सिलसिलेवार चल रहा जंगली जानवरों का शिकार, पहले बाघ, फिर लाखों की इमारती लकड़ी, अब तेंदुआ, वन विभाग के पास जवाब निरंक ?
सुनील यादव
गरियाबंद। लगातार क्षेत्र के जंगलों में लकड़ी चोरी करने वालों के द्वारा लकड़ी चोरी तो की जाती रही ही है,अपितु बेजुबान वन्य प्राणियों का शिकार कर उनके खाल की तस्करी तक की जा रही है । देख जा सकता है कि 15 अप्रैल 2018 को भी गरियाबंद पुलिस द्वारा बाघ का गोली मारकर शिकार और फिर खाल बेचने की तैयारी पर बड़ी कार्यवाही की गई थी । और दो ही वर्ष के भीतर जंगली वन्य प्राणी में तेंदुए को जहर देकर शिकार व खाल बेचने की दूसरी बड़ी कार्यवाही 2020 में पुलिस की देखी जा सकती है । जिसका जवाब शायद वन विभाग के पास नहीं। पुलिस के हत्थे जंगल के वन्य प्राणियों का शिकार करने वाले तस्करों पर लगातार कार्यवाही की जाती है। मगर जिस क्षेत्र में घटनाएं घटित होती है उस क्षेत्र के रेंज आॅफिसर तथा किसी फॉरेस्ट गार्ड या वन सुरक्षा समिति को दूर-दूर तक इसकी भनक नहीं होती ।
यदि वन विभाग के अमले के द्वारा इसी तरह से मुस्तैद रहकर कार्य किया जाता तो ना जंगल की कटाई होती ना ही वन्य प्राणियों की हत्या व तस्करी । किंतु यहां गरियाबंद जिले के रेंज आॅफिसरों के पास अपने क्षेत्र के बारे में यह जानकारी हासिल कर पाना संभव नहीं है, इसी का नतीजा है की तस्करों के द्वारा लगातार जंगल व जंगल में रहने वाले वन्य प्राणियों का तस्करी धड़ल्ले से की जा रही है सरकार द्वारा इन जंगलों के बचाव तथा वन्य प्राणियों के संरक्षण को लेकर करोड़ों अरबों रुपए वन विभाग को आबंटन किया जाता है । किंतु जंगल व वन्य प्राणियों के लिए इतनी राशि वह भी कई अलग अलग मदों से वन विभाग को प्राप्त होने के बाद भी वन विभाग की लचर व्यवस्था देखी जा सकती है । गरियाबंद जिले में जंगल व वन्य प्राणियों से जुड़ी कई घटनाएं घटित हुई है जैसे कभी लाखों रुपए के लकड़ी तो कभी बेजुबान वन्य प्राणियों का शिकार कर खाल की तस्करी का सिलसिला थमने का नाम ही नहीं ले रहा । जिसका वन विभाग के अधिकारियों के पास कोई जवाब नहीं ।