सुनील यादव, गरियाबंद। कलेक्टर छतर सिंह डेहरे ने कहा कि जिले में गांवों की भांति नगरीय निकायों में भी रोका-छेका अभियान का क्रियान्वयन बेहतर ढंग से होना चाहिए। उन्होंने सभी जनपद सीईओ और नगरीय निकायों के सीएमओ को अभियान के तहत पशुओं के लिए गौठान/कांजी हाउस में चारे-पानी का पुख्ता प्रबंध रखने के निर्देश दिये। साथ ही पशु पालकों को पशुओं को खुले नहीं छोड़ने की समझाईश देने कहा गया ।
कलेक्टर ने कहा कि रोका-छेका अभियान के प्रति विभागीय अमले को भी मुस्तैद रखे। कोताही बरतने पर संबंधित जनपद सीईओ एवं नगरीय निकायों के सीएमओ इसके जिम्मेदार होंगे।
रोका-छेका को लेकर कलेक्टर के दिए निर्देश पर पालन नहीं
बावजूद इसके नगर पालिका ना जाने कितनी गहरी निद्रा अवस्था में सोया हुआ है कि नगर के मुख्य मार्गो को अवरूद्ध कर सैकड़ों की तादाद में लावारिश स्तिथि में मवेशी बैठे रहते हैं किंतु उस पर पालिका की नजर ही नहीं पड़ती आने जाने वाले राहगीर मोटर सायकल चालकों व चार पहिया वाहन चालकों के लिए यह एक दुर्घटना का कारण बनता रहता है । हाल ही में मवेशियों के इस तरह मार्ग अवरुद्ध कर बैठे रहने के चलते एक बड़ी दुर्घटना घटित हुई थी । फिर भी नगरी प्रशासन को इसकी कोई सुध नहीं, मवेशी मालिकों की भी लापरवाहियों का नतीजा है कि नगर के सड़कों पर एक बड़ी दुर्घटना मुह खोले प्रति दिन सड़कों पर मवेशियों के रूप में देखी जा सकती है । पर मवेशी मालिकों की लापरवाही को वे खुद गंभीरता से नहीं ले रहे । शायद सभी को आए दिन कोई बड़ी दुर्घटना होने का नजारा देखने का शौक हो जैसे । पर इनकी लापरवाही के चलते जो ये मवेशियों को लावारिश स्तिथि में छोड़ दिए रहते हैं , कभी भी कोई घटना किसी को दस्तक देकर नहीं आता है इसके हादसे के रास्ते में कोई भी हो हमारे कोई भी अपने पर भी घटित हो सकता है । नगर पालिका को इस पर गंभीरता से कार्यवाही किए जाने की अत्यंत आवश्यक है ।