भ्रामक पत्र भेजकर कर आवेदकों को किया जाता है गुमराह, नहीं दी जाती समय सीमा पर कभी जानकारियां
सुनील यादव
गरियाबंद। इन दिनों कोरोना के चलते विभागीय अधिकारियों को किसी भी कार्य से संबंधित जानकारी प्रदान नहीं किए जाने को लगता है एक अच्छा बहाना मिल गया है। विभागों में चल रहे कार्य लगभग सामान्य होने के बावजूद भी आरटीआई के तहत किए गए आवेदन की जानकारी देने को विभागों के जनसूचना अधिकारियों के द्वारा पलड़ा झाड़ दिया जा रहा है, जबकि आर टी आई के सभी कार्य यथावत सामान्य चल रहे हैं । गरियाबंद जनपद पंचायत में जनसूचना अधिकारी का यह रवैया देखा जा सकता है। जहां आवेदक द्वारा रोजगार से जुड़ी संस्थाओं से संबंधित प्रशिक्षण की कुछ जानकारियां उपलब्ध कराने आवेदन किया गया था। जिसके जवाब में जनसूचना अधिकारी ने अपने ही जनपद के शाखा को पत्र लिख दिया कि जानकारी उपलब्ध करावें और उसकी एक प्रति आवेदक को दे दिया गया । आवेदक उस पत्र के अनुसार शाखा में जा कर पूछता रहा कि जानकारी तय्यार हो गई हो तो प्रदान करें करके । किन्तु वहां पदस्थ श्री राजेंद्र बेहरा लेखापाल जनपद पंचायत गरियाबंद ने जनसूचना अधिकारी एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी की बात को ही अनदेखा कर दिया । केवल यही नहीं बल्कि कई ऐसे आवेदक हैं जिन्हें जानकारी नहीं दी जाती है ।
जनसूचना अधिकारी केवल यह स्पष्ट कर देवें की आवेदकों को आखिरकार अपील करने की आवश्यकता क्यों पड़ती है। जो कार्य किया गया है उसकी जानकारी तो फाईल में रहता ही है, केवल छायाप्रति कर प्रदाय किया जाना होता है । यदि अधिनियम में ईमानदारी से संबंधित जानकारी दी जाने से जानबूझकर आवेदक को गुमराह करना या भ्रामक पत्र लिखकर भ्रमित किए जाने को ऐसा कोई कानून पारित आदेश पत्र जारी किया गया हो तो समस्त जनसूचना अधिकारी इस बात को स्पष्ट कर देवें किंतु गुमराह ना करें । जानकारी उपलब्ध नहीं कराया जाना मतलब साफ होता है कि उस विषय में भ्रष्टाचार किया गया है । शायद इसी कारण नियम में दिए गए पूरे समय का ये भरपूर उपयोग कर लेते हैं । और अपनी करतूतों पर पर्दा डालने का काम करने से बाज नहीं आते ।
राज्य सूचना आयोग की ओर से सभी कार्य यथावत प्रारंभ कर दिए गए हैं, कोरोना के चलते जितने भी आवेदनों से संबंधित अपील सुनवाई कार्यवाही लंबित पड़े थे उन्हें यथावत जारी कर दिए गए हैं ।
ए.के.सिंग, राज्य सूचना आयोग छ. ग.
सुनील यादव

जनसूचना अधिकारी केवल यह स्पष्ट कर देवें की आवेदकों को आखिरकार अपील करने की आवश्यकता क्यों पड़ती है। जो कार्य किया गया है उसकी जानकारी तो फाईल में रहता ही है, केवल छायाप्रति कर प्रदाय किया जाना होता है । यदि अधिनियम में ईमानदारी से संबंधित जानकारी दी जाने से जानबूझकर आवेदक को गुमराह करना या भ्रामक पत्र लिखकर भ्रमित किए जाने को ऐसा कोई कानून पारित आदेश पत्र जारी किया गया हो तो समस्त जनसूचना अधिकारी इस बात को स्पष्ट कर देवें किंतु गुमराह ना करें । जानकारी उपलब्ध नहीं कराया जाना मतलब साफ होता है कि उस विषय में भ्रष्टाचार किया गया है । शायद इसी कारण नियम में दिए गए पूरे समय का ये भरपूर उपयोग कर लेते हैं । और अपनी करतूतों पर पर्दा डालने का काम करने से बाज नहीं आते ।
राज्य सूचना आयोग की ओर से सभी कार्य यथावत प्रारंभ कर दिए गए हैं, कोरोना के चलते जितने भी आवेदनों से संबंधित अपील सुनवाई कार्यवाही लंबित पड़े थे उन्हें यथावत जारी कर दिए गए हैं ।
ए.के.सिंग, राज्य सूचना आयोग छ. ग.