बिलासपुर। कोरोना संक्रमण काल में राज्य सरकार द्वारा निजी स्कूलों के फीस लेने पर लगाई गई रोक को हाईकोर्ट ने निरस्त कर दिया है. निजी स्कूलों को जस्टिस पी सेम कोसी ने केवल ट्यूशन फीस लेने की इजाजत देते हुए अन्य किसी प्रकार की फीस लेने पर रोक लगाई है. इस फीस से स्कूल स्टाफ को बिना कटौती तनख्वाह देने के लिए आदेशित किया है.
दरअसल, छत्तीसगढ़ सरकार ने कोरोना संक्रमण काल में पढ़ाई बंद रहने पर न केवल निजी स्कूल प्रबंधन के फीस लेने पर पाबंदी लगा दी थी, बल्कि बकाया फीस को लेकर किसी प्रकार से पालकों पर दबाव बनाने से रोक दिया था. इस पर बिलासपुर के 22 निजी स्कूलों के प्रबंधन ने बिलासपुर प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन सोसायटी के नाम से अधिवक्ता अधिवक्ता आशीष श्रीवास्तव के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका प्रस्तुत की थी.
एसोसिएशन की ओर से न्यायालय को बताया गया कि तमाम स्कूलों के अपने-अपने बड़े-बड़े भवन हैं, बसें हैं, खेल मैदान हैं, अच्छा-खासा इंफ्रास्ट्रक्चर हैं, वहीं दूसरी ओर टीचिंग और नानदृटीचिंग स्टाफ हैं, जो स्कूल से मिलने वाली तनख्वाह पर निर्भर रहते हैं. फीस नहीं मिलने से संसाधनों को बरकरार रखने के साथ स्टाफ को तनख्वाह देने के लिए जरूरी है कि फीस ली जाए.
जस्टिस पी सेम कोसी ने पक्ष को सुनने के बाद सरकार के आदेश को निरस्त करते हुए निजी स्कूलों को कोरोना काल खत्म होने तक केवल ट्यूशन फीस लेने की इजाजत देते हुए इसमें किसी प्रकार की बढ़ोतरी नहीं करने का आदेश दिया है. यही नहीं ली गई फीस से सबसे पहले स्टाफ को पेमेंट की प्राथमिकता देने कहा गया है. यही नहीं स्कूल प्रबंधन से स्टाफ की तनख्वाह को रोकने, या कटौती न करते हुए लॉकडाउन से पहले दी जा रही तनख्वाह देने का आदेश दिया है.
फीस नहीं दे पाने की स्थिति में करें यह काम
विद्धान न्यायधीश ने केवल निजी स्कूलों को ही राहत नहीं दी है, बल्कि लॉकडाउन की वजह से आर्थिक संकट में पड़े पालकों को भी राहत प्रदान की है. याचिकाकर्ता के वकील आशीष श्रीवास्तव ने लल्लूराम डॉट कॉम को बताया कि आर्थिक परेशानी से जूझ रहे पालक अपनी स्थिति को स्पष्ट करने के लिए स्थापित दस्तावेजों के साथ अपना पक्ष स्कूल प्रबंधन के सामने रख सकते हैं, स्कूल प्रबंधन दस्तावेजों की पड़ताल के बाद फीस में राहत देने का निर्णय ले सकती है.
दरअसल, छत्तीसगढ़ सरकार ने कोरोना संक्रमण काल में पढ़ाई बंद रहने पर न केवल निजी स्कूल प्रबंधन के फीस लेने पर पाबंदी लगा दी थी, बल्कि बकाया फीस को लेकर किसी प्रकार से पालकों पर दबाव बनाने से रोक दिया था. इस पर बिलासपुर के 22 निजी स्कूलों के प्रबंधन ने बिलासपुर प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन सोसायटी के नाम से अधिवक्ता अधिवक्ता आशीष श्रीवास्तव के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका प्रस्तुत की थी.
एसोसिएशन की ओर से न्यायालय को बताया गया कि तमाम स्कूलों के अपने-अपने बड़े-बड़े भवन हैं, बसें हैं, खेल मैदान हैं, अच्छा-खासा इंफ्रास्ट्रक्चर हैं, वहीं दूसरी ओर टीचिंग और नानदृटीचिंग स्टाफ हैं, जो स्कूल से मिलने वाली तनख्वाह पर निर्भर रहते हैं. फीस नहीं मिलने से संसाधनों को बरकरार रखने के साथ स्टाफ को तनख्वाह देने के लिए जरूरी है कि फीस ली जाए.
जस्टिस पी सेम कोसी ने पक्ष को सुनने के बाद सरकार के आदेश को निरस्त करते हुए निजी स्कूलों को कोरोना काल खत्म होने तक केवल ट्यूशन फीस लेने की इजाजत देते हुए इसमें किसी प्रकार की बढ़ोतरी नहीं करने का आदेश दिया है. यही नहीं ली गई फीस से सबसे पहले स्टाफ को पेमेंट की प्राथमिकता देने कहा गया है. यही नहीं स्कूल प्रबंधन से स्टाफ की तनख्वाह को रोकने, या कटौती न करते हुए लॉकडाउन से पहले दी जा रही तनख्वाह देने का आदेश दिया है.
फीस नहीं दे पाने की स्थिति में करें यह काम
विद्धान न्यायधीश ने केवल निजी स्कूलों को ही राहत नहीं दी है, बल्कि लॉकडाउन की वजह से आर्थिक संकट में पड़े पालकों को भी राहत प्रदान की है. याचिकाकर्ता के वकील आशीष श्रीवास्तव ने लल्लूराम डॉट कॉम को बताया कि आर्थिक परेशानी से जूझ रहे पालक अपनी स्थिति को स्पष्ट करने के लिए स्थापित दस्तावेजों के साथ अपना पक्ष स्कूल प्रबंधन के सामने रख सकते हैं, स्कूल प्रबंधन दस्तावेजों की पड़ताल के बाद फीस में राहत देने का निर्णय ले सकती है.