सरायपाली। विकासखंड सरायपाली के ओडिया पारा वार्ड क्रमांक 12 में श्रीमती गौरी बग्गा के निवास पर माता सावित्री बाई फूले समुह ke तत्वावधान मे महिलाओं एवं शिक्षकों ने सावित्रीबाई फुले की जयंती उत्साहपूर्वक मनाई। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन से हुई। भारत की पहली महिला शिक्षिका माता सावित्रीबाई फुले और सरायपाली की पहली महिला शिक्षिका स्वर्गीय रत्ना डडसेना को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. सुश्री शुभ्रा डडसेना ने किया। इस अवसर पर समाज की विभिन्न महिलाओं ने भाग लेकर नारी शिक्षा और सशक्तिकरण की दिशा में सावित्रीबाई फुले के योगदान को याद किया। उपस्थित प्रमुख महिलाओं में सरिता साहू, शांति मिश्रा, अनुपमा मांझी, रजनी बग्गा, वंदना सतपथी, शांति सलूजा, अंजली अग्रवाल, ग़ुरनाल खान, सुनीता बेहरा आदि शामिल थीं।
कार्यक्रम में वक्ताओं ने माता सावित्रीबाई फुले के जीवन और संघर्षों पर प्रकाश डाला। सरिता साहू ने बताया कि सावित्रीबाई ने 1848. में महिलाओं और दलितों के लिए शिक्षा का मार्ग प्रशस्त किया। उन्होंने समाज में व्याप्त असमानताओं और कुरीतियों के खिलाफ अपनी आवाज उठाई। आज भी उनके विचार हमें नारी सशक्तिकरण की प्रेरणा देते हैं।
सरायपाली की पहली महिला शिक्षिका स्वर्गीय रत्ना डडसेना जी को भी कार्यक्रम में विशेष रूप से याद किया गया। उन्होंने अपने जीवन में शिक्षा के क्षेत्र में अनेक योगदान दिए और समाज की कई महिलाओं को शिक्षित कर आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा दी।
माता सावित्रीबाई फुले समूह की अध्यक्ष श्रीमती अनीता चौधरी ने कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए सभी महिलाओं का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के आयोजन महिलाओं को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक करने और समाज में उनकी सशक्त भागीदारी सुनिश्चित करने का माध्यम बनते हैं।
यह कार्यक्रम न केवल एक श्रद्धांजलि सभा थी, बल्कि समाज में महिलाओं की भूमिका और योगदान को सम्मानित करने का एक प्रेरणादायक प्रयास भी था। उपस्थित सभी महिलाओं ने सावित्रीबाई फुले के आदर्शों को अपनाने और समाज में बदलाव लाने का संकल्प लिया।