बसना- आर टी आई कार्यकर्ता नीलेश अग्रवाल के द्वारा प्रतिभा पब्लिक स्कूल खटखटी में भारी अनियमितताओं को लेकर शिक्षा विभाग को शिकायत की गई थी। शिकायत के आधार पर तीन सदस्यीय जांच समिति ने जांच तो किया परंतु 15 दिवस बीत जाने के बाद भी जांच रिपोर्ट की कापी उपलब्ध नहीं कराया है। जिससे जांच टीम की गतिविधियां संदेह के दायरे में आता है। प्रतिभा पब्लिक स्कूल खटखटी और जांच टीम की कहीं मिली भगत तो नहीं - अनेकों तरह से सवाल खड़े हो रहे हैं ?
बता दें कि गरीबी रेखा से नीचे आने वाले छात्रों को शिक्षा अधिकार अधिनियम (आर टी ई)के तहत् शासन से मिलने वाली राशि को बंदरबांट किये जाने की ख़बर सामने आ रही है।एक ऐसा स्कूल खटखटी बसना में स्थित प्रतिभा पब्लिक स्कूल जहां पर पहली कक्षा से लेकर 12 वीं कक्षा तक संचालित है। पहली कक्षा से लेकर दसवीं तक की मान्यता है।11 वीं,12 वीं की मान्यता ही नहीं है। यहां तक कि प्रतिभा किड्स के नाम नर्सरी बसना शहर जगदीशपुर रोड पर संचालित है।बगैर मान्यता के यह सब शिक्षा विभाग के नाक के नीचे चल रहा है और शिक्षा विभाग छ ग शासन को शिकायत किये जाने, ख़बर होने बावजूद भी कार्रवाई नहीं हो रही है। शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों को कार्रवाई करने में हाथ क्यों कांप रहे हैं। क्या इनके हाथ रंगे हुए हैं ? सब जानते हुए कार्रवाई नहीं किये जाने से अनेकों तरह से सवाल खड़े हो रहे हैं।
अपने बच्चों के भविष्य को लेकर माता-पिता को चिंता रहती है। माता पिता चाहते हैं कि हमारा बच्चा अच्छे विद्यालय से पढ़ाई कर एक अच्छे, संस्कारी और मेहनती इंसान बने।
परंतु गरीबी एक ऐसी बीमारी है जिसके कारण अधिकांश गरीब परिवारों का यह सपना सपना ही रह जाता है।बच्चा चाहे कितना भी होनहार क्यों न हो लेकिन आर्थिक समस्या की वजह से बच्चा किसी अच्छे विद्यालय से पढ़ाई नहीं कर पाता और एक सामान्य इंसान बनकर ही रह जाता है, लोग सदियों से इस परेशानी से जूझते आ रहें हैं।
उल्लेखनीय है भारत सरकार ने इन समस्याओं को जड़ से खत्म करने के उद्देश्य से वर्ष 2009 में निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा प्रणाली की शुरुआत की ,जिसके तहत प्रत्येक शासकीय एवं निजी विद्यालयों में 3 से 14 वर्ष तक के गरीब बच्चों को निशुल्क शिक्षा मिले।इस योजना का नाम है आर.टी.ई. अर्थात् निशुल्क शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009
ये अधिनियम कहता है कि यदि कोई पालक गरीब है और उसका बच्चा 3 से 14 वर्ष की आयु का है तो उसे अपने नजदीकी शासकीय या निजी विद्यालय में निशुल्क प्रवेश दिया जायेगा साथ ही विद्यालय में संचालित अधिकतम कक्षा तक बच्चे की पढ़ाई का पूरा खर्च शासन वहन करेगी।
शासन ने विद्यालयों को भी इस योजना के क्रियान्वयन के लिए आदेशित किया है कि विद्यालय में दर्ज संख्या का 25% सीट गरीब बच्चों के लिए आरक्षित रखा जाये और उसका लाभ उन गरीब छात्रों को मिले। शासन के द्वारा निर्देश जारी किया गया है कि
यदि कोई विद्यालय निर्देश का पालन नहीं करता है तो उक्त विद्यालय के विरुद्ध कार्रवाई की जायेगी और उसकी मान्यता समाप्त की जा सकती है।
गौरतलब है कि महासमुंद जिले के बसना, सरायपाली एवं बागबाहरा में संचालित प्रतिभा पब्लिक स्कूल का नजारा कुछ और ही देखने को मिल रहा है।
प्रतिभा पब्लिक स्कूल के द्वारा इस योजना की धज्जियां उड़ाते हुए इसे नोट छापने की मशीन के रूप में इस्तेमाल कर प्रशासन को अब तक करोड़ों रुपयों राजस्व का चूना लगाया है। विद्यालय में दर्ज संख्या का 25% सीट गरीब परिवार के बच्चों के लिए आरक्षित है तो वहीं प्रतिभा पब्लिक स्कूल ने गरीब छात्रों के अधिकार को छीनकर अमीर घराने के बच्चों को फायदा पहुंचाया है। यही कारण है कि गरीब, गरीब होता जा रहा है और अमीर, अमीर होता जा रहा है।
दरअसल जो सीट गरीब परिवार के बच्चों को मिलना चाहिये था उसे प्रतिभा पब्लिक स्कूल ने अपने निजी लाभ के लिए उक्त सीट को अपने चहेते लोगों को दे दिया गया है।
अधिनियम कहता है कि विद्यालय में दर्ज संख्या का 25% सीट गरीब परिवार के बच्चों को देते हुए उसकी सूची बनाकर नोडल अधिकारी और जिला शिक्षा अधिकारी से प्रमाणित करवाकर लोक शिक्षण संचालय, स्कूल शिक्षा विभाग रायपुर को देना होता है जिसके अवलोकन पश्चात् शिक्षा विभाग संबंधित विद्यालय के खाते में राशि अंतरित कर देती है।
मां दुर्गा च्वाईस सेंटर बसना के संचालक नीलेश अग्रवाल ने प्रतिभा पब्लिक स्कूल द्वारा किये जा रहे करोड़ों के घोटाले पर से पर्दा हटाने के लिए जिला शिक्षा अधिकारी महासमुंद से सूचना का अधिकार के तहत् ऐसे बच्चों की सूची की मांग की थी जिनको प्रतिभा पब्लिक स्कूल द्वारा निशुल्क प्रवेश दिया गया हो परंतु विद्यालय के अनियमितताओं पर पर्दा बनाये रखने और अपनी कुर्सी बचाने के उद्देश्य से तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी महासमुंद श्रीमती मीता मुखर्जी ने सूचना का अधिकार अधिनियम की अवहेलना करते हुए ऐसी सूची देने से साफ साफ इंकार कर दिया।
नीलेश अग्रवाल आर टी आई कार्यकर्ता ने शिक्षा विभाग के उच्च कार्यालय में आवेदन कर ये जानकारी प्राप्त की है।
शिक्षा विभाग के उच्च कार्यालय से प्राप्त जानकारी अनुसार प्रतिभा पब्लिक स्कूल को पिछले 2 वर्ष में निशुल्क शिक्षा का अधिकार कानून के तहत 37 लाख रुपए की राशि आवंटित की गई है और सबसे मजे की बात ये है कि सूची में दर्ज अधिकांश नाम शहर के करोड़पतियों के घरों से संबंधित है तो वहीं कुछ नाम फर्जी हैं।
इसी विद्यालय में इस वर्ष कक्षा 11वीं में अध्ययनरत छात्र सत्यजीत पुष्टि (संचालक नीता पान पैलेस, मेन चौक बसना) ने प्रतिभा पब्लिक स्कूल में आर.टी.ई. के तहत ही प्रवेश लिया था परंतु विद्यालय के प्राचार्य श्रीमती मेहरून निशा खान ने छात्र को परीक्षा से निष्कासित करने की धमकी देकर लगभग 40 हजार रुपये की राशि वसूली की है।
नीलेश अग्रवाल ने मीडिया को जानकारी देते हुए आगे बताया कि यह विद्यालय पैसों के लिए किसी भी हद तक गिर सकता है, जहां एक तरफ प्रतिभा किड्स नामक विद्यालय के संचालन की कोई मान्यता ही नहीं है तो वहीं प्रतिभा पब्लिक स्कूल खटखटी बसना में संचालित कक्षायें 11वीं एवं 12वीं गैर मान्यता प्राप्त है।
शिक्षा विभाग द्वारा निर्धारित मापदंड के अनुसार शिक्षक भी नहीं हैं।निजी लाभ के लिए प्रशासन द्वारा प्रतिबंधित निजी प्रकाशित किताबों से अध्यापन का कार्य किया जाता है तो वहीं यूनिफॉर्म में भी कमीशन खोरी का काम किया जा रहा है।
इस तरह के और भी कई अनियमितताएं विद्यमान है जिस पर निष्पक्ष जांच करने पर कई बड़े खुलासे होने और बंदरबांट करने वाले अधिकारियों के चेहरे पर से पर्दा हटेगा।
प्रशासन को गुमराह कर फर्जी सूची प्रदाय कर लाखों रुपयों की काली कमाई करने वाला प्रतिभा पब्लिक स्कूल के ऊपर और भी दर्जनों बिंदुओं पर शिकायत की गई है।