विकास की बाट जोहता ग्राम अमाड़.........
मनोज पांडेय
मैनपुर/ देवभोग मार्ग पर जुंगाड़ से कुछ ही दूर पश्चिम की ओर जाने वाली पगडण्डी की सड़क ले जाती है
बिहड़ दुर्लभ विकास से कोसों दूर बसी बस्तियां ।
और वंहा के रहवासी जिनकी निगाहें ग्राम क्षेत्र के विकास को लेकर हर एक नए व्यक्ति के आने से टिकी
रहती हैं की शायद कभी तो सरकार उनकी पुकार ज़रूर सुनी होगी । ग्राम माड़,कुंभकोट,बाहरापारा,देवझर,अमली, सहेबिनकछार,करलाझर गांव जहां बसे हैं उस क्षेत्र में हज़ारो की संख्या में लोग रहते हैं । बरसात के चार माह से नवम्बर तक पांच महीने तो आवागमन भी लगभग बंद सा रहता है । दिसंबर से यंहा के रहवासी राहत की सांस ले पाते हैं ।
इस बीच यदि कोई अचानक बीमार पड़ जाए तो सोचिये क्या होगा ? यहां गाडियां मुख्य मार्ग तक ही पहुंच पाती है वह भी कब---जब कोई सूचना उन तक पहुंचे तब, ऐसे में 108 या महतारी एक्सप्रेस जैसी सुविधाएं उनके लिये व्यर्थ साबित होती हैं। कई बार तो कई लोगों की इसी असुविधाओं के चलते जान भी गई है, और तो और कई बार तो ऐसा भी हुआ है कि केवल उपचार के अभाव में कुछ नवजात दुनिया की दहलीज़ पर कदम भी नही रख पाए हैं।
एक ओर सरकार की सारी योजनाओं को जहां गांव गांव पहुंचाना होता है वो इन गांवों में समय में कभी नहीं पहुंच पाती है जिसके कारण इस क्षेत्र में विकास का अभाव साफ दिखाई देता है । स्कूलों के संचालन में भी काफी अनियमितताएँ होती हैं । जिससे इस क्षेत्र के बच्चों का भविष्य भी प्रश्न चिन्ह होकर रह जाता है ।
सरपँच एवं प्रतिनिधियों द्वारा कई बार क्षेत्र की विकास को लेकर प्रयास किया गया । इन गांवों तक पहुंचने के लिये पक्की सड़क और पुलिया निर्माण को लेकर अखबारों के माध्यम से भी बार -बार यह मुद्दा उठता रहा,किन्तु आख़िर क्यों इस क्षेत्र की समस्या का समाधान नही हो रहा । किस के इंतजार में और इस सवाल को लिए आज भी उस क्षेत्र के ग्रामीण इस विकास की राह में आंखें बिछाए बैठे हैं । सारी समस्याएं ग्रामीणों से हुई चर्चा के दौरान बताया गया, जिसमे बिरधन ओटी,पवन यादव,मदन यादव,गोपाल,विजय नाग,खोगेश्वर मांझी,अमरलाल आदि उपस्थित रहे ।