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Friday, December 6, 2024

छत्तीसगढ़ में सूचना का अधिकार अधिनियम की अनदेखी, ग्रामीण को भी मिलनी चाहिए RTI प्रशिक्षण

छत्तीसगढ़ में सूचना का अधिकार अधिनियम की अनदेखी, ग्रामीण को भी मिलनी चाहिए RTI प्रशिक्षण 



सरसींवा (सारंगढ़-बिलाईगढ़)  - सरसीवा क्षेत्र के ग्राम भिनोदा निवासी गोपी अजय ने एक गंभीर मुद्दे को उठाते हुए सूचना के अधिकार अधिनियम (RTI) के तहत प्रशासन पर अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ने का आरोप लगाया है। शिकायत में उन्होंने कहा कि देश और प्रदेश में सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005, के तहत प्रत्येक नागरिक को उनके अधिकारों और योजनाओं की जानकारी देना सरकार का कर्तव्य है। लेकिन, प्रशासनिक लापरवाही के चलते ग्रामीण क्षेत्रों में यह अधिकार केवल कागजों तक सीमित रह गया है।


गोपी अजय का कहना है कि गांव के लोग आज भी सरकारी योजनाओं और उनके लाभों से अनजान हैं। उन्होंने प्रशासन पर यह आरोप लगाया कि योजनाओं और सरकारी सेवाओं की जानकारी जनता तक पहुंचाने के लिए न तो कोई ठोस प्रयास किए गए और न ही कोई प्रचार-प्रसार अभियान चलाया गया। इससे ग्रामीणों को योजनाओं का लाभ उठाने में बाधा आ रही है। ग्रामीणों को अपने गाँव क्षेत्र मे हो रहे काम व उसकी गुणवाता व कार्यों मे हुए खर्च के बारे मे जानकारी नहीं मिल पा रहा। अपने क्षेत्र मे वित्त पैसा के रूप मे करोडो रुपया आ रहा अन्य कार्यों के लिए शासन करोडो खर्च कर रही पर क्या व काम वास्तव मे उचित मापदंड के अनुसार हो रहा है या नहीं लोग इन सबसे अनजान होते है और काम कराने वाले करोडो कमा लेते है।



*ग्रामीण विकास पर पड़ रहा असर*

शिकायत में उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि सूचना का अभाव केवल योजनाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि यह क्षेत्रीय विकास और आम जनता के हक पर सीधा प्रभाव डाल रहा है। योजनाओं की जानकारी न होने के कारण ग्रामीण जनता शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और अन्य कल्याणकारी योजनाओं का लाभ लेने से वंचित रह रही है।


*प्रशासनिक पारदर्शिता पर सवाल*

इस मामले ने प्रशासनिक पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। गोपी अजय ने मांग की है कि जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए और सुनिश्चित किया जाए कि हर नागरिक को समय पर सही जानकारी मिले। साथ ही, सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत जागरूकता अभियान चलाने की भी अपील की गई है, ताकि कोई भी अपने अधिकारों और सरकारी योजनाओं काम काज के बारे मे जन सके।


*ग्रामीणों की अपील: सुधार की हो शुरुआत*

ग्रामीणों ने भी गोपी अजय की इस पहल का समर्थन करते हुए कहा है कि सूचना का अधिकार केवल एक कानून नहीं, बल्कि एक माध्यम है, जो सरकार और जनता के बीच संवाद को मजबूत करता है। अगर प्रशासन अपनी जिम्मेदारी निभाने में विफल रहता है, तो यह न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि जनहित के खिलाफ एक बड़ी चूक है।


*अब प्रशासन की बारी*

यह मामला अब जनता और प्रशासन के बीच एक बड़ी परीक्षा बन चुका है। क्या प्रशासन इस शिकायत पर गंभीरता दिखाते हुए सुधारात्मक कदम उठाएगा, या यह मुद्दा भी अन्य मामलों की तरह अनसुना रह जाएगा? अब सबकी निगाहें प्रशासन की कार्रवाई पर टिकी हुई हैं। शासन को जिस प्रकार जन सुचना अधिकारी अपीली अधिकारियो को RTI के सम्बन्ध मे प्रशिक्षण दी जाति है उसी प्रकार आम लोगो को भि इसकी प्रशिक्षण देनी चाहिए इससे लोगो मे जागरूकता आएगी और पता चलेगा की उनके टेक्स के पैसे कहा खर्च हो रहे काम हो भि रहे है या नहीं इससे भ्रष्टाचार वर्तमान स्थिति की तुलना मे बहुत कम हो जाएगी और फील्ड मे गुणवत्ता युक्त कार्य होगा।


*यह रिपोर्ट छत्तीसगढ़ के ग्रामीण क्षेत्रों में सूचना का अधिकार अधिनियम की वास्तविकता पर आधारित है और जनता के हितों की रक्षा के लिए जागरूकता फैलाने का उद्देश्य रखती है।*


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