सुनील यादव
गरियाबंद। आधुनिकता के दौर ममें बदलते परिवेश में आज भी ग्रामीण अंचलों में अशिक्षा और पिछड़ापन व्याप्त है। शिक्षा और जागरूकता के अभाव में लोग अभी भी वर्षाे पुरानी परम्पराओ के अनुरूप ही जीवन व्यतीत कर रहे है। शासन प्रशासन के साथ समाज भी ऐसे तपके को पिछड़ेपन से मुक्त कराने और बदलते परिपेश के अनुरूप ढालने में असमर्थ रहा है। ऐसा ही एक मामला जिले के पांडुका थाना अंतर्गत ग्राम कुकदा से सामने आया है। जहां एक परिवार द्वारा पुरानी रूढीवादी परम्परा के अनुरूप अपने नाबालिंक बच्ची के बाल विवाह की तैयारी चल रही थी। जिसे रविवार को पांडुका पुलिस, चाइल्ड हेल्प लाइन और जिला बाल सरंक्षण ईकाई की टीम ने विवाह स्थल पर पहुॅच कर रोक लगाई। वैसे तो देश में बाल विवाह की परम्परा को सरकार ने कई वर्षो पहले ही रोक लगा दी है, इसके लिए कानून भी बना है और समय समय पर इसके लिए जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है। फिर भी कही ना ही चोरी छुपे भी और जागरूकता के अभाव में भी बाल विवाह की खबरे सुनने में आ ही जाती है। ताजा मामले में भी यही देखने को मिला जब बाल संरक्षण ईकाई, चाइल्ड हेल्प लाइन और पुलिस की टीम मौके पर पहुची तो बाल विवाह की तैयारी कर रहे नाबालिक के पिता को उसकी बच्ची के उम्र का ही ज्ञान नही था ना उसे ठीक से पता था कि उसकी बच्ची कहा तक पढ़ी लिखी है। जागरूकता का अभाव साफ तौर पर उनके व्यवहार में झलक रहा था। इसके बाद जब टीम ने बच्ची का स्कुल सर्टिफिकेट की जांच की तो पाया गया कि बच्ची अभी मात्र 15 साल छ माह की है। टीम ने बच्ची के परिजनो को बाल विवाह एक्ट के कानून की जानकारी दी और उसे बाल विवाह की तैयारियां रोकने के निर्देश दिए। जिसके बाद परिजनो ने रविवार को सगाई के लिए आने वाले दुल्हा पक्ष को किसी प्रकार सुचना देकर आने से रोक दिया।
इस संबंध में बाल संरक्षण ईकाई के जिला बाल संरक्षण अधिकारी अनिल द्विवेदी ने बताया कि पांडुका पुलिस ने उन्हे बाल विवाह के तैयारी की सुचना दी थी। मौके पर पहुचने पर पता चला कि ग्राम कुकदा की एक नाबालिक बच्ची की सगाई ग्राम पोड़ के एक युवक के साथ होने वाली है। शादी की भी तैयारी हो गई थी। जांच में बच्ची नाबालिंग निकली जिसके बाद परिजनो को समझाइश दी गई कि शादी के लिए शासन द्वारा निर्धारित 18 वर्ष के आयु के बाद ही विवाह करे। बाल विवाह पर कडे़ सजा का प्रावधान है। उन्होने बताया कि सोमवार को दोनो पक्षो को समझाइश के लिए फिर से बुलाया गया है। इस दौरान सरंक्षण अधिकारी संस्थागत फनीन्द्र जायसवाल, चाइल लाइन के तुलेश्वर साहू, लक्ष्मी रानी देवांगन, पांडुका थाना से एएसआई हिमांचल सिंह, आरक्षक लक्ष्मण साहू, महिला आरक्षक केवरा साहू व जितेन्द्र कुमार मौजुद थे।
गरियाबंद। आधुनिकता के दौर ममें बदलते परिवेश में आज भी ग्रामीण अंचलों में अशिक्षा और पिछड़ापन व्याप्त है। शिक्षा और जागरूकता के अभाव में लोग अभी भी वर्षाे पुरानी परम्पराओ के अनुरूप ही जीवन व्यतीत कर रहे है। शासन प्रशासन के साथ समाज भी ऐसे तपके को पिछड़ेपन से मुक्त कराने और बदलते परिपेश के अनुरूप ढालने में असमर्थ रहा है। ऐसा ही एक मामला जिले के पांडुका थाना अंतर्गत ग्राम कुकदा से सामने आया है। जहां एक परिवार द्वारा पुरानी रूढीवादी परम्परा के अनुरूप अपने नाबालिंक बच्ची के बाल विवाह की तैयारी चल रही थी। जिसे रविवार को पांडुका पुलिस, चाइल्ड हेल्प लाइन और जिला बाल सरंक्षण ईकाई की टीम ने विवाह स्थल पर पहुॅच कर रोक लगाई। वैसे तो देश में बाल विवाह की परम्परा को सरकार ने कई वर्षो पहले ही रोक लगा दी है, इसके लिए कानून भी बना है और समय समय पर इसके लिए जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है। फिर भी कही ना ही चोरी छुपे भी और जागरूकता के अभाव में भी बाल विवाह की खबरे सुनने में आ ही जाती है। ताजा मामले में भी यही देखने को मिला जब बाल संरक्षण ईकाई, चाइल्ड हेल्प लाइन और पुलिस की टीम मौके पर पहुची तो बाल विवाह की तैयारी कर रहे नाबालिक के पिता को उसकी बच्ची के उम्र का ही ज्ञान नही था ना उसे ठीक से पता था कि उसकी बच्ची कहा तक पढ़ी लिखी है। जागरूकता का अभाव साफ तौर पर उनके व्यवहार में झलक रहा था। इसके बाद जब टीम ने बच्ची का स्कुल सर्टिफिकेट की जांच की तो पाया गया कि बच्ची अभी मात्र 15 साल छ माह की है। टीम ने बच्ची के परिजनो को बाल विवाह एक्ट के कानून की जानकारी दी और उसे बाल विवाह की तैयारियां रोकने के निर्देश दिए। जिसके बाद परिजनो ने रविवार को सगाई के लिए आने वाले दुल्हा पक्ष को किसी प्रकार सुचना देकर आने से रोक दिया।
इस संबंध में बाल संरक्षण ईकाई के जिला बाल संरक्षण अधिकारी अनिल द्विवेदी ने बताया कि पांडुका पुलिस ने उन्हे बाल विवाह के तैयारी की सुचना दी थी। मौके पर पहुचने पर पता चला कि ग्राम कुकदा की एक नाबालिक बच्ची की सगाई ग्राम पोड़ के एक युवक के साथ होने वाली है। शादी की भी तैयारी हो गई थी। जांच में बच्ची नाबालिंग निकली जिसके बाद परिजनो को समझाइश दी गई कि शादी के लिए शासन द्वारा निर्धारित 18 वर्ष के आयु के बाद ही विवाह करे। बाल विवाह पर कडे़ सजा का प्रावधान है। उन्होने बताया कि सोमवार को दोनो पक्षो को समझाइश के लिए फिर से बुलाया गया है। इस दौरान सरंक्षण अधिकारी संस्थागत फनीन्द्र जायसवाल, चाइल लाइन के तुलेश्वर साहू, लक्ष्मी रानी देवांगन, पांडुका थाना से एएसआई हिमांचल सिंह, आरक्षक लक्ष्मण साहू, महिला आरक्षक केवरा साहू व जितेन्द्र कुमार मौजुद थे।