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Tuesday, June 16, 2020

महासमुंद जिले में मवेशियों की रोका-छेका संबंधी हो रही है तैयारियां : 19 जून को जिले की हर गांव में होगी ग्रामीणों की बैठक

महासमुंद। वर्तमान में महासमुंद जिले में खरीफ फसल की व्यापक तैयारियां चल रही हैं। जिले में खरीफ फसल बुवाई को मवेशियों से बचाने के लिए रोका-छेका (मवेशियों की खुले में चराई पर रोक) संबंधी तैयारियां भी की जा रही हैं। इस संबंध में जिले के सभी ग्रामों में आगामी 19 जून 2020 को ग्रामीणों की बैठक आयोजित की जाएगी। ग्रामीणों की यह बैठक जहां नए गोठान निर्मित हो गए है, वहां आयोजित होगी। इसके अलावा जिन गांवों में गोठान नहीं बने हैं, वहां पारंपरिक गोठानों में ग्रामीणों की बैठक सम्पन्न होगी। इस संबंध में आज यहां कलेक्टर श्री कार्तिकेया गोयल ने कहा कि रोका-छेका पद्धति छत्तीसगढ़ की एक पारम्परिक एवं पुरानी पद्धति हैं, जिसके जरिए फसलों की पशुओं द्वारा की जाने वाली चराई से रोकना एवं सुरक्षा करना हैं। उल्लेखनीय है कि इस संबंध में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने इस पारम्परिक एवं पुरानी परम्परा को पुन: जीवित करने एवं अपनाने का आग्रह किया हैं। 
कलेक्टर ने बताया कि आगामी 19 जून को जिले के सभी ग्रामों में आयोजित होने वाली बैठक में ग्रामीण जन शामिल होंगे। इसके अलावा परम्परागत रूप से पशु चराने वाले लोग भी इस बैठक में शामिल होंगे। रोका-छेका के लिए होने वाली ग्रामीणों की इस बैठक में रोका-छेका अपनाने की शपथ ली जाएगी। इसके तहत् आवारा पशुओं से फसलों को बचाने के लिए पंच, सरपंच, सचिव एवं सामान्य नागरिकों द्वारा जिम्मेदारी भी ली जाएगी। स्थानीय पशुपालक भी प्रतिज्ञा लेंगे कि वे अपने मवेशियों को खुले में चरने नहीं देगें और ण्इससे फसल की पूरी तरह से सुरक्षा हो सकेगी। उन्होेंने कहा कि खरीफ की बुवाई को दृष्टिगत रखते हुए मवेशियों को नियंत्रित करना और उनकी देखभाल करना जरूरी है, ताकि फसल को कोई नुकसान नहीं पहुंचे। इसे प्राथमिकता से किया जाएगा।

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