सारंगढ़ उलखर में गणेशोत्सव के अंतिम दिवस पर सरपंच एवं ग्रामीणों ने भगवान गणेश को खुशी खुशी विदाई दी और तालाब घाट पर हर्षोल्लास से प्रतिमा विसर्जन किया। प्रशासन ने कोरोना गाइडलाइन के तहत विसर्जन घाट पर व्यवस्था की एवं अलाउंसमेन्ट के माध्यम से श्रद्धालुओं को दिशा निर्देश दिए। सुबह से ही विसर्जन को लेकर श्रद्धालुओं द्वारा बाजे गाजे के साथ बड़े ही आनंद के साथ गणेश प्रतिमा का विसर्जन किया। जिसमें छोटे छोटे बच्चों ने नाच गाकर इस आयोजन का लुफ्त उठाया। प्रतिमा विसर्जन अनंत चतुर्दशी पर सुबह से ही प्रारम्भ हो गया था जो देर शाम तक जारी रहा उलखर पंचायत के सभी ग्रामिणो ने गणेश प्रतिमाओं को ट्रैक्टर पर आकर्षक झांकियों में सजाकर गांव का भ्रमण कराया और डीजे व ढोल-ढमाकों के साथ गणपति बप्पा मोरिया के नारों के साथ भगवान गणेश को विदाई दी ग्राम पंचायत उलखर में पिछले दस दिनों से काफी धूमधाम से इस गणेशोत्सव को मनाया गया साथ ही विभिन्ना सांस्कृतिक आयोजन किए गए
अधिकांश मंडलों में भोजन प्रसादी का आयोजन किया गया उसके पश्चात उत्सव के अंतिम दिन धूमधाम से विसर्जन किया।गणेश प्रतिमा विसर्जन गांव के ही तालाब में प्रतिमा विसर्जन करने आमजनता को दिक्कत नही हुई उलखर सरपंच पंच एवं ग्रामीणों ने बताया कि हर वर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि इसी दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था। इसलिए इस पर्व को गणेश उत्सव के रूप में मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की प्रतिमा को बड़े ही धूमधाम से घर में लाया जाता है और ग्यारह दिनों तक इन्हें घर में स्थापित किया जाता है। भगवान गणेश को इस समय में बहुत ही सुंदर वस्त्रों व विभिन्न रंगों से सजाया जाता है। उन्होंने बताया कि इस समय में भगवान गणेश की विशेष पूजा अर्चना की जाती है और उन्हें मोदक और लड्डूओं का भोग लगाया जाता है। इसके बाद ग्यारहवें दिन भगवान गणेश का बड़े ही धूमधाम से विसर्जन करके उनसे प्रार्थना की जाती है कि वह अगले साल भी जल्दी आएं और अपने भक्तों को अपना आशीर्वाद प्रदान करें। उन्होंने कहा कि भगवान गणेश जहां पर भी विराजते हैं वहां धन, संपत्ति, सुख और संपदा स्वयं ही चली आती है.