बसना। ग्राम पंचायत नरसिंहपुर जर्रा निवासी सेमबाई सिदार पति चंद्रशेखर सिदार ने पंचायत सरपंच नवलीन मांझी पर गंभीर आरोप लगाते हुए न्याय की गुहार लगाई है। पीड़िता का कहना है कि बिना किसी गलती के उन्हें सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ रहा है, जिसके कारण उनका और बच्चों का जीवन संकट में है।
पारिवारिक हालात गंभीर
सेमबाई सिदार अपने सात वर्षीय जुड़वा बच्चों के साथ अलग रहती हैं। उनका पति चेन्नई की एक फैक्ट्री में मजदूरी कर परिवार का भरण-पोषण करता है। पीड़िता का कहना है कि उनके ससुर सुखीराम सिदार के घर से अवैध मदिरा बिक्री के संदेह में तलाशी ली गई थी, जिसमें केवल व्यक्तिगत सेवन हेतु शराब पाई गई। इसके बाद उन पर ₹51,000 का अर्थदंड लगाया गया।
भुगतान करने में असमर्थता के चलते परिवार पर दबाव बनाया गया और अंततः जमीन गिरवी रखकर सरपंच को ₹10,000 का भुगतान किया गया।
अतिरिक्त धन की मांग और बहिष्कार
सेमबाई ने आरोप लगाया कि 27 अगस्त को ग्राम सभा की बैठक आयोजित की गई, लेकिन उसके निर्णय की जानकारी उन्हें नहीं दी गई। इसके बाद सरपंच ने उनके ससुर से ₹10,000 लेने के बावजूद उनसे ₹5,000 की अतिरिक्त मांग की। आर्थिक तंगी के कारण यह राशि न दे पाने पर उनके पूरे परिवार को सामाजिक बहिष्कार का शिकार होना पड़ा।
उन्होंने बताया कि अब न तो ग्रामीण उनसे बातचीत कर रहे हैं और न ही राशन दुकान से उन्हें सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है,सार्वजनिक नल कूप में पानी तक लेने में मना है।
भावुक होकर सेमबाई ने कहा –
“यदि मेरे ससुर ने कोई गलती की है तो सजा उन्हें मिले। लेकिन मुझे और मेरे मासूम बच्चों को क्यों सजा दी जा रही है? पति मजदूरी के लिए बाहर रहते हैं। मैं गरीब तबके की महिला हूं। मेरे साथ हो रहा यह व्यवहार अन्यायपूर्ण है। मुझे न्याय चाहिए।”
प्रशासनिक उदासीनता
पीड़िता ने बताया कि उन्होंने मामले की शिकायत पिथौरा एसडीएम और बसना थाना में की है। संबंधित दस्तावेज़ भी दिखाए गए हैं, लेकिन शासन प्रशासन के द्वारा अब तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है।
ग्रामीणों के अनुसार, सरपंच का यह फैसला है कि जो भी व्यक्ति सेमबाई को काम देगा, राशन देगा या उससे बातचीत करेगा, उस पर ₹10,000 का जुर्माना लगाया जाएगा।
सरपंच की चुप्पी
इस संबंध में सरपंच से संचार के माध्यम से संपर्क किया गया परंतु फोन रिसीव करना उचित नहीं समझा।