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Tuesday, April 16, 2024

प्रतिभा पब्लिक स्कूल खटखटी बसना में बगैर मान्यता के चल रहे कक्षाओं को किया गया बंद * आरटीआई कार्यकर्ता निलेश अग्रवाल की शिकायत पर सामने आया सच







बसना- मीडिया में लगातार खबर प्रकाशन होने के बाद प्रतिभा पब्लिक स्कूल खटखटी बसना के द्वारा बगैर मान्यता के चल रहे कक्षा 11वीं एवं 12वीं को बंद तो कर दिया गया है परन्तु शिक्षा विभाग के द्वारा जारी नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है।

अभी भी कक्षा नर्सरी से स्मार्ट में अध्यापन का कार्य तथा जगदीशपुर रोड बसना में प्रतिभा किड्स विद्यालय का संचालन जारी है जिसकी कोई मान्यता ही नहीं है.

आर.टी.आई. कार्यकर्ता निलेश अग्रवाल के द्वारा प्रतिभा पब्लिक स्कूल खटखटी बसना के संबंध में भारी अनियमितताओं को लेकर शिक्षा विभाग को शिकायत की गई थी। शिकायत के आधार पर तीन सदस्यीय जांच समिति अरुण प्रधान, अमरदास कुर्रे, युवराज ध्रुव ने जांच तो किया परंतु एक माह बीत जाने के बाद भी जांच प्रतिवेदन की कॉपी उपलब्ध नहीं कराया है। यहां तक कि जांच अधिकारी अमरदास कुर्रे ने शिकायतकर्ता को जांच प्रतिवेदन की कॉपी देने में असमर्थता जाहिर करते हुए पल्ला झाड़ लिया.

जिससे जांच टीम की गतिविधियां संदेह के दायरे में है। प्रतिभा पब्लिक स्कूल खटखटी और जांच टीम की कहीं मिली भगत तो नहीं, कहीं अधिकारियों से गलत जांच रिपोर्ट बनवाने विद्यालय ने मोटी रकम तो नहीं दी है. इस तरह के अनेकों सवाल खड़े हो रहे हैं ?

     बता दें कि गरीबी रेखा से नीचे आने वाले छात्रों को शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आर.टी.ई.)के तहत् शासन से मिलने वाली राशि को बंदरबांट किये जाने की ख़बर सामने आ रही है।

खटखटी बसना में स्थित प्रतिभा पब्लिक स्कूल जहां कक्षा नर्सरी  से लेकर कक्षा 12 वीं तक की कक्षाएं संचालित है। साथ ही जगदीशपुर रोड बसना में प्रतिभा किड्स नामक विद्यालय भी संचालित है.

जबकि उक्त विद्यालय को सिर्फ खटखटी में पहली कक्षा से लेकर दसवीं तक की ही मान्यता है। नर्सरी से स्मार्ट 2 एवं 11वीं,12वीं की मान्यता ही नहीं है।

बगैर मान्यता के यह सब शिक्षा विभाग के नाक के नीचे चल रहा था जिसकी शिकायत निलेश अग्रवाल के द्वारा शिक्षा विभाग को की गई थी।

शिकायत के आधार पर जांच अधिकारियों ने बगैर मान्यता के चल रहे कक्षा 11वीं एवं 12 वीं को तो बंद करने की सलाह दी परंतु नर्सरी से स्मार्ट 2 को बंद करने या प्रतिभा किड्स को बंद करने की सलाह नहीं दी यहां तक कि आज पर्यंत विद्यालय पर कोई कार्यवाही नहीं की गई है जिससे अधिकारियों को लाखों रुपयों से खरीदे जाने की बात चल रही है. शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों को कार्रवाई करने में हाथ क्यों कांप रहे हैं ? क्या इनके हाथ भी रंगे हुए हैं ? सब जानते हुए कार्रवाई नहीं किये जाने से अनेकों तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं।

