प्रदीप साव, रायपुर। राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ के प्रबंध संचालक संजय शुक्ला की विशेष पहल अब मूर्त रुप लेने जा रही है। राज्य में लाख की खेती को बढ़ावा देकर 36 हजार परिवार के लोगों की जहां किस्मत बदलने की तैयारी है वहीं अप्रत्यक्ष रुप से रोजगार सृजन की दिशा में व्यापक संभावना
एं भी उपलब्ध होंगी।
राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ के प्रबंध संचालक श्री शुक्ल ने प्रदेश में लाख की खेती करने वाले किसानों को चिन्हित किये जाने के लिए सर्वेक्षण कराया था। इस सर्वेक्षण में राज्य में 36 हजार परिवार ऐसे पाये गये हैं जो लाख की खेती किया करते हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ में लाख की खेती को कृषि का दर्जा दिये जाने पर सहमति जताई है। इस संबंध में कैबिनेट की बैठक में प्रस्ताव प्रस्तुत करने का भी निर्देश मुख्यमंत्री श्री बघेल ने दे दिया है।
राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ के प्रबंध संचालक संजय शुक्ला ने बताया कि प्रदेश में लाख की खेती को कृषि का दर्जा मिलने से लाख उत्पादन से जुड़े कृषकों को भी सहकारी समितियों से अन्य कृषकों की भांति सहजता से ऋण उपलब्ध हो सकेगा।
कुसुम, पलाश और बेर के वृक्षों में हो रही परंपरागत खेती
श्री शुक्ल ने बताया कि छत्तीसगढ़ राज्य में लाख की खेती की अपार संभावनाएं है। यहां के कृषकों के द्वारा कुसुम, पलाश और बेर के वृक्षों में परंपरागत रूप से लाख की खेती की जाती रही है। परंतु व्यवस्थित एवं आधुनिक तरीके से लाख की खेती न होने की वजह से कृषकों को लागत के एवज में अपेक्षित लाभ नहीं मिल पाता है।
वन विभाग ने लाख की खेती को लाभकारी बनाने के उद्देश्य से इसे कृषि का दर्जा देने तथा कृषि सहकारी समितियों के माध्यम से अन्य कृषकों की तरह लाख की खेती करने वाले किसानों को भी ऋण उपलब्ध कराने का सुझाव देते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को प्रेषित प्रस्ताव को मान्य किए जाने का आग्रह किया था।
एं भी उपलब्ध होंगी।
राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ के प्रबंध संचालक श्री शुक्ल ने प्रदेश में लाख की खेती करने वाले किसानों को चिन्हित किये जाने के लिए सर्वेक्षण कराया था। इस सर्वेक्षण में राज्य में 36 हजार परिवार ऐसे पाये गये हैं जो लाख की खेती किया करते हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ में लाख की खेती को कृषि का दर्जा दिये जाने पर सहमति जताई है। इस संबंध में कैबिनेट की बैठक में प्रस्ताव प्रस्तुत करने का भी निर्देश मुख्यमंत्री श्री बघेल ने दे दिया है।
राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ के प्रबंध संचालक संजय शुक्ला ने बताया कि प्रदेश में लाख की खेती को कृषि का दर्जा मिलने से लाख उत्पादन से जुड़े कृषकों को भी सहकारी समितियों से अन्य कृषकों की भांति सहजता से ऋण उपलब्ध हो सकेगा।
कुसुम, पलाश और बेर के वृक्षों में हो रही परंपरागत खेती
श्री शुक्ल ने बताया कि छत्तीसगढ़ राज्य में लाख की खेती की अपार संभावनाएं है। यहां के कृषकों के द्वारा कुसुम, पलाश और बेर के वृक्षों में परंपरागत रूप से लाख की खेती की जाती रही है। परंतु व्यवस्थित एवं आधुनिक तरीके से लाख की खेती न होने की वजह से कृषकों को लागत के एवज में अपेक्षित लाभ नहीं मिल पाता है।
वन विभाग ने लाख की खेती को लाभकारी बनाने के उद्देश्य से इसे कृषि का दर्जा देने तथा कृषि सहकारी समितियों के माध्यम से अन्य कृषकों की तरह लाख की खेती करने वाले किसानों को भी ऋण उपलब्ध कराने का सुझाव देते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को प्रेषित प्रस्ताव को मान्य किए जाने का आग्रह किया था।