राजीव गाँधी गोदग्राम पंचायत कुल्हाड़ीघाट में हुए भ्रष्टाचार की जाँच में आहरण अधिकारी को ही जाँच अधिकारी बनाना जिला प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी उठ रहे हैं सवाल ? - reporterkranti.in

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Tuesday, July 21, 2020

राजीव गाँधी गोदग्राम पंचायत कुल्हाड़ीघाट में हुए भ्रष्टाचार की जाँच में आहरण अधिकारी को ही जाँच अधिकारी बनाना जिला प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी उठ रहे हैं सवाल ?

सुनील यादव, गरियाबन्द। विकासखण्ड मैनपुर के ग्राम पंचायत कुल्हाड़ीघाट में कराये गये विकास एवं निर्माण कार्य के भ्रष्टाचार की जाँच एवं उचित कार्यवाही करने कलेक्टर और सीईओ जिला गरियाबन्द को ग्रामीणों के प्रतिनिधि मंडल ने किये थे, जिसके विरूद्ध सीईओ जिला पंचायत गरियाबन्द ने अपने नीचे के अधिकारियों से निष्पक्ष जाँच करवानी चाहिये था, किन्तु ऐसा नहीं करके उसी विभाग के आहरण अधिकारी सीईओ जनपद पंचायत मैनपुर को जाँच अधिकारी बनाया गया, जो अपने ही कारनामे भ्रष्टाचार के विरूद्ध कैसे जाँच करेंगे ? यह भ्रष्टाचार पर लगाम लगने में संदेह और प्रश्नचिन्ह लगते हैं ? और जिला प्रशासन के कार्यप्रणाली पर भी प्रश्नचिन्ह लगता है ? यह बताना होगा कि ग्रामीणों ने राजीवगांधी गोद ग्राम कुल्हाड़ीघाट में पूर्व सरपंच बनसिंह सोरी, सचिव प्रेमलाल ध्रुव और अधिकारियों के मिलीभगत करके लगभग 2 करोड़ 6 लाख रुपए का विकास एवं निर्माण कार्यों का कार्य कागजों बताकर भ्रष्टाचार किये जाने के 20 बिंदु पर जाँच कार्यवाही करने की माँग किये थे । जिला पंचायत सीईओ गरियाबन्द ने जिसे जाँच अधिकारी जनपद पंचायत सीईओ मैनपुर को बनाया था ने 27 जून 2020 को जाँच की औपचारिकता निभाया उसमें भी एक बिन्दु इंदिरा आवास सात हितग्राहियों को आबंटित किये थे जिसके लिये सात लाख रुपए का आहरण किये थे जिसे तत्कालीन सरपंच बनसिंह सोरी और सचिव प्रेमलाल ध्रुव ने डकार लिया और सात इन्दिरा आवास का एक ढेला कार्य नहीं हुआ अर्थात एक बिन्दु में ही कार्य कागज में होने का भ्रष्टाचार उजागर हो रहे हैं तो शेष 19 बिन्दु में स्वाभाविक लगता है ? यदि जिला प्रशासन गरियाबन्द निष्पक्ष जाँच के लिये अन्य एजेन्सी को जाँच अधिकारी बनाते हैं तो ही दूध का दूध और पानी का पानी हो सकता है ? किन्तु वर्तमान में बनायें जाँच अधिकारी से तो जिला प्रशासन के कार्यप्रणाली पर ही उँगुली उठने लगी है । ऐसा भी बताया जा रहा है कि इस भ्रष्टाचार के शिकायतकतार्ओं को ही परेशान करने की हथकंडे अपनाये जा रहे हैं आज भी आजदी के 73 साल बाद भी वन्यांचल ग्राम कुल्हाड़ीघाट के लोगों का जीवन मुफलिसी में गुजर रहा है और सरकार ने थोड़ा बहुत मदद किया तो विकास के पैसे भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया है ?

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