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Sunday, October 18, 2020

कोरोना के इस भीषण दौर ने,छीन लिया बच्चों का बचपन,और छीन ली उनकी वो मीठी सी मुस्कान और खुशियां......


जाने कहां गए वो दिन.......................❓   



गरियाबंद /आज कोरोना ने विगत 8 माह से पूरे देश मे अपना कहर बरपा रहा है। 

महामारी के रुप मे जाने जानेवाली इस बिमारी से सभी वर्ग समुदाय प्रभावित हो रहे हैं।

देश मे एक लाख से ज्यादा नागरिकों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है। विश्व भर में लाखों नागरिक आज भी कोरोना बिमारी से जुझ रहे हैं ।

जिसमे बुजुर्ग,युवावर्ग के साथ - साथ बच्चे भी काफी संख्या मे बिमार हुए हैं।

लाखों करोड़ों देशवासियों का व्यवसाय भी इस 

कोरोना के चलते प्रभावित हुआ है ।

रोजगार चला गया,..बेरोजगारी एंव कर्जा,

आदि से जीवन यापन करना त्रस्त सा होने लगा है।

इन सबके अलावा यदि और कोई प्रभावित हुआ है, 

तो वह है बच्चों का बचपन और इस बचपन में मिलने वाली छोटी - छोटी खुशियां । अपने घर मे एक बुजुर्ग

अपने पोते - पोतियों के रहन - सहन मे आए बदलाव पर चिंतन किया तो मुझे उसे सार्वजनिक करने आज लिखने की आवश्यकता महसूस हुई । 

आज जिस दौर से ये नाजुक से बचपन सिमट कर रह गए हैं । इन हालातों को मैंने शब्दों के जरिए लिखना महशुस किया है । कुछ और परिवार के बच्चों के बारे मे भी जाना । क्लास पांचवीं का एक छात्र है,

पहले स्कूल समय पर तैयार होकर चला जाता था । पढ़ाई के साथ - साथ खेलकूद,दोस्ती, सब होता था । घर पंहुचने के बाद होमवर्क,आदि करने के बाद मोबाइल से गेम आदि खेलता था । आज वो सब कुछ

ठहर सा गया सब कुछ बदल गया"""! अब उस बुजुर्ग की देरी से उठने की आदत सी बन गई,

स्कूल तो बंद है दोस्तों से कोरोना ने दूरी बना दी ।

 न किसी के यंहा जाना न किसी को अपने घर आने देने की,पारिवारिक सीख ने मजबूर कर रखा है। 

कोई हमउम्र का और नही,

चेहरे से बचपन का उत्सव गायब रहता है।

स्कूल बंद होने के कारण स्कूलों के दोस्तों से मुलाकात नहीं हो पाती ।

पर घर मे आपस में खेलकर मोबाइल पर गेम आदि से समय पास कर रहे हैं । 

कभी - कभी आपस मे झगड़ा करना और अपनी गलती को न मानकर दुसरे की गलती बताना भी उनके बचपन का हिस्सा अब बनता जा रहा है। 

कोरोना को लेकर पूछने पर 

हंसकर घर के अंदर चले जाते हैं । 

अनेकों बच्चों से मिलने और जानने के पश्चात यही तथ्य सामने आया कि कोरोना ने लोगों के स्वास्थ्य पर आर्थिक जीवन पर तो असर डाला ही है पर इससे हम हो गया एक नन्हा सा बचपन । 

समय अनुकूल रहा, तो स्वस्थ भी हो जाएंगे.

आर्थिक नुकसान से भी उबर जाएंगे ।

 परन्तु बच्चों का बचपने का यह 2020 का वर्ष जो अनमोल था,शायद ही इसकी भरपाई संभव हो सकेगी।


जाने कहा गए वो दिन..............?



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