* दंतेवाड़ा विधायक चैतराम अटामी,भूतपूर्व विधायक श्रीमती देवती महेंद्र कर्मा एवं जिला पंचायत सदस्य सुलोचना कर्मा हुई शामिल *
दंतेवाड़ा लगभग 11 दिनों तक चलने वाली विश्व प्रसिद्ध फागुन मड़ई का आज सातवां दिन है। इस क्रम में आज सप्तम पालकी के साथ ’’चीतलमार’’ की रस्म संपन्न की जाएगी। परंपरा अनुसार हर दिन मां दंतेश्वरी की पालकी पूरे विधि विधान से नारायण मंदिर तक निकाली जाती है। ज्ञात हो कि माईजी की पालकी के साथ दुर वनांचल ग्रामों से आए स्थानीय ग्राम देवी-देवताओं के छत्र व लाट एवं देव विग्रहों की भी परिक्रमा करवाई जाती है। और नारायण मंदिर से विधिवत पूजा अर्चना के पश्चात जब पालकी वापस आती है तब पूनः मंदिर परिसर में पालकी के स्वागत की पारम्परिक तरीके से पूजा का विधान है। इस मौके पर दंतेवाड़ा जिले के अलग-अलग ग्रामों से नाचा दलों द्वारा बस्तर का पारंपरिक नृत्य करते हुए पालकी का स्वागत किया जाता है। इस प्रकार इस ऐतिहासिक फागुन मड़ई की सातवीं पालकी में ’’चीतरमार’’ की रस्म अदा करने की परंपरा है। ’’चीतरमार’’ का नृत्य का स्वांग रात्रि करीबन 3 बजे से शुरू होता है और इस नृत्य की प्रमुख विशेषता यह है कि चीतल के शिकार का नाट्य रूपान्तरण ढोल नगाड़ों, एवं लोक नृत्य गान के माध्यम से प्रदर्शित किया जाता हैं। जिसमें प्रायः चीतल का स्वांग स्थानीय समुदाय विशेष द्वारा रचाया जाता है। फागुन मड़ई के आठवें दिन अष्टमी पालकी के साथ ’’गंवरमार’’ की रस्म का आयोजन किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि गंवरमार रस्म देखने के लिए अन्य दिनो की अपेक्षा सर्वाधिक भीड़ जुटती है।