प्राप्त जानकारी के अनुसार गांव गांव से मजदूर भारी संख्या में पलायन कर रहे हैं। प्रत्येक वर्षों की भांति इस वर्ष मजदूर पलायन करने मजबूर हैं। शासन के पास मजदूरों के लिए काम नहीं है। बेरोजगारी की गंभीर समस्या है। भूखे मरने की स्थिति आ गयी है। शासन के द्वारा गरीब मजदूरों के लिए एक रुपए,दो रुपए मे चांवल तो अवश्य उपलब्ध करा रही है परंतु अन्य सुविधाओं के लिये पैसों की आवश्यकता होती है। इसी का नाजायज फायदा उठाकर मजदूरों का पलायन कराया जाता है। ईंट भट्टा मे मजदूर जाकर दिन रात मेहनत करते हैं। मेहनत करते करते बीमार पड़ जाते हैं तब वहां पर ईलाज की कोई व्यवस्था नहीं होती। मजबूरी मे मजदूर दिन को काटते हैं। जब वर्षा ऋतु के समय इन मजदूरों की वापसी होती है तब य बूढे दिखाई देते हैं क्योंकि भट्ठा मे काम काम करते इनकी हालत पस्त हो गई रहती है।
भट्ठा दलालों के माध्यम से किया जा रहा पलायन
बता दें कि जैसे दशहरा दीवाली का सीजन आता है भट्ठा दलाल सक्रिय हो जाते हैं। इन दलालों के माध्यम से मजदूर भारी संख्या में ईंट भट्टा उत्तर प्रदेश, गुजरात,राजस्थान की ओर पलायन करते हैं। इस वर्ष कोरोना कोविड महामारी के कारण ट्रेन सुविधा बंद होने के कारण गांव गांव से चार पहिया वाहन,बस की व्यवस्था भट्ठा दलालों के द्वारा की जा रही है। रात के अंधेरे मे पलायन का सिलसिला जारी है। ईट भट्ठा के मालिकों द्वारा मजदूर दलालों के माध्यम से मजदूरों को एडवांस की राशि देकर ले जाते हैं। भट्ठा मालिकों के द्वारा इन मजदूरों से जानवरों जैसा काम कराया जाता है। हर साल मजदूर उत्तर प्रदेश मे किसी न किसी मालिक के प्रताड़ना के शिकार होते हैं। आखिर इसका जिम्मेदार कौन है? मजदूर स्वयं,भट्ठा मालिक,दलाल या शासन प्रशासन मे बैठे अधिकारी या नेता जिन्हें,इन्ही जनता के द्वारा चुना जाता है। शासन प्रशासन इन्हें रोकने सक्रियता क्यों नहीं दिखाती।
छत्तीसगढ़ से पलायन किये मजदूरो को भूपेश सरकार ने लाने की थी व्यवस्था
उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार ने अन्य राज्यों मे पलायन किये गये मजदूरों के लिए बस भेजकर सकुशल वापसी कराया था। कोरोना विश्व महामारी के दौर जब अन्य राज्यों मे मजदूर फंसे थे उस वक्त वही मजदूर अपने राज्य छत्तीसगढ़ को छोड़कर कहीं नहीं जायेगें ऐसा कहते थे। रूखी सूखी खायेंगे,पर घर नहीं छोडकर जायेंगे। पिछले वर्षों की अपेक्षा इस वर्ष मजदूर अधिक संख्या मे पलायन कर रहे हैं।शासन प्रशासन को इस ओर आवश्यक रूप से कदम उठाना चाहिए ताकि मजदूर बाहर प्रदेशों में जाकर शोषण एवं प्रताड़ित होने से बच सके।अब देखना यह है कि इस ओर शासन प्रशासन क्या करती है।