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Monday, August 3, 2020

डब्ल्यूएचओ ने कहा- कोविड-19 का ‘रामबाण’ इलाज मुश्किल, सभी देश कड़े कदम उठाएं, अभी लंबी है जंग

जेनेवा। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सोमवार को कहा है कि भले ही कोविड-19 से बचने के लिए वैक्सीन बनाने की रेस तेज हो गई है, कोरोना वायरस के जवाब में कोई ‘रामबाण’ समाधान शायद कभी न निकल सके। डब्ल्यूएचओ ने यह भी कहा है कि भारत जैसे देशों में ट्रांसमिशन रेट बहुत ज्यादा है और अभी उन्हें काफी लंबी लड़ाई के लिए तैयार रहना चाहिए। डब्ल्यूएचओ के डायरेक्टर टेड्रोस ऐडनम ने एक वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा है कि अभी इसका कोई रामबाण इलाज नहीं है और शायद कभी होगा भी नहीं।
उन्होंने यह भी कहा है कि अभी हालात सामान्य होने में और वक्त लग सकता है। 3 महीने पहले डब्ल्यूएचओ की इमर्जेंसी कमिटी मिली थी। इसके बाद से दुनियाभर में इन्फेक्शन के केस पांच गुना ज्यादा 1.75 करोड़ हो गए हैं और मौत का आंकड़ा तीन गुना ज्यादा 6.8 लाख हो गए हैं।

डब्ल्यूएचओ की लिस्ट के अनुसार, पूरी दुनिया में कोरोना की 165 वैक्सीन पर रिसर्च किया जा रहा है। हो सकता है वैक्सीन रिसर्च की संख्या इससे भी ज्यादा हो और डब्ल्यूएचओ ने उसे लिस्ट भी नहीं किया हो। जिन किसी वैक्सीन को यहां लिस्ट किया गया है वह कम से कम प्री क्लीनिकल ट्रायल फेज में पहुंच चुकी है। कुछ तो फाइनल स्टेज में है और उसका मानवों पर ट्रायल हो रहा है। रूस की एक कंपनी ने तो कुछ हप्तों में कोरोना वैक्सीन को शुरू करने का दावा कर दिया है। कई और कंपनियां वैक्सीन का जानवरों पर वैक्सीन का ट्रायल कर रही है। टेड्रोस और डब्ल्यूएचओ के इमर्जेंसी हेड माइक रायन ने सभी देशों से मास्क पहनने, सोशल डिस्टेंसिंग कायम करने, हाथ धोने और टेस्ट कराने जैसे कदम उठाने में कड़ाई बरतने को कहा है। टेड्रोस ने कहा कि लोगों और सरकार के लिए संदेश साफ है कि सब कुछ करें। उन्होंने का मास्क को लोगों के बीच एकजुटता का प्रतीक बनना चाहिए।

लंबी है लड़ाई, प्रतिबद्धता की जरूरत
डब्ल्यूएचओ के डायरेक्टर ने कहा, बहुत से वैक्सीन इस वक्त तीसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल में हैं और हम उम्मीद कर रहे हैं कि बहुत सी वैक्सीनें लोगों को इन्फेक्शन से बचाने के लिए बन जाएंगी। हालांकि, इस वक्त कोई रामबाण इलाज नहीं है और शायद कभी होगा भी नहीं। वहीं रायन ने कहा कि ब्राजील और भारत जैसे देशों में ट्रांसमिशन रेट ज्यादा है और उन्हें बड़ी जंग के लिए तैयार रहना चाहिए। अभी इससे बाहर निकलने का रास्ता लंबा है और इसमें प्रतिबद्धता की जरूरत है।

 

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