पूर्व में भी निलेश अग्रवाल ने प्रतिभा पब्लिक स्कूल में अयोग्य शिक्षकों द्वारा अध्यापन का कार्य किए जाने की शिकायत की थी जिसके जांच में कन्या शाला बसना के प्राचार्य ने प्रतिभा पब्लिक स्कूल खटखटी बसना के प्राचार्य से शिक्षकों की योग्यता संबंधी दस्तावेज दिखाने को कहा जिस पर प्राचार्य श्रीमती मेहरून निशा खान ने जांच अधिकारी को दस्तावेज दिखाने से मना कर दिया। यदि विद्यालय में योग्य शिक्षकों द्वारा अध्यापन का कार्य किया जाता तो दस्तावेज दिखाने में कोई परेशानी नहीं होना था परंतु दस्तावेज न दिखाना शिकायत को स्वयं सिद्ध करता है.

अपने बच्चों के भविष्य को लेकर माता-पिता को चिंता रहती है। माता पिता चाहते हैं कि हमारा बच्चा अच्छे विद्यालय से पढ़ाई कर एक अच्छे, संस्कारी और मेहनती इंसान बने।

परंतु गरीबी एक ऐसी बीमारी है जिसके कारण अधिकांश गरीब परिवारों का यह सपना सपना ही रह जाता है।बच्चा चाहे कितना भी होनहार क्यों न हो लेकिन आर्थिक समस्या की वजह से बच्चा किसी अच्छे विद्यालय से पढ़ाई नहीं कर पाता और एक सामान्य इंसान बनकर ही रह जाता है, लोग सदियों से इस परेशानी से जूझते आ रहें हैं।

   उल्लेखनीय है भारत सरकार ने इन समस्याओं को जड़ से खत्म करने के उद्देश्य से वर्ष 2009 में निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा प्रणाली की शुरुआत की ,जिसके तहत प्रत्येक शासकीय एवं निजी विद्यालयों में 3 से 14 वर्ष तक के गरीब बच्चों को निशुल्क शिक्षा मिले।इस योजना का नाम है आर.टी.ई. अर्थात् निशुल्क शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009

ये अधिनियम कहता है कि यदि कोई पालक गरीब है और उसका बच्चा 3 से 14 वर्ष की आयु का है तो उसे अपने नजदीकी शासकीय या निजी विद्यालय में निशुल्क प्रवेश दिया जायेगा साथ ही विद्यालय में संचालित अधिकतम कक्षा तक बच्चे की पढ़ाई का पूरा खर्च शासन वहन करेगी।

शासन ने विद्यालयों को भी इस योजना के क्रियान्वयन के लिए आदेशित किया है कि विद्यालय में दर्ज संख्या का 25% सीट गरीब बच्चों के लिए आरक्षित रखा जाये और उसका लाभ उन गरीब छात्रों को मिले। शासन के द्वारा निर्देश जारी किया गया है कि 

यदि कोई विद्यालय निर्देश का पालन नहीं करता है तो उक्त विद्यालय के विरुद्ध कार्रवाई की जायेगी और उसकी मान्यता समाप्त की जा सकती है।

 गौरतलब है कि महासमुंद जिले के बसना,  सरायपाली एवं बागबाहरा में संचालित प्रतिभा पब्लिक स्कूल का नजारा कुछ और ही देखने को मिल रहा है।

प्रतिभा पब्लिक स्कूल के द्वारा इस योजना की धज्जियां उड़ाते हुए इसे नोट छापने की मशीन के रूप में इस्तेमाल कर प्रशासन को अब तक करोड़ों रुपयों राजस्व का चूना लगाया है। विद्यालय में दर्ज संख्या का 25% सीट गरीब परिवार के बच्चों के लिए आरक्षित है तो वहीं प्रतिभा पब्लिक स्कूल ने गरीब छात्रों के अधिकार को छीनकर अमीर घराने के बच्चों को फायदा पहुंचाया है। यही कारण है कि गरीब, गरीब होता जा रहा है और अमीर, अमीर होता जा रहा है।

दरअसल जो सीट गरीब परिवार के बच्चों को मिलना चाहिये था उसे प्रतिभा पब्लिक स्कूल ने अपने निजी लाभ के लिए उक्त सीट को अपने चहेते लोगों को दे दिया गया है।

अधिनियम कहता है कि विद्यालय में दर्ज संख्या का 25% सीट गरीब परिवार के बच्चों को देते हुए उसकी सूची बनाकर नोडल अधिकारी और जिला शिक्षा अधिकारी से प्रमाणित करवाकर लोक शिक्षण संचालय, स्कूल शिक्षा विभाग रायपुर को देना होता है जिसके अवलोकन पश्चात् शिक्षा विभाग संबंधित विद्यालय के खाते में राशि अंतरित कर देती है।

मां दुर्गा च्वाईस सेंटर बसना के संचालक निलेश अग्रवाल ने प्रतिभा पब्लिक स्कूल द्वारा किये जा रहे करोड़ों के घोटाले पर से पर्दा हटाने के लिए जिला शिक्षा अधिकारी महासमुंद से सूचना का अधिकार के तहत् ऐसे बच्चों की सूची की मांग की थी जिनको प्रतिभा पब्लिक स्कूल द्वारा निशुल्क प्रवेश दिया गया हो परंतु विद्यालय के अनियमितताओं पर पर्दा बनाये रखने और अपनी कुर्सी बचाने के उद्देश्य से तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी महासमुंद श्रीमती मीता मुखर्जी ने सूचना का अधिकार अधिनियम की अवहेलना करते हुए ऐसी सूची देने से साफ साफ इंकार कर दिया। निलेश अग्रवाल ने पुनः 28 आवेदन लगाकर सूचना का अधिकार के तहत दस्तावेज की मांग की थी जिस पर नए जिला शिक्षा अधिकारी महासमुंद का कहना है की प्रायवेट स्कूल सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के अंतर्गत नहीं आता है, अतः आपको सूचना नहीं दिया जाएगा।

सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के बारे में नव पदस्थ जिला शिक्षा अधिकारी महासमुन्द को जानकारी का अभाव है।

आर.टी.आई. कार्यकर्ता निलेश अग्रवाल ने शिक्षा विभाग के उच्च कार्यालय में आवेदन कर ये जानकारी प्राप्त की है जिसके अनुसार प्रतिभा पब्लिक स्कूल को पिछले 2 वर्ष में निशुल्क शिक्षा का अधिकार कानून के तहत 37 लाख रुपए की राशि आवंटित की गई है और सबसे मजे की बात ये है कि सूची में दर्ज अधिकांश नाम शहर के करोड़पतियों के घरों से संबंधित है तो वहीं कुछ नाम फर्जी हैं।

इसी विद्यालय में इस वर्ष कक्षा 11वीं में अध्ययनरत छात्र सत्यजीत पुष्टि (संचालक नीता पान पैलेस, मेन चौक बसना) ने प्रतिभा पब्लिक स्कूल में आर.टी.ई. के तहत ही प्रवेश लिया था परंतु विद्यालय के प्राचार्य श्रीमती मेहरून निशा खान ने छात्र को परीक्षा से निष्कासित करने की धमकी देकर लगभग 40 हजार रुपये की राशि वसूली की है।

नीलेश अग्रवाल ने मीडिया को जानकारी देते हुए आगे बताया कि यह विद्यालय पैसों के लिए किसी भी हद तक गिर सकता है, जहां एक तरफ प्रतिभा किड्स नामक विद्यालय के संचालन की कोई मान्यता ही नहीं है तो वहीं प्रतिभा पब्लिक स्कूल खटखटी बसना में संचालित कक्षायें 11वीं एवं 12वीं गैर मान्यता प्राप्त है।

शिक्षा विभाग द्वारा निर्धारित मापदंड के अनुसार शिक्षक भी नहीं हैं।निजी लाभ के लिए प्रशासन द्वारा प्रतिबंधित निजी प्रकाशित किताबों से अध्यापन का कार्य किया जाता है तो वहीं यूनिफॉर्म में भी कमीशन खोरी का काम किया जा रहा है।

इस तरह के और भी कई अनियमितताएं विद्यमान है जिस पर निष्पक्ष जांच करने पर कई बड़े खुलासे होने और बंदरबांट करने वाले अधिकारियों के चेहरे पर से पर्दा हटेगा।

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