पंचम पालकी माई जी की मंदिर से नारायण मंदिर पहुंचकर परंपरानुसार अदायगी के पश्चात् देर शाम वापस मंदिर पहुंचेगी तत्पश्चात् शिकारी नृत्यों की परम्परा अनुसार ‘‘लमहा मार नृत्य‘‘ का आयोजन होगा। ज्ञात हो कि ‘‘लमहामार‘‘ दरअसल में स्थानीय हल्बी बोली का शब्द है, जिसमें ‘‘लमहा अर्थात् खरगोश‘‘ के शिकार को कहा जाता है। इसमें ग्रामीणों द्वारा खरगोश के शिकार की प्राचीन परम्परा का अभिनय नृत्य के माध्यम से प्रदर्शन किया जाता है।

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