नर्सिंग होम एक्ट का किया जा रहा खुला उल्लंघन * डिग्री आयुर्वेद का,कर रहे ईलाज एलोपैथिक का , शिकायत पर बी एम ओ ने मौखिक रूप से कहा क्लीनिक बंद करो - reporterkranti.in

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Thursday, October 19, 2023

नर्सिंग होम एक्ट का किया जा रहा खुला उल्लंघन * डिग्री आयुर्वेद का,कर रहे ईलाज एलोपैथिक का , शिकायत पर बी एम ओ ने मौखिक रूप से कहा क्लीनिक बंद करो

 


बसना - बसना नगर में संचालित संजीवनी क्लीनिक के डॉ प्रदीप पटेल के द्वारा गलत ढंग से ईलाज किये जाने मामला सामने आया है।

  उल्लेखनीय है कि शिकायतकर्ता हेमलाल बंजारा ने आरोप लगाया है कि संजीवनी क्लीनिक के संचालक डॉ प्रदीप पटेल के द्वारा आयुर्वेदिक डिग्री के आड़ में एलोपैथिक चिकित्सा पद्धति से बेखौफ होकर ईलाज किया जा रहा है। जिससे मरीजों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। मरीजों की जान माल के साथ खिलवाड़ करने वाले डॉक्टर की जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, जिलाधीश महासमुन्द से शिकायत कर कार्रवाई किये जाने की मांग की गई थी। शिकायतकर्ता ने बताया कि बिना किसी वैध योग्यता के एलोपैथिक पद्धति से ईलाज कर मरीजों को इंजेक्शन, टेबलेट,आई वी दिया जा रहा है। जिसका दुष्परिणाम मरीजों को हो रहा है।जो नर्सिंग होम एक्ट के तहत अपराध की श्रेणी में आता है। डॉक्टर के विरुद्ध आवश्यक रूप से कार्रवाई किया जाना चाहिये।

   बता दें कि ईलाज के दौरान डॉक्टर के द्वारा अनाप-शनाप वसूली भी किया जा रहा है।इसकी पुष्टि मरीजों की पर्ची एवं सी सी टीवी फुटेज से जांच होने पर सच आईने की तरह सामने आ जायेगा। शिकायतकर्ता का कहना है कि इसे एलोपैथिक पद्धति से ईलाज करने का कोई प्रमाण पत्र जारी नहीं किया गया है। आम जनता के हित को ध्यान में रखते हुए इसके विरुद्ध कार्रवाई अवश्य किया जाना चाहिये। डॉक्टर अपना साक्ष्य छुपाने के लिए कोरा कागज में दवाई की पर्ची लिखता है ताकि किसो को पता न चल सके। जबकि डॉक्टर का अपने लेटर हेड जिसमें डॉ की डिग्री, मोबाइल नंबर अंकित हो लिखा जाना चाहिये। 

   गौरतलब है कि भालूपतेरा निवासी चार वर्षीय बालक हिमांशु नायक को संजीवनी क्लीनिक ईलाज के लिए ले जाया गया था तभी इस मामले का खुलासा हुआ है और पीड़ित ने संबंधित विभाग के अधिकारियों को आवेदन देकर जांच कर उचित कार्रवाई किये जाने की गुहार लगाई है।इधर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बसना के बी एम ओ जे पी प्रधान के द्वारा  मौखिक रूप से क्लीनिक बंद करने को कहा गया है। इस संबंध में पक्ष जानने के लिए डॉ प्रदीप पटेल से संपर्क किया गया लेकिन डॉ के द्वारा फोन रिसीव नहीं किया गया।

   अब देखना यह है कि स्वास्थ्य विभाग के द्वारा संजीवनी क्लीनिक संचालक के विरुद्ध क्या कार्रवाई की जाती है  ?

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