सारंगढ़!! सारंगढ़ कांग्रेस के प्रवक्ता मुकेश ने केंद्र की मोदी सरकार पर तीखा प्रहार करते हुए कहा है कि 14 महीने का दर्द भरा सफर किसान भाइयों का समाप्त हो चुका है,केंद्र में बैठी सरकार आखिरकार अपना गलती मान ली है,लेकिन मोदी जी यह करने में बहुत देर कर चुके हैं जब भारत के इतिहास लिखा जाएगा तो इन 14 महीनों ने देश के अन्नदाता किसानों ने जितना दुख दर्द सहा है शायद ही भारत के इतिहास में इसे कोई पढ़ के छोड़ना न चाहेगा! केंद्र की मोदी सरकार भारत की कृषि अर्थव्यवस्था पर और अर्थव्यवस्था को बनाए रखने वाले किसान को जो 14 महीने का तीन काले कानून लाकर मजबूर किए थे वह मजबूरी किसान भाइयों ने मजबूती में बदल दी है! इस काले कानून को वापस लेने से सरकार का काला चेहरा उजागर हुआ है! 14 महीने का काला कालखण्ड झेलने वाले किसान भाइयों को मुआवजा कब मिलेगा! उस किसान परिवार की क्या गलती थी जिस परिवार का किसान अपने फसल की कीमत और फसल की नियत के लिए लड़ रहे थे जिनकी आदमनी 14 महीने से थप पड़ी थी,उस परिवार की क्या गलती थी जिन्होंने अपना घर का मुखिया को खोने के बाद सड़क में रहने को मजबूर हो गये? आखिरकार देश किसका है हम और हमारे अन्नदाता किसान भाइयों का हमारे आमजनता का! ऐसी स्थिति में केंद्र सरकार को निश्चित तौर पर 14 महीने का गहरा शोक मनाते हुए सभी पीड़ित किसानों को निश्चित पैमाने पर मुआवजा का भुगतान करना चाहिए ताकि उनकी रोजी-रोटी और दिनचर्या पटरी पर आ सके!
यदि कानून वापसी का निर्णय वोट बैंक के लिए होगा तो किसान भाई चोट बैंक देकर देकर पूरा करेंगे-
आने वाले दिनों में चार राज्यों में चुनाव होने वाले है और इसी राज्यों में चुनावी गणित को देखते हुए यदि नरेंद्र मोदी की सरकार में इस काले कानून को वापसी लेने का निर्णय लिया होगा तो निश्चित तौर पर किसान भाई समझदार है और अपनी समझदारी दिखाते हुए मोदी जी के वोट बैंक के लिए काम करेंगे तो उन्हें किसानी खेमे से चोट बैंक ही मिलेगा!