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Saturday, May 30, 2020

जीवन में अध्यात्म का महत्व


ॐ संगच्छध्वं संवदध्वं
सं वो मनांसि जानताम्
देवा भागं यथा पूर्वे
सञ्जानाना उपासते।।
अध्यात्म का शाब्दिक अर्थ - अंतर्मन हो जाना अर्थात अपनी आत्मा की आवाज है। जीवन में अध्यात्म का बड़ा ही महत्व है। अध्यात्म योग दोनों एक दूसरे के पूरक है। योग साधनाओं में यम,नियम,आसन,प्राणायाम,प्रत्याहार,धारणा, ध्यान,समाधि,बंध एवं मुद्रा सत्कर्म युक्त आहार मंत्र जप युक्त कर्म आदि साधनाओं से हम अध्यात्म के परम्आंनद की प्राप्ति कर सकते हैं।
    आज मानव सांसारिक सुख सुविधाओं से लिप्त है। सांसारिक सुख एक बाह्य सुख है। मानव अपने पूरे जीवन को सांसारिक सुख में ही बिताकर नष्ट कर देते है।अंत समय में आध्यात्मिक सुख की खोज में देवालय मंदिर,गिरजाघर, मस्जिद आदि में जा जाकर जीवन में शांति ढूंढने के लिए भटकते फिरते रहते हैं और अंत में अपनी देह त्याग देते हैं। वास्तविक में असली शांति तो शरीर के अंतर्मन अंतरात्मा में ही बसा रहता है।यदि मानव बाहर ना ढूंढकर अपने अंदर ही यदि ढूंढे तो अध्यात्म का परम सुख शांति को प्राप्त कर सकते है।और इसके लिए अंतर्मन होना पड़ेगा तब उसको परम आनंद कीअनुभूति प्राप्त हो सकता है।यदि जीवन में परम सुख की प्राप्ति करना चाहते हैं तो अध्यात्म को मानना पड़ेगा।जानना पड़ेगा।और इसे जीवन में अपनाना पड़ेगा।
लेखक - डिजेन्द्र कुर्रे (शिक्षक)
शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला पुरुषोत्तमपुर

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