बस्तर की पहाड़ियों से होगा जल और पर्यावरण संरक्षण - reporterkranti.in

reporterkranti.in

RNI NO CHHHIN/2015/71899

Breaking

Home Top Ad

Post Top Ad

Thursday, June 11, 2020

बस्तर की पहाड़ियों से होगा जल और पर्यावरण संरक्षण

रायपुर। महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना के तहत बस्तर जिले में जल, मृदा संवर्द्धन के साथ-साथ वृक्षारोपण किया जा रहा है। जिले के 106 ग्राम पंचायतों में स्थित छोटी-छोटी पहाड़ियों में स्टैगर्ड कंटूर ट्रेंच विधि का उपयोग कर जल, मृदा सम्वर्धन के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण करने का प्रयास किया जा रहा है। इनमें से 64 ग्राम पंचायत में कार्य पूर्ण कर लिया गया है और 52 ग्राम पंचायतों में कार्य प्रगति पर है। इस कार्य में 8 हजार से अधिक लोगों को मनरेगा के तहत रोजगार का अवसर मिला है। इस विधि से जल एवं मृदा सम्वर्धन के साथ-साथ वृक्षारोपण को भी बढ़ावा मिल रहा है। वर्तमान में ट्रेंच को तैयार कर लिया गया है और अब इनमें पौधा रोपण की तैयारी है। गौरतलब है कि पहाड़ी क्षेत्रों में ट्रेंच के निर्माण से वर्षा जल संरक्षित होता है। मिट्टी का क्षरण कम होता है, उपजाऊ मिट्टी के कणों को पुनर्स्थापित करता है जो पानी और हवा के दबाव से नष्ट नहीं होता। यह कार्य बारिस के समय में भी किया जा सकता है। स्टैगर्ड कंटूर ट्रेंच कंपित खाई वाली तकनीक, ढलान वाली भूमि के सतह में पानी के बहाव और मिट्टी के कटाव को कम करने, गैरउपजाऊ भूमि को उपजाऊ बनाने तथा वृक्षारोपण के लिए उपयोगी हो सकते हैं। यह विशेष रूप से उच्च वर्षा, खड़ी ढलानों और पतली मिट्टी वाले क्षेत्रों के लिए उपयोगी है, ट्रेंच के मध्य जल निकासी के लिए थोड़े क्रमबद्ध खाइयों का निर्माण किया जाता है। खाइयों को एक मीटर की ऊपरी चैड़ाई और एक मीटर की निचली चैड़ाई और 0.6 मीटर की गहराई के साथ एक ट्रेपोजॉइड आकार में खोदा जाता है। निकाली गई मिट्टी का उपयोग खाई से डाउनहिल बनाने के लिए किया जाता है।

Post Bottom Ad

ad inner footer