गरियाबंद/भाजपा नेता प्रीतम सिन्हा ने वर्तमान सरकार पर निशाना साधते हुए सूपेबेड़ा के मुद्दे पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि जिस तरह से पूर्व में गरियाबंद जिले के सुपेबेड़ा के किडनी पिड़ितों के मौत पर राजनीति किया गया था ।वे आज जवाब भी दें और अच्छे उपचारों के साथ पीड़ितों का स्थाई निदान भी करें। सूपेबेड़ा के ग्रामीणों और पंचायत जनप्रतिनिधियों द्वारा पेयजल व्यवस्था के नाम पर शासन प्रशासन का ध्यान आकृष्ट करने चुप्पी साधे बैठे हैं । आज सरकार और प्रशासन की मंशा पर सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं।
श्री सिन्हा ने कहा कि सुपेबेड़ा में जाकर वहाँ के लिए पूर्व में शासन प्रशासन द्वारा जो प्लानिंग किया गया था उसे धरातल में मूर्त रुप दें। लेकिन आज यह एक चिंता का विषय बन गया है कि सुपेबेड़ा में राजनीति करने वाले एकाएक आज चुप्पी साधे क्यों बैठे हैं ? जिला गरियाबंद के सुपेबेड़ा किडनी पीड़ितों के मौत को जिस तरह से मुद्दा बनाया गया था आज उसी मुद्दों पर जवाब देने के बजाय, केंद्र सरकार के पाले में इसे डालकर जिम्मेदारी से बचने का प्रयास कर रहे हैं। विधान सभा चुनाव के पूर्व जिस तरह से सूपेबेड़ा पर राजनीति करने वाले आज चुप नजर आ रहे हैं। सूपेबेड़ा सहित 09 गांव के ग्रामीण और जनप्रतिनिधियों ने शुध्द पेयजल समस्या की मांग को लेकर शासन और प्रशासन को अपनी समस्या से अवगत कराया है । मगर आज पर्यन्त समस्या का निदान नहीं हो पाना दुर्भाग्य है जनक बात है ।
क्योंकि वर्तमान सरकार के मुखिया के द्वारा पूर्व में खुद ही सुपेबेड़ा में मौतों पर सवाल किया करते थे । कि शुध्द पेयजल व्यवस्था नहीं हो पाने के कारण सूपेबेड़ा में पीड़ितों की मौत हो रही है और राजनीति करते नहीं थकते थे। मगर आज सरकार में आने के बाद शुध्द पेयजल आपूर्ति के व्यवस्था को लेकर 01 वर्ष पूर्व कार्य योजना को धरातल पर नहीं ला पाये। जिसके कारण सूपेबेड़ा सहित आसपास के ग्रामीणों के द्वारा विगत दिनों शासन और प्रशासन को नियत समय सीमा में शुध्द पेयजल आपूर्ति मुहैया कराने के लिए मांग किया गया था । किंतु कोई जवाब नहीं मिलने पर पुनः सुपेबेड़ा और आसपास के ग्रामीण शासन प्रशासन के वादा खिलाफी के चलते एक दिवसीय धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। तो वर्तमान सरकार अब क्यों चुप्पी साधे हुए हैं ।