आदिवासी कार्यकर्ता एवं किसान नेता संजय पंत ने प्रेस नोट जारी कर दंतेवाड़ा विधायक महोदय के लिए अवैध रूप से तैयार किये गए सरकारी बंगले की तीखी आलोचना करते हुए इसे आदिवासियों के हक एवं अधिकार के पैसे की चोरी बताया है।
किसान नेता आगे कहते हैं कि बाबा साहेब अंबेडकर ने तमाम विरोधों के बावजूद भारतीय संविधान में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदायों के लिए लोकसभा और विधानसभा में आरक्षण की व्यवस्था लागू करवाई थी। इस व्यवस्था के पीछे उनकी यह पवित्र सोच थी कि आरक्षित सीटों से चुने हुए जनप्रतिनिधि अपने समाज के लिए मार्गदर्शक का कार्य करेंगे। यह अत्यंत दुख का विषय है कि आरक्षित सीट से चुने गए जनप्रतिनिधि ही अपने समाज से गद्दारी करते हैं और अपने समाज में फैली तमाम समस्याओं एवं पिछड़ेपन का सबसे बड़ा कारण बनते हैं।
विधानसभा चुनाव के समय 6 महीने पहले ही आदिवासी हितों की कसमें खाने वाले दंतेवाड़ा के वर्तमान भाजपा विधायक महोदय ने इतनी जल्दी रंग बदला की गिरगिट भी शरमा जाए। बिना किसी सरकारी आदेश या अनुमति के विधायक महोदय के चहेतों द्वारा नगर के हृदय स्थल में बने पुराने सरकारी गेस्ट हाउस को सिर्फ इसलिए तोड़ दिया गया ताकि विधायक महोदय को तोहफे के रूप में सरकारी बंगला दिया जा सके। इन तथाकथित चापलूस चहेतों द्वारा नए भवन के निर्माण के लिए स्वयं द्वारा एक करोड़ रुपए से भी ज्यादा की रकम इस विश्वास के साथ खर्च कर दिए गए की सरकार और तंत्र तो हमारा ही है बाद में निकाल लेंगे। अब सवाल यह उठता है कि सुशासन, अमृतकाल और पारदर्शिता का ढोल पीटने वाले प्रधानमंत्री जी इस पूरे मामले की जांच के लिए ईडी और सीबीआई की टीम भेजेंगे ।