मनोज पाण्डेय
मैनपुर / गरियाबंद जिला अन्तर्गत मैनपुर विकासखंड मुख्यालय में गौरघाट में प्राथमिक/माध्यमिक विद्यालय की दीवार की रंगीन चित्र देख कुछ संदेह प्रतीत होता है, कि पूरे दीवार पर लगभग 25 से 30 चित्रों की पेंटिंग सजावट की गई है वो भी स्कूल के बाहरी दीवार पर ? जबकि भीतर की दीवारों पर चुना भी नहीं पुताया गया है और जर्जर हालात में दिख रहे हैं ।
और बाहरी दिखावटी पेंटिंग से बच्चों का ध्यान आकर्षित करने जैसी कोई बात नहीं दिखती है । जितना बाहरी पेंटिंग दिखाकर राहगीर या उच्च कोटि के अधिकारियों को रिझाने का काम किया गया है । उतना ही भीतर के दीवार को यदि सुंदरता दी जाती तो शायद बच्चों के लिए आकर्षण का केन्द्र बनता और बच्चों को इन चित्रों से सिख भी मिल पाती । बच्चे अपना समय स्कूल के भीतर ज्यादा बिताते हैं ।
जो राशि इस बाहरी पेंटिंग की सराहना के लिए बना दिया गया है, उसी राशि को अगर बच्चों के खेलने की सामग्री में लगाते तो शायद बातें हज़म हो भी जाती ।
खेलगढिया की राशि का सदुयोग नहीं......?
सभी विकासखण्डों में केवल टी,वी,का माज़रा समझ से परे है ?
फिर से अवचित्य प्रमाण पत्र क्यों..?
आखिर कब तक सूलझेगी ये पहेली, खेलगढिया की राशि का दुरुपयोग या कुछ और....?
इस मामले को लेकर खुद शिक्षक परेशान हो चुके हैं ।
किन्तु उच्च स्तर के अधिकारी के निर्देश,आदेश,बार बार जांच प्रकिया,
कुछ हजम सा नहीं हो रहा । पहले 2018/19 में इसी मामले को लेकर जिला शिक्षा अधिकारी गरियाबंद द्वारा चार लोगों की जांच समिति गठित की जाती है ।
जिसमे प्रधान पाठकों के बयान से लेकर जांच के सारे तथ्य सामने रखे भी जाते हैं । पर ना जाने क्यों पहले जिस जांच समिति की ओर से जांच कि फाइल जिला शिक्षा अधिकारी के टेबल पर रखी जाती है ।
और कार्यवाही को लेकर अपर कलेक्टर तक इसे भेजा भी जाता है । किंतु
अचानक उस फाइल को दरकिनार करके फिर से एक नया जांच समिति गठन किया जाता है ।
सोचने का विषय यह है कि क्या पहले जिस जांच समिति द्वारा जिन तथ्यों को सामने लाया गया था वह असत्य था ? या फिर जो बयान दिए गए थे वह झूठे थे ? या यह कहना लाजमी होगा कि कुछ ऐसे तथ्य हैं जिन्हें छुपाने का प्रयास करते हुए नए जांच समिति का गठन करते हुए 5 बिंदुओं पर मौखिक जांच प्रतिवेदन बनाने का फिर से अवचित्य प्रमाण पत्र बनाने उक्त अधिकारी द्वारा कहा जाता है । जिस से त्रस्त होकर शिक्षकों द्वारा अपर कलेक्टर के नाम अनुविभागीय अधिकारी मैनपुर को ज्ञापन तक सौंपा जाता है ।।
आखिर क्या है यह मामला कौन है इस पर्दे के पीछे यह जानना बाकी है ?