वैसे तो अपना देश मंदिरों के लिए पूरी दुनियाभर में मशहूर हैं. मंदिरों की साज-सज्जा, उनसे जुड़ी पौराणिक कथाएं और मूर्तियों की बनावट भक्तों को आश्चर्यचकित करने का कोई मौका नहीं छोड़ती हैं. अभी तक आपने कई प्राचीन मंदिरों और उनसे जुड़े किस्से सुने होंगे. लेकिन आज हम आपको भगवान शिव के उस मंदिर की जानकारी देते है जहां भक्त सिर्फ दो बार भगवान शिव का दर्शन कर सकते है.
कुछ मंदिर प्राचीन काल के किसी रहस्य के कारण प्रसिद्ध होते हैं तो वहीं कुछ अपने चमत्कारों के लिए जाने जाते हैं. गुजरात का ऐसा ही एक खास मंदिर अपने एक अनोखे चमत्कार के लिए काफी मशहूर है. गुजरात का स्तंभेश्वर महादेव मंदिर अपने एक अनोखे चमत्कार के लिए मशहूर है. दरअसल, भगवान शिव का यह मंदिर दिन में दो बार अपने भक्तों को दर्शन देने के बाद समुद्र की गोद में समा जाता है. यह खास मंदिर गुजरात के कावी- कंबोई गांव में स्थित है. यह गांव अरब सागर के मध्य कैम्बे तट पर है. यह चमत्कारी मंदिर सुबह और शाम, दिन में सिर्फ दो बार ही नजर आता है.
शिव जी के भक्तों को उनके दर्शन करवाने के बाद यह मंदिर समुद्र में लुप्त हो जाता है. कहा जाता है कि यह मंदिर किसी के प्रायश्चित करने का नतीजा है, जिसका उल्लेख शिवपुराण में भी मिलता है और इसी वजह से यह गायब हो जाता है.
शिवपुराण के मुताबिक, ताड़कासुर नामक एक शिव भक्त असुर ने भगवान शिव को अपनी तपस्या से प्रसन्न किया था. बदले में शिव जी ने उसे मनोवांछित वरदान दिया था, जिसके अनुसार उस असुर को शिव पुत्र के अलावा कोई नहीं मार सकता था. हालांकि, उस शिव पुत्र की आयु भी सिर्फ छह दिन ही होनी चाहिए. यह वरदान हासिल करने के बाद ताड़कासुर ने तीनों लोकों में हाहाकार मचा दिया था. इससे परेशान होकर सभी देवता और ऋषि- मुनि ने शिव जी से उसका वध करने की प्रार्थना की थी. उनकी प्रार्थना स्वीकृत होने के बाद श्वेत पर्वत कुंड से 6 दिन के कार्तिकेय उत्पन्न हुए थे. कार्तिकेय ने उनका वध तो कर दिया था पर बाद में उस असुर के शिव भक्त होने की जानकारी मिलने पर उन्हें बेहद शर्मिंदगी का एहसास भी हुआ था.
कुछ मंदिर प्राचीन काल के किसी रहस्य के कारण प्रसिद्ध होते हैं तो वहीं कुछ अपने चमत्कारों के लिए जाने जाते हैं. गुजरात का ऐसा ही एक खास मंदिर अपने एक अनोखे चमत्कार के लिए काफी मशहूर है. गुजरात का स्तंभेश्वर महादेव मंदिर अपने एक अनोखे चमत्कार के लिए मशहूर है. दरअसल, भगवान शिव का यह मंदिर दिन में दो बार अपने भक्तों को दर्शन देने के बाद समुद्र की गोद में समा जाता है. यह खास मंदिर गुजरात के कावी- कंबोई गांव में स्थित है. यह गांव अरब सागर के मध्य कैम्बे तट पर है. यह चमत्कारी मंदिर सुबह और शाम, दिन में सिर्फ दो बार ही नजर आता है.
शिव जी के भक्तों को उनके दर्शन करवाने के बाद यह मंदिर समुद्र में लुप्त हो जाता है. कहा जाता है कि यह मंदिर किसी के प्रायश्चित करने का नतीजा है, जिसका उल्लेख शिवपुराण में भी मिलता है और इसी वजह से यह गायब हो जाता है.
शिवपुराण के मुताबिक, ताड़कासुर नामक एक शिव भक्त असुर ने भगवान शिव को अपनी तपस्या से प्रसन्न किया था. बदले में शिव जी ने उसे मनोवांछित वरदान दिया था, जिसके अनुसार उस असुर को शिव पुत्र के अलावा कोई नहीं मार सकता था. हालांकि, उस शिव पुत्र की आयु भी सिर्फ छह दिन ही होनी चाहिए. यह वरदान हासिल करने के बाद ताड़कासुर ने तीनों लोकों में हाहाकार मचा दिया था. इससे परेशान होकर सभी देवता और ऋषि- मुनि ने शिव जी से उसका वध करने की प्रार्थना की थी. उनकी प्रार्थना स्वीकृत होने के बाद श्वेत पर्वत कुंड से 6 दिन के कार्तिकेय उत्पन्न हुए थे. कार्तिकेय ने उनका वध तो कर दिया था पर बाद में उस असुर के शिव भक्त होने की जानकारी मिलने पर उन्हें बेहद शर्मिंदगी का एहसास भी हुआ था.