छ ग राज्य चिटफंड मामला : लोक अभियोजक कर रहे हैं न्यायालय और पीड़ितों को गुमराह। आरोपियों से सांठगाठ कर मदद करने का लग रहा है आरोप पढ़िए पूरी खबर,,,,,,,,
सरसीवा । ऐसे तो लोक अभियोजक सरकार और पीड़ितों के महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए है इनके पक्ष में न्याय दिलाने के लिए हर संभव मदद करते हैं और इसीलिए कोर्ट में इनकी नियुक्ति होती है और ये लोक अभियोजक जब पीडितों के लिए काम न करें,प्रक्रिया में बेवजह देरी करें तो इन पर आरोप लगना स्वाभाविक हो जाता है। आपको बता दें कि राज्य के दोनों पार्टी ने अपनी अपनी घोषणा पत्र में चिटफंड के पीडितों को उनके पैसे वापस कराने का वादा किया है।अभी राज्य में भाजपा की सरकार है।भाजपा सरकार अभी चिटफंड को लेकर कोई विशेष रूचि नहीं दिखा रही है जिससे इनके लोक अभियोजक मामले को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं और आरोपियों के लिए काम करने की शिकायत मिल रही है।कई जिलों के कलेक्टर के पास अंतःकालीन आदेश के लिए मामले चल रहे वहीं कई मामले अंतःकालीन के बाद जिला एवं सत्र न्यायालय में अंतरिम आदेश के लिए प्रकरण चल रहा है लेकिन लोक अभियोजक के दिलचस्पी नहीं दिखाने से पीड़ितों को न्याय मिलने में बेवजह देरी हो रही है। इसी तारतम्य में कई चिटफंड कंपनियों के मामले राज्य के विभिन्न जिलों के न्यायालयों में चल रहे हैं। इन न्यायालयों में सरकार द्वारा नियुक्त लोक अभियोजक पीड़ितों और सरकार के लिए काम न कर आरोपियों के पक्ष में काम करने का आरोप लग रहे हैं। सूत्रों की मानें तो संबंधित कार्यालयों को न्यायालय द्वारा भेजे जा रहे समन/ नोटिस 4/5 माह बाद भी न मिलना जब की न्यायालय द्वारा खोजबीन के समन नोटिस एक ही बार में संबंधित कार्यलय को मिल गया था।इससे पीड़ितो ने लोक अभियोजक और आरोपियों के बीच सांठगांठ होने की संभावना जताई है।
सूत्रों ने बताया कि एक चिटफंड कंपनी रुचि रियल स्टेट एंड वेल्थ क्रियेटर्स का मामला जिला एवं सत्र न्यायालय रायपुर के न्यायाधीश अब्दुल अजीज कुरैशी की बैंच में चल रहा है। न्यायालय ने आरोपियों को तामिल कराने एसपी कार्यालय कोरबा को नोटिस जारी किया जो एक ही बार में एसपी कार्यालय को मिल गया । एसपी कोरबा की पुलिस ने आरोपियों की खोजबीन पिछले कई सालों से कर रहे हैं लेकिन वे अब तक आरोपी नहीं मिल पाए। इस चिटफंड के पीड़ितों ने लोक अभियोजक से मुलाकात कर सलाह मांगी की आरोपीगण नहीं मिल रहें हैं हमारा इस कंपनी में पैसा फंसा हुआ है आप आरोपियों को न देखकर इश्तहार के माध्यम से माननीय न्यायालय से अंतरिम आदेश जारी कराए जिससे कंपनी की संपत्ति की कुर्की हो सके और हम पीडितों को कम्पनी में फंसे पैसे मिल सके।लोक अभियोजक ने पीड़ितो को मई 2024 में कहा की एसपी कार्यालय कोरबा को एक समन जारी करते हैं जिसमें एसपी से अंतिम रिपोर्ट आ जाए की आरोपीगण नहीं मिल रहे हैं तब आगे की कार्यवाही हो जाएगी।इसके बाद से आज पर्यंत 4 माह तक न्यायालय रायपुर से एक भी समन/नोटिस एसपी कार्यालय कोरबा को प्राप्त नहीं हुआ है।इससे जाहिर है लोक अभियोजक ने सरकार और पीड़ित चिटफंड निवेशकों के लिए काम न कर आरोपी के रिश्तेदारों, सूत्रों,वकील से सांठगांठ कर उनके पक्ष में काम कर रहे हैं जिससे माननीय न्यायालय गुमराह हो रहें हैं साथ ही पीड़ितों को न्याय दिलाने में अक्षम साबित हो रहें हैं।
इस संदर्भ में एक पूर्व प्रथम श्रेणी न्यायाधीश ने नाम न छापने की शर्त पर बताया की अभियोजक का दायित्व है कि वह अपराध से पीड़ित व्यक्ति को न्याय दिलाने हेतु पूर्ण सक्षमता एवं तत्परता से अभियोजन का संचालन कर त्वरित एवं प्रभावी न्यायदान में न्यायालय की सहायता करते हुये अपराधी को उचित दण्ड से दण्डित कराये। लोक अभियोजक के अन्य महत्वपूर्ण भूमिकाएं - लोक अभियोजक मामले के तथ्यों को बढ़ा नहीं सकता है या गवाह की जांच करने से इनकार नहीं कर सकता है, जिसके सबूत मामले को कमजोर कर सकते हैं। मुख्य उद्देश्य सत्य की खोज होना चाहिए। उसे आरोपी का बचाव नहीं करना चाहिए। यह न्याय प्रशासन के निष्पक्ष खेल के खिलाफ या कानूनी पेशे के खिलाफ है। इस विषय पर चिटफंड पीड़ीत संघ के सूरज निर्मलकर ने कहा की ऐसे लोक अभियोजक को शासन निलंबित कर अन्य विश्वास पात्र, स्वच्छ ,साफ सुथरे छवि वाले अधिवक्ता की नियुक्त करना चाहिए जिससे चिटफंड के पीडितों को जल्द न्याय मिल सके। सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार इस संबंध में जल्द ही चिटफंड पीड़ित संघ मुख्यमंत्री से मुलाकात कर इन समस्याओं से अवगत कराते हुए संबंधित कोर्ट के बाबुओं और लोक अभियोजक को हटाने की मांग करेंगे।