बसना- भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने दूसरी सूची जारी नहीं किया है लेकिन सोशल मीडिया के माध्यम से खबर आ रही है कि भाजपा के द्वारा दूसरी सूची में 50 सीटों पर संभावित नामों पर मुहर लगा सकती है। बसना विधानसभा में कोलता समाज के लगभग 40 हजार मतदाता हैं। क्षेत्र में कोलता समाज से लगभग 90% लोग भाजपा समर्थित हैं। कोलता समाज का कहना है कि छत्तीसगढ़ के 90 सीट में से एक सीट हमें दे दो, लेकिन भाजपा ने समाज की मांगों को अनदेखा कर एक भी टिकट नहीं दिया। टिकट नहीं मिलने पर कोलता समाज ने भारतीय जनता पार्टी से अपनी नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा के विरोध में जाने की बात कही है। उल्लेखनीय है कि विधानसभा चुनाव 2003 में कोलता समाज से भाजपा प्रत्याशी रहे डॉ त्रिविक्रम भोई ने कांग्रेस के राजा देवेंद्र बहादुर सिंह को हराया था।2023 विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा से जगदीश प्रधान, मथामणी बढ़ाई, कृष्ण कुमार साहू, जुगल किशोर प्रधान, बसंती प्रधान (सभी कोलता समाज) ने दावेदारी की है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी अनुसार कोलता समाज से किसी को भी टिकट देते हैं तो हम सभी एक जुट होकर भाजपा को जितायेंगे। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने सर्वे के आधार पर छत्तीसगढ़ के 90 विधानसभा सीटों पर जीतने वाले उम्मीदवार पर अपना दांव लगा रही है। बसना विधानसभा सीट प्रायः जाति समीकरण पर आधारित रहा है परन्तु एक तरफ से देखा जाये तो बसना विधानसभा क्षेत्र से विधायक अब्दुल हमीद दानी (अल्पसंख्यक) चुने गये थे। ब्राह्मण समाज से लक्ष्मण जयदेव सतपथी बसना से विधायक बने थे। उसके बाद से प्रायः देखा जाये तो बसना विधानसभा सीट पर आदिवासी समाज, कोलता समाज, अघरिया समाज के प्रत्याशी चुनाव जीतने में कामयाब हुए हैं।
बता दें कि भाजपा का परचम लहराने के लिए भाजपा प्रत्याशी को जहां पार्टी के अंदर भीतरघात घात का सामना करना होगा वहीं मौजूदा वक्त में महंगाई, बेरोजगारी जैसे मुद्दे से भी दो-दो हांथ करना होगा। भाजपा से डॉ संपत अग्रवाल का नाम लगभग तय माना जा रहा है इधर भाजपा संगठन के स्थानीय पदाधिकारियों में अंदर ही अंदर विरोध के स्वर गूंज रही है। बसना विधानसभा की बात करें तो भाजपा में गुटबाजी दिखाई देती है वहीं कांग्रेस में एकजुटता है। लोकतंत्र में प्रत्येक व्यक्ति को अपनी अपनी पार्टी से टिकट मांगने का अधिकार है।
अब देखना यह है कि राजनीति के इस खेल में कौन कामयाब होता है --?