बसना - केन्द्रीय सहकारी समिति मर्यादित पिरदा के अंतर्गत धान उपार्जन केन्द्र भस्करापाली पंजीयन क्रमांक 887 में धान की अफरा तफरी किये जाने का मामला सामने आया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार धान उपार्जन केन्द्र भस्करापाली मे धान खरीदी मे गड़बड़ी किये जाने की शिकायत मिली थी। शिकायत के आधार पर कलेक्टर महासमुन्द के दिशा निर्देश मे जांच दल के द्वारा धान उपार्जन केन्द्र भस्करापाली पहुंच कर सूक्ष्मता से निरीक्षण कर भौतिक सत्यापन किया गया।
दिनांक 31/01/23 तक धान उपार्जन केन्द्र मे रिकार्ड के अनुसार धान मोटा 4841कट्टा,सरना 2216 कट्टा दिखा रहा था जबकि जांच के उपरांत 730 क्विंटल याने 1825 कट्टा धान की कमी पाई गई। सबसे अहम् पहलू यह है कि सरना धान उपार्जन केन्द्र के रिकार्ड अनुसार 2218 कट्टा, चूंकि जांच के दौरान 2648 कट्टा सरना पाया गया, याने कि 172 क्विंटल 80किलोग्राम (432 कट्टा धान) अधिक पाया गया। उपार्जन केन्द्र प्रभारी टेकराम पटेल जांच दल के आने की खबर से मोबाइल बंद कर गायब रहा । धान उपार्जन केन्द्र भस्करापाली मे 730 क्विंटल धान की कीमत 1489200 रूपये की कमी आई है। जांच दल के द्वारा जांच प्रतिवेदन जिला खाद्य शाखा को सौंपा जायेगा। अब देखना यह है कि धान की कमी को पूरा करने करने हेतु खरीदी केंद्र प्रभारी को नोटिस दिया जायेगा या प्रभारी के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराया जायेगा।
* जांच दल के द्वारा धान उपार्जन केन्द्र बरनाईदादर का भी निरीक्षण कर भौतिक सत्यापन किया गया
बता दें कि सहकारी समिति पथरला पंजीयन क्रमांक 1204 के अंतर्गत धान उपार्जन केन्द्र बरनाईदादर में निरीक्षण कर भौतिक सत्यापन किया गया जिसमें मोटा, सरना मिलाकर कुल 7040 कट्टा धान, रिकार्ड अनुसार था जिसमें 74 कट्टा धान की कमी पाई गई।
* धान खरीदी केंद्र पिरदा का भी किया जाना चाहिए भौतिक सत्यापन
गौरतलब है कि धान उपार्जन केन्द्र पिरदा का भी निरीक्षण कर भौतिक सत्यापन किया जाये तो चौंकाने वाला परिणाम सामने आयेगा। वैसे भी पिरदा खरीदी केंद्र हमेशा से धान हेराफेरी करने के मामले में सुर्खियों में रहा है।
* कैसे की जाती है खरीदी प्रभारी के द्वारा बगैर धान खरीदे पट्टे मे सेंटिंग
उल्लेखनीय है कि धान उपार्जन केन्द्रों में कमी होने का सबसे बड़ा कारण यह है कि खरीदी केंद्र प्रभारियों के द्वारा बगैर धान खरीदे किसानों के पट्टे मे फर्जी तरीके से चढ़ा दिया जाता है और बाद में व्यापारियों से कम दामों पर धान खरीद कर भरपाई कर दी जाती है।छ ग शासन के द्वारा निर्धारित दर पर प्रति क्विंटल धान के दर के अंतर की राशि खरीदी प्रभारी के जेब में जाता है और शासन के द्वारा दी जाने वाली बोनस की राशि किसान के खाते मे ट्रांसफर हो जाता है इससे किसान को भी बगैर धान बेचे मुनाफा मिल जाता है। शिकायत समय के आधार पर हो जाता है और जांच होती है तो खरीदी केंद्र प्रभारी फंस जाता है या धान की भरपाई कर लेता है। बहरहाल जिला महासमुन्द खाद्य विभाग की टीम के द्वारा लगातार धान उपार्जन केन्द्रों में जांच कर भौतिक सत्यापन करते नजर आ रही है। जांच के दौरान दल में हरीश सोनेश्वरी सहायक खाद्य अधिकारी महासमुन्द,कमल साहू खाद्य निरीक्षक पिथौरा,जलंधर पटेल शाखा प्रबंधक पिरदा, राधेश्याम भोई सुपरवाइजर, सोनी कृषि उपज मंडी समिति पिथौरा सहित कर्मचारी उपस्थित रहे